Mumbai : बंद करो लड़ाई, आपस मे हो इकाई का सन्देश देती हॉलीवुड फिल्म “महायोगी”

मुंबई से अनिल बेदाग ,बंद करो लड़ाई, आपस मे हो इकाई का सन्देश देती हॉलीवुड फिल्म “महायोगी” 
फ़िल्म समीक्षा : महायोगी
लेखक निर्माता निर्देशक ऎक्टर : राजन लूथरा
अवधि : 1 घण्टा 44 मिनट
भाषा : अंग्रेजी
भारत रिलीज : प्रिंस मूवीज राकेश सभरवाल
रेटिंग : 3 स्टार्स
एक ओर फिल्मों में आज जहां जबरदस्त हिंसा, गाली गलौज, नफरत, एक्शन, मारपीट दिखाई जा रही है वहीं ऐसे माहौल में निर्माता निर्देशक राजन लूथरा की हॉलीवुड फिल्म महायोगी युद्ध को बंद करने का सन्देश देती है और आपसी प्रेम मोहब्ब्त और शांति की बात करती है। फ़िल्म इसी सप्ताह सिनेमाघरों में प्रिंस मूवीज़ के राकेश सभरवाल द्वारा ऑल इंडिया रिलीज़ की गई है।
भारत में यह फिल्म नरेंद्र शर्मा की देखरेख में रिलीज हो रही है प्रोडक्शन हाउस त्रिलोच फ़िल्मस इंच यूएसए के बैनर तले निर्मित फ़िल्म महायोगी एक दिल को छू लेने वाली कहानी प्रस्तुत करती है पूरे विश्व की मानवजाति प्रेम शांति से रहे और  लड़ाई झगड़े न करे। दो देशों के बीच कभी युद्ध न हो ऐसा सन्देश देने वाली यह हॉलीवुड फिल्म महायोगी देखने लायक है।
फ़िल्म के नाम महायोगी से आपको लगेगा कि यह कोई आध्यात्मिक सिनेमा है मगर यह स्प्रिचुअल सिनेमा नही है हालांकि फ़िल्म मे राजन लुथरा ने शिवजी जैसा चरित्र ही निभाया है जो केंद्रीय किरदार है।
लोगों को आज सियासत, मजहब के नाम पर आपस में लड़ते-भिड़ते देखकर परमेश्वर का दिल रो रहा है। जातिवाद, रंगभेद, नस्लभेद आज बढ़ा हुआ है पड़ोसी देश युद्ध पर उतारू हैं लोग भी अपने पडोसी घर वालों से मिलकर रहने को तैयार नहीं हैं हर ओर अशांति, बम, मिसाइल और मौत का तांडव जारी है ऐसी परिस्थितियों मे जमीन के अंदर से गुस्से की ज्वालामुखी फूट रही है।
ऐसे में महायोगी हम सब से कहने आये हैं, कि अब आगे ऐसा नहीं होगा अब इंसानियत के जागने का समय आ गया है कलयुग खत्म होने को है और जल्द सतयुग का आरम्भ होगा।
फ़िल्म यही मैसेज देती है कि हम धार्मिक, सामाजिक और आंतरिक भेदभाव भूल कर आपसी प्रेम, शांति और वैश्विक एकता की राहों पर चल पड़ें। तभी अच्छे दौर की शुरुआत होगी।
निर्माता निर्देशक राजन लूथरा अपनी फिल्म “महायोगी हाईवे १ टू वननेस” के द्वारा ईश्वर का यही सन्देश लोगों तक पहुंचा रहे हैं कि आपसी प्यार व सद्भाव और एकता में ही ईश्वर बसते हैं। फ़िल्म में अमेरिका के शहरों सैनफ्रांसिस्को, लॉस एंजेल्स की झलकियां आकर्षक दिखती हैं वहीं हरिद्वार और केदारनाथ की खूबसूरत लोकेशन भी मन मोह लेती है। समाज के लिए जरूरी ऐसे सिनेमा को देखा जाना चाहिए।

गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स मैगज़ीन

मुंबई से अनिल बेदाग की रिपोर्ट

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