मालदीव संकट – भारत को मालदीव ने दी चेतावनी, कहा- हमारे अंदरूनी मामलों से रहे दूर

 

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पिछले कुछ दिनों से मालदीव में चल रहे राजनीतिक और संवैधानिक घमासान पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं । इस मामले को सुलझाने की पहल करते हुए। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन मध्यस्थता प्रस्ताव भेजा था । जिसे मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

मंगलवार (20 फरवरी) को मालदीव की संसद ने राष्ट्रपति यामीन के अनुरोध को स्वीकार करते हुए इमरजेंसी और 30 दिन के लिए बढ़ा दिया था। जिसके बाद बुधवार (21 फरवरी) को भारत ने मालदीव में आपातकाल की अवधि बढ़ाए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और इसे चिंता का विषय बताया था ।

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UN महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने गुरुवार को कहा, ‘‘महासचिव मालदीव में स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति को UN की मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया, लेकिन राष्ट्रपति ने बताया कि इस वक्त में मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।’’

इसके साथ ही मालदीव के हाईकोर्ट ने भी इमरजेंसी की अवधि को और 30 दिन के लिए बढ़ाने के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के आग्रह को मंजूरी देते हुए अस्थायी आदेश जारी किया है। इससे पहले इमरजेंसी की घोषणा 5 फरवरी की गई थी। अब आपातकाल की अवधि 22 मार्च को खत्म होगी । इससे राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हिन्द महासागर के द्वीपीय देश की सत्ता पर राष्ट्रपति यामीन की पकड़ और मजबूत हुई है।

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