मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ सेवा की हुई समीक्षा,जन्मजात शिशु के लिये प्रथम दो घंटे में माँ का दूध जीवन रक्षक

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गया समाहरणालय सभा कक्ष में जिलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह की अध्यक्षता में स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पावर पॉइंट पेरजेंटेशन के द्वारा सबसे पहले पूर्ण टीकाकरण के लिए बनाए जाने वाली योजना पर बिंदु बार चर्चा की गई।चर्चा के दौरान बताया गया कि पूर्ण टीकाकरण हेतु वर्ष में चार बात तथा दुरस्त क्षेत्र में एक वर्ष में कम से कम 6 बार अभियान चलाना पड़ेगा।इसके लिए आवश्यक है कि सभी घरों का पूर्ण रूपेण सर्वेक्षण कराया जाए। इसके सर्वेक्षण हेतु योजना बनाने के लिए प्रखंड स्तर पर प्रखंड समन्वय समिति की बैठक करनी होगी। डियू लिस्ट का अद्यतिकरण करना होगा। बताया गया कि सभी आगनबाडी केंद्रों पर इसके लिए पंजी है। सिर्फ उसे सही रूप से भरने की आवश्यकता है। इसके लिए प्रखंड स्तर पर प्रभारी चिकित्सक पदाधिकारी एवं बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को जिम्मेदारी लेनी होगी तथा सर्वे प्लान के अनुसार कार्य करना होगा। सर्वे के लिए आशा,एएनएम, सेविका, सहायिका, टोला सेवक को लगाना होगा।

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बताया गया कि 10 अप्रैल तक प्रखंड स्तर पर सर्वे प्रतिवेदन जमा करवाना होगा। 13 अप्रैल को जिला स्तरीय गतिविधि होगी तथा 14 अप्रैल 2018 को अंतिम रुप से प्रतिवेदन जमा किया जाएगा।
सर्वेक्षण योजना बनाने के लिए 20, 21 एवं 22 मार्च 2018 निर्धारित किया गया है । प्रखंड में उप स्वास्थ्य केंद्रवार रिपोर्ट संकलित करना होगा । जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी प्रखंड की 90 फीसदी से कम उपलब्धि स्वीकार्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह स्वास्थ एवं बाल विकास परियोजना दोनों विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। सरजमीं पर कार्य करना होगा।इसके उपरांत मातृत्व स्वास्थ सेवा के अंतर्गत संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के प्रति चर्चा की गई। बताया गया कि गया जिले में 49 प्रतिशत संस्थागत प्रसव कराया जा रहा है । इसमें वृद्धि के लिए प्रसव पूर्व चारों जांच आशा एवं ए एन एम के द्वारा करना अनिवार्य है। और इसके लिए उन्हें घर घर भ्रमण करना होगा, ताकि लाभुक एवं उसके परिजन को गृह प्रसव के दौरान उत्पन्न होने वाले खतरा से अवगत कराया जा सके।  समीक्षा के दौरान गुरारू, बोधगया, डुमरिया, गुरुआ, इम्मामगंज, कोच एवं मोहनपुर में संस्थागत प्रसव का औसत काफी कम पाया गया । जिलाधिकारी ने 30 प्रतिशत से कम संस्थागत प्रसव वाले प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया।
प्रसव के उपरांत धातृ माता को कम से कम 48 घंटे अस्पताल में ठहरना चाहिए। समीक्षा में पाया गया कि ऐसा अमूमन हो नहीं रहा है। चिकित्सकों ने बताया कि अत्यधिक संख्या में प्रतिदिन लाभुकों के आने के कारण भीड़ की वजह से धातृ माता ठहरना नहीं चाहती है । जिलाधिकारी ने कहा की यदि उन्हें वांछित सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी तो निश्चित रूप से ठहरेंगी।
प्रसव के बाद तुरंत स्वेच्छा से कोई धातृ माता घर जाना नहीं चाहती हैं, जो महिला संस्थागत प्रसव के लिए घर से अस्पताल आ सकती है वह प्रसव उपरांत दो दिन ठहर भी सकती है। उन्होंने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को अपनी व्यवस्था में सुधार करने का निदेश दिया ।
बताया गया कि नवजात शिशु के लिए जन्म के उपरांत 2 घंटे के अंदर मां का दूध अमृत के समान होता है। यह उसके शरीर के प्रतिरक्षण क्षमता को बढ़ा देता है, जो जीवन भर काम आता है। बताया गया कि गया जिला में जन्म के उपरांत माता का दूध पिलाने की औसत अपेक्षाकृत कम है। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रसव गृह में जहां महिलाओं को प्रसव के उपरांत रखा जाता है, वहां इसे सुनिश्चित कराया जाये . उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा की जितने भी इंडिकेटर है उनमें संस्थागत प्रसव, जन्मजात शिशु को दूध पिलाना, प्रसव पूर्व चार जांच, माता एवं बच्चे के स्वास्थ्य सेवा पर मुख्यतः ध्यान देना होगा।

 

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