स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत 81 प्रतिशत से अधिक महिलाएं खाताधारक
स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत 81 प्रतिशत से अधिक महिलाएं खाताधारक
मुद्रा : ऋण लेने वालों में 70 प्रतिशत महिलाएं
पीएमजेडीवाई: कुल 38.13 करोड़ लाभार्थियों में से 20.33 करोड़ महिला लाभार्थी
एपीवाई: कुल लगभग 2.15 करोड़ ग्राहकों में से 93 लाख से अधिक महिला ग्राहक (43प्रतिशत)
पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई के तहत, 40 प्रतिशत से अधिक महिला सदस्य दर्ज
वित्त मंत्रालय ने पिछले छह वर्षों में विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं जिनमें महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विशेष प्रावधान हैं। इन योजनाओं ने महिलाओं को बेहतर जीवन जीने और उद्यमी बनने के उनके सपनों को पूरा करने के लिए आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।
जैसा कि हम 8 मार्च 2020 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं, हम वित्त मंत्रालय द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं पर नज़र डालते हैं जिन्होंने भारत में महिलाओं को लाभान्वित किया है।
स्टैंड-अप इंडिया योजना – आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार सृजन के लिए जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए 5 अप्रैल 2016 को स्टैंड अप इंडिया योजना शुरू की गई थी। यह योजना में संस्थागत ऋण संरचना का लाभ उठाने का प्रयास किया गया है ताकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों जैसे अपर्याप्त सुविधा प्राप्त लोगों तक पहुंचाया जा सके ताकि वे राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि में भाग ले सकें।
इस योजना का उद्देश्य कम से कम अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) के एक तथा एक ग्रीनफ़ील्ड उद्यम स्थापित करने के लिए एससीबी की प्रति बैंक शाखा में कम से कम एक महिला उधारकर्ता को 10 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये के बीच बैंक ऋण की सुविधा प्रदान करना है।
स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत 17.02.2020 तक, 81 प्रतिशत से अधिक खाताधारकों में से 73,155 खाते महिलाओं के लिए खोले गए हैं। महिला खाताधारकों के लिए 16712.72 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। महिला खाताधारकों को 9106.13 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।
प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई)– गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख तक का ऋण प्रदान करने के लिए 8 अप्रैल, 2015 को पीएमएमवाई की शुरुआत की गई थी। इन ऋणों को पीएमएमवाई के तहत मुद्रा ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये ऋण वाणिज्यिक बैंकों, आरआरबी, लघु वित्त बैंकों, एमएफआई और एनबीएफसी द्वारा दिए जाते हैं।
पीएमएमवाई के संरक्षण में, मुद्रा ने वृद्धि/विकास के चरण का वर्णन करने और लाभार्थी सूक्ष्म इकाई/उद्यमी की धन की जरूरतों को दर्शाने के लिए ‘शिशु‘, ‘किशोर‘ और ‘तरुण‘ नामक तीन उत्पाद बनाए हैं और स्नातक/वृद्धि के अगले चरण के लिए एक संदर्भ बिंदु भी प्रदान किया है।
मुद्रा योजना की परिकल्पना “एकीकृत वित्तीय और सहायक सेवा प्रदाता के रूप में की गई थी जो व्यापक आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं और मानकों के साथ सर्वोत्कृष्ट मानदंड के बराबर हैं।”
इस योजना के शुरू होने बाद 31.01.2020 तक, 22.53 करोड़ से अधिक ऋणों की मंजूरी दे दी गई है। इसमें से, 15.75 करोड़ से अधिक ऋण महिलाओं को दिए गए हैं, कुल ऋण उधारकर्ताओं में से 70% महिलाएं हैं।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) – पीएमजेडीवाई को 28 अगस्त, 2014 को शुरू किया गया था। इस योजना का 14.08.2018 से विस्तार और संशोधन किया गया, जिसमें कम से कम प्रत्येक वयस्क, वित्तीय साक्षरता, ऋण तक पहुंच, बीमा और पेंशन के लिए एक बुनियादी बैंकिंग खाते के साथ बैंकिंग सुविधाओं की सार्वभौमिक पहुंच की परिकल्पना की गई।
19.02.2020 तक 38.33 करोड़ लाभार्थियों में से 20.33 करोड़ लाभार्थी महिलाएं हैं, जो 53% हैं।
अटल पेंशन योजना (एपीवाई) – एपीवाई की शुरूआत 9 मई, 2015 को की गई थी। यह सभी भारतीयों, विशेष रूप से गरीबों और सुविधाओं से वंचित लोगों को 1000 रुपये से 5000 रूपये तक की न्यूनतम मासिक पेंशन की गारंटी की पेशकश कर सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की परिकल्पना करता है।
यह योजना बैंक और डाकघरों के माध्यम से सदस्यता के लिए खुली है। 22.02.2020 तक, एपीवाई के अंतर्गत लगभग 2.15 करोड़ कुल ग्राहकों में से 93 लाख से अधिक ग्राहक (43%) महिलाएं हैं।
महिलाओं द्वारा वृद्धावस्था आय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है क्योंकि एपीवाई के तहत उनके नाम दर्ज होने में 37% (दिसंबर 2016) से 43% (फरवरी 2020) तक निरंतर वृद्धि देखी गई है। कम श्रम शक्ति भागीदारी दर और लिंग के आधार पर वेतन में उच्च अंतर के बावजूद, महिलाएं वृद्धावस्था आय सुरक्षा के लिए बचत करने में सबसे आगे हैं क्योंकि उनकी भागीदारी राज्यों / संघ शासित प्रदेश सिक्किम (73%), तमिलनाडु (56%), केरल (56%), आंध्र प्रदेश (55%), पुदुचेरी (54%), मेघालय (54%), झारखंड (54%), बिहार (52%) में पुरुषों की तुलना में अधिक है।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) – पीएमजेजेबीवाई की शुरूआत 9 मई 2015 को की गई थी। इस योजना का उद्देश्य 18-50 वर्ष के गरीबों और वंचितों को केवल 330 रूपये के प्रीमियम के साथ 2 लाख रूपये का नवीकरणीय जीवन बीमा कवर प्रदान करके उनके लिए एक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाना है।
पीएमजेजेबीवाई के तहत, 40.70% नामांकन महिला सदस्यों के हैं और 58.21% लाभार्थी महिलाएं हैं। (31.01.2020 को)
दर्ज किए गए कुल 4,71,71,568 नामों में से 1,91,96,805 महिलाओं ने नाम दर्ज कराए हैं। कुल 1,69,216 दावों में से महिला लाभार्थियों के 95,508 दावों का भुगतान किया गया है। (31.01.2020 को)
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) – पीएमएसबीवाई 9 मई 2015 को शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य 18 से 70 वर्ष के आयु वर्ग के गरीबों और वंचितों को 12 रुपये प्रति वर्ष के प्रीमियम पर एक बैंक खाते के साथ एक बहुत ही सस्ती बीमा योजना प्रदान करना है; इसमें आकस्मिक मृत्यु और पूर्ण विकलांगता के लिए 2 लाख रुपये और आंशिक विकलांगता के लिए 1 लाख रुपये का जोखिम कवरेज शामिल है।
पीएमएसबीवाई के तहत 41.50% नामांकन महिला सदस्यों के हैं और 61.29% लाभार्थी महिलाएं हैं। (31.01.2020 को)
कुल दर्ज किए गए 15,12,54,678 नामों में से 6,27,76,282 नाम महिलाओं ने दर्ज कराए। कुल 38,988 दावों में से महिला लाभार्थियों को 23,894 दावों का भुगतान किया गया है। (31.01.2020 को)