मुंह तोड़ने की जरूरत नहीं है
मामला राज्यसभा है जब एक नेता जी जोश में कुछ ऐसा बोलने लगे कि सभापति को उनका मुंह बंद कराना पड़ा।दरअसल राज्यसभा में सभापति वेंकैया नायडू जहां बार बार सांसदों से आपस में बातचीत न करने के लिए कहते रहे वहीं नायडू ने संभल कर बोलने पर भी जोर दिया। जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई और मंत्रियों ने पेपर पटल पर रखना शुरू किया, तब नायडू ने एक बार फिर सभी मंत्रियों से कहा कि जब भी वह लिस्टेड ऑफिशल पेपर सदन के पटल पर रखें तो बेग शब्द का इस्तेमाल न करें। सीधे कहें कि मैं पेपर सदन के पटल पर रख रहा हूं।
इसके बाद जब जीरो आवर शुरू हुआ तो बीजेपी सांसद श्वेत मलिक ने साइबर क्राइम पर बात रखी। जब उन्होंने अपनी बात खत्म की तो किसी सांसद ने उन्हें सपॉर्ट करते हुए कहा कि हम इसका मुंह तोड़ जवाब देंगे। जिस पर नायडू ने कहा ‘सही तरह से जवाब देंगे, मुंह तोड़ने की जरूरत नहीं है। प्लीज, इस तरह की शब्दावली का इस्तेमाल न हो तो अच्छा है।’
आमतौर पर जब मंत्री दस्तावेज पटल पर रखते हैं तो परंपरा के मुताबिक, इजाजत मांगते हुए बेग शब्द का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने मंत्रियों को सलाह दी थी कि वह इंपीरियल माइंडसेट से बाहर निकलें और इस शब्द का इस्तेमाल न करें। शुक्रवार को जब कानून राज्य मंत्री पी.पी. चौधरी ने पेपर पटल पर रखते हुए वही शब्द बोले तो नायडू ने सलाह याद दिलाई और कहा कि ‘नो बेगिंग प्लीज’। नायडू ने कहा कि शायद उस दिन चौधरी मौजूद नहीं होंगे जिस दिन मैंने यह सलाह दी थी, सीधे कहें कि मैं सदन के पटल पर पेपर रख रहा हूं।
आशा है अब नेता जी को यह सलाह समझ आ गयी होगी।