तिहाड़ से रिहा कई कैदी फिर अपराध के रास्ते पर, कोरोना संक्रमण के डर से दी गई थी राहत
तिहाड़ से रिहा कई कैदी फिर अपराध के रास्ते पर, कोरोना संक्रमण के डर से दी गई थी राहत
दो महीने पहले दिल्ली सरकार ने करीब 2800 कैदियों को तिहाड़ से रिहा किया था
इनमें से कुछ कैदियों को जमानत दी गई और कुछ को पैरोल पर छोड़ा गया
पिछले एक महीने में संक्रमण के प्रसार के डर से छोड़े गए कई कैदी दोबारा अपराध में लिप्त हो गए
तिहाड़ से रिहा कई कैदी फिर अपराध के रास्ते पर, कोरोना संक्रमण के डर से दी गई थी राहत पर चल पड़े हैं। दिल्ली पुलिस के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं।
आंकड़े बताते हैं कि बीते एक महीने के दौरान जितने कैदी कोरोना संक्रमण के प्रसार को थामने के इरादे से छोड़े गए थे उनमें से कइयों ने चोरी-डकैती और छीनाझपटी जैसे अपराधों की राह पकड़ ली।
30 अप्रैल को बलबीर शर्मा नाम के एक अपराधी को तिहाड़ से रिहा किया गया था। उस पर चोरी-डकैती और छीटाझपटी के 36 मामले थे। पांच दिन के बाद बलबीर को मोबाइल और स्कूटर लूटने के आरोप में फिर से गिरफ्तार किया गया।
बलबीर की रिहाई से एक ही दिन पहले मोनू शर्मा को भी तिहाड़ से रिहा किया गया था। इस पर आठ आपराधिक मामले थे। महीने भर बाद ही मोनू को पूर्वी दिल्ली के गीता कॉलोनी इलाके से इलैक्ट्रिक आटोरिक्शा चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
दो महीने पहले दिल्ली सरकार ने करीब 2800 कैदियों को तिहाड़ से इसीलिए छोड़ा था ताकि जेल परिसर में कोरोना के प्रसार पर अंकुश लगाया जा सके। इनमें से कुछ कैदियों को जमानत दे दी गई और कुछ को पैरोल पर रिहा कर दिया गया।
पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक महीने में संक्रमण के प्रसार के डर से छोड़े गए कई कैदी दोबारा अपराध में लिप्त हो गए। आंकड़ों के अनुसार 129 कैदी ऐसे हैं जो फि्र से चोरी-डकैती और लूटपाट की घटनाओं को शहर के अलग-अलग हिस्सों में अंजाम दे रहे थे।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी का कहना है लॉकडाउन में राहत के बाद इस तरह के कई मामले सामने आए हैं। अपराधियों के छोड़ने से पहले प्रशासन को उनके रिकॉर्ड की भी जांच कर लेनी चाहिए। आदतन अपराध करने वालों के इस तरह छोड़ने से मुसीबत ही पैदा होगी।