शिया कालेज के सिलसिले में एक वज़ाहत लखनऊ। 29 दिसम्बर, 2020*

शिया कालेज के पी0आर0ओ0 अज़हर नक़वी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि शिया कालेज मुसलसल अपनी तरक़्क़ी के ज़ीने तय कर रहा है जिस से घबरा कर, बौखला कर और परेशान होकर कुछ नामनेहाद सौदागराने क़ौम कालेज पर ग़लत और बेबुनियाद इल्ज़ामात लगा कर उसकी शबीह को नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं। शिया कालेज हमेशा से मुख़ालेफ़ीन की नज़रों में खटकता रहा है कालेज मुख़ालिफ़ अफ़राद इधर बराबर हमले करते रहे मगर हमेशा से यह चट्टान की तरह मुख़ालिफ़ों के मुंह तोड़ता रहा।
        इसी की एक कड़ी में शमील शम्सी नामी एक शख़्स जो पेशे से बावर्ची है उसने शिया कालेज पर झूठे और बेबुनियाद इलज़ामात आएद किये हैं। मैं इस बात की वज़ाहत कर दूँ कि शिया कालेज में जो नियुक्तियाँ होती हैं वो यू0जी0सी0, उत्तर प्रदेश सरकार और लखनऊ यूनिवर्सिटी की गाइड लाइन के तहत होती हैं। जिस में सरकार से नियुक्ति की इजाज़त मिलने के बाद समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित होता है इसके बाद सेलेक्शन कमेटी होती है जिस में दो एक्सपर्ट कालेज के बाहर से आते हैं जो यूनिवर्सिटी के मंजूर शुदा होते हैं। यह एक्सपर्ट अपने विषय के माहिर होते हैं और जो कैन्डीडेट दरख़्वास्त देते हैं उनका सेलेक्शन कमेटी में इन्टरव्यू होता है और उनकी क़ाबलियत और सलाहियत की बुनियाद पर उनकी नियुक्ति होती है। आखि़र में यूनिवर्सिटी तमाम क़वाएद व ज़वाबित को देखने के बाद ही अपनी मंजूरी देती है। इन तमाम मराहिल से गुज़रने के बाद कालेज में ज्वाइन कराया जाता है।
        मैं आपकी इत्तेला में लाना चाहता हूँ कि कालेज अपनी मर्ज़ी की बुनयादों पर नहीं चलता है बल्कि दस्तूर क़ानून यू0जी0सी0, सरकार और यूनिवर्सिटी के उसूलों की बुनियादों पर चलता है।
        शमील शम्सी का यह कहना कि यासूब अब्बास साहब चुपके से अपनी भावजों की नियुक्ति करना चाहते थे। यह इलज़ाम सरासर ग़लत है क्योंकि कालेज में कोई भी नियुक्ति चुपके से या छिप कर नहीं होती बल्कि क़वानीन व ज़वाबित के साथ होता है। कालेज में जितनी भी नियुक्तियां हुई हैं सब आला मेयार बासलाहियत, पी0एच0डी0, नेट किये हुए अफ़राद ही मुक़र्रर हुए हैं जो सेलेक्शन कमेटी का सामना करके अपने इल्म और सलाहियत की बुनियादों पर आते हैं। यही वजह है कि आज छात्र/छात्राएं शिया कालेज में दाखि़ले के ख़्वाहिशमंद रहते हैं क्योंकि उनको कालेज में आला और मेयारी तालीम मिलती है।
        इधर चन्द बरसों से कालेज में दर्स व तदरीस का मेयार बहोत बलन्द हुआ है और अध्यापक बहुत मेहनत से छात्रों को पढ़ाते हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी अपने कॉन्वोकेशन में हर साल कालेज के छात्र व छात्राओं को उनके अच्छे रिज़ल्ट की बुनियाद पर गोल्ड मेडल भी दे रही है। चुनान्चे एक माह पहले कालेज के छात्रों ने कई गोल्ड मेडल हासिल किये हैं। लाकडाउन के दौरान शिया कालेज ने बहुत बड़ी संख्या में आला मेयारी वेबिनार्स/लेक्चर्स करवाये जिस में न सिर्फ़ हिन्दुस्तान बल्कि यूरोप और अमरीका से भी प्रोफेसर्स और साइन्टिस्ट ने शिरकत की और लेक्चर दिये जिस से छात्रों और दूसरे अफ़राद बहुत मुस्तफ़ीज़ हुए।
        शमील शम्सी का यह कहना कि मौलाना यासूब अब्बास साहब ने कालेज में सब अपने ही घर के लोगों को नौकरियां दी हैं। यह उनकी लाइल्मी और मौलाना यासूब अब्बास की अदावत की बुनियाद पर है क्योंकि कोई भी नौकरी या नियुक्ति करने का इख्तेयार मौलाना यासूब अब्बास साहब को नहीं है। मौलाना यासूब अब्बास साहब सिर्फ़ और सिर्फ़ शिया कालेज बोर्ड आॅफ ट्रस्टीज़ के सदस्य हैं दूसरे यह कि उनके साले जनाब अब्बास मुर्तुर्ज़ा शम्सी साहब को मैनेजिन्ग कमेटी ने मुन्तख़ब करके मैनेजर बनाया है जबकि यासूब साहब किसी भी मैनेजिंग कमेटी के सदस्य नहीं हैं और अध्यापकों की नियुक्ति में सेलेक्शन कमेटी में मैनेजर इस का मेम्बर नहीं हो सकता और न ही मैनेजर का कोई सेलेक्शन कमेटी में कोई किरदार होता है।
     
शमील शम्सी का यह कहना बिलकुल ग़लत है कि मौलाना यासूब अब्बास साहब ने अपने साले अब्बास मुर्तुज़ा शम्सी साहब के ज़रिये अपने ख़ानदान के लोगों को नौकरियां दिलवायी हैं। यह वाज़ेह करना चाहता हूं कि किसी भी टीचर की नियुक्ति में जनाब अब्बास मुर्तुज़ा शम्सी साहब का कोई रोल नहीं है। इसी लिये कि वह (मैनेजर) क़ानून सेलेक्शन कमेटी के मेम्बर नहीं हो सकते। जो भी नियुक्ति होती है वह सेलेक्शन कमेटी तय करती है।
        शमील शम्सी का कहना है कि मौलाना यासूब अब्बास साहब ने सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने ख़ानदान के लोगों को कालेज में भर लिया है यह सरासर ग़लत व झूठ है इण्टर और डिग्री कालेज में लगभग 200 से ज़्यादा अध्यापक और 150 के क़रीब ग़ैर तदरीसी अमला है क्या यह सब यासूब अब्बास साहब के घर के लोग हैं। इलज़ाम लगाने से पहले थोड़ी अक़्ल का भी इस्तेमाल ज़रूरी है।
        शिया कालेज ने अपने तमाम ओहदेदारान और मेम्बरान के सहयोग और उनकी दिन  रात की मेहनत से इधर चार वर्षों के अर्से में जो तरक्की की है वो क़ौम के सामने है। शिया अरबी कालेज को एक नई इमारत में मुन्तक़िल किया गया है, जिस की अपनी इमारत है जहाँ वो बखूबी खि़दमात अंजाम दे रहा है। सईदुल मिल्लत हाल का नव निर्माण और विक्टोरिया स्ट्रीट कैम्पस क़ौम व मिल्लत के सामने है जहां बराबर मजालिस व महाफिल में अफ़रादे क़ौम आते रहते हैं। शिया कालेज आॅफ लाॅ को एक नई इमारत में मुन्तक़िल कर के उसका एक अलग कैम्पस बना दिया गया है जहां क़ानून की पढ़ाई हो रही है। लाॅ कालेज में एक नेहायत शानदार एयर कन्डीशन इमाम अली अ0स0 मूट कोर्ट की तामीर हुई है। ऐसा शानदार मूट कोर्ट शायद ही लखनऊ के किसी कालेज के पास मौजूद हो। शिया कालेज आॅफ लाॅ के लिये इसकी अपनी एक अलग एयर कन्डीशन्ड लाइब्रेरी और किताबों के लिये स्टाक रूम तामीर किया गया है ताकि कालेज के छात्रों को किसी क़िस्म की दिक्क़त या परेशानी न हो। शिया कालेज में नेहायत शानदार एयर कन्डीशन ख़तीबे अकबर लाइब्रेरी बनाई गयी है। इसके साथ साथ डिजिटल लाइब्रेरी मार्डन तरीके़ से तैयार की गयी है जहां आॅन लाइन जाकर छात्र उस से फ़ायदा हासिल करते हैं। अभी अय्यामे अज़ा से पहले गवर्नर आॅफ केरेला महामहिम आरिफ़ मोहम्मद खान साहब ने ख़तीबे अकबर लाइब्रेरी की वेबसाइट का आॅन लाइन उदघाटन भी किया था। कालेज में कई लाख किताबें हैं और अभी बहुत बड़ी तादाद में किताबें बाज़ार से ख़रीदी गयी हैं जिसके रखने के लिये दो मंज़िला स्टेक रूम की तामीर की गयी जहां यह किताबें मौजूद हैं जिस से कालेज के छात्र व अध्यापक फ़ायदा हासिल कर रहे हैं। ये लाइब्रेरी नेहायत शानदार और लखनऊ की बेहतरीन लाइब्रेरियों में से एक है। चूंकि कालेज के पास क्लास रूम की कमी थी लिहाज़ा हज़रत इमाम रज़ा अ0स0 ब्लाक की दो मंज़िला इमारत तामीर की गयी जिस में तक़रीबन 24 कमरे तामीर हुए हैं। ये इमारत भी बहुत शानदार और कालेज के मेयार के मुताबिक़ तामीर हुई है। हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक़ अ0स0 ब्लाक में नये क्लास रूम की तामीर की गयी है।इसके साथ हज़रत इमाम मोहम्मद तक़ी अ0स0 ब्लाक की तामीर तक़रीबन मुकम्मल हो चुकी है बहुत जल्द यह ब्लाक भी इस्तेमाल में आ जायेगा। मास कम्युनिकेशन डिपार्टमेन्ट में एयर कन्डीशन साउण्ड प्रूफ स्टूडियो भी तामीर किया गया है जो लखनऊ के किसी भी कालेज का इस नोइयत का पहला स्टूडियो है।
        कालेज के सेन्ट्रल आफ़िस और इसकी तज़ईन कारी का काम भी अंजाम दिया गया है। शिया कालेज में बादशाह नसीरूद्दीन हैदर स्टेडियम बनाया गया है, क्रिकेट खेलने के लिये बी0सी0सी0आई0 से मंजूर-शुदा काली मिट्टी मंगवा कर इस से क्रिकेट की पिच तैयार की गयी है। इसी के साथ साथ खेल को देखने वालों के लिये पवेलियन भी बनवाया गया है। कालेज में कैण्टीन नहीं थी, एक बहुत खूबसूरत कैण्टीन भी बन कर तैयार हैं कालेज में बाटनी डिपार्टमेन्ट के लिये बहुत खूबसूरत बाटनिकल गार्डेन भी बना है जिस में तमाम तरह के मेडिसिनल और एरोमेटिक पौधे लगाये गये हैं। जगह जगह ठंडे पानी की मशीनें और सबीलें भी बनाई गयी हैं। कालेज कैम्पस को फ्री वाईफ़ाई भी कर दिया गया है जहां बच्चों को फ्री में वाईफाई की सहूलियत दस्तयाब है। कालेज के पास अपना कोई ट्रांसफार्मर नहीं था जिसकी वजह से बराबर बिजली की परेशानी रहती थी। कालेज ने अपना बिजली का ट्रांसफार्मर ख़रीद कर लगा लिया है जिससे बिजली की परेशानी दूर हो गई है। जिमनेज़ियम और इनडोर गेम्स का भी बहुत मेयारी इन्तिज़ाम किया गया है खेल कूद का तमाम सामान बच्चों के लिये मौजूद है। इण्टर और डिग्री कालेज की जो छतें टपकती थीं उस पर ब्राइकोबा करके ठीक किया गया है। कालेज की 100 साला क़दीम बिल्डिंग हज़रत मुरसले-आज़म साहब ब्लाक को भी रिपेयरिंग करवा कर दुरूस्त किया गया है और उसकी छतों को दोबारा बनवाया गया है।
        बच्चों के एडमिशन के लिये और उनकी काउंसिलिंग के लिये आॅन लाइन पोर्टल भी बनाया गया है जिससे बच्चे कहीं भी बैठ कर अपना एडमीशन फार्म भर सकते हैं। इसके अलावा शिया कालेज ने करबला नसीरूद्दीन हैदर में नमाज़ के लिये एक मस्जिद की तामीर करवाई है और उस में पानी का भी इन्तिज़ाम किया गया है जहाँ बाक़ायदा नमाज़ होती है जिसके लिये मोअजि़ज़न और पेशनमाज़ का भी बन्दोबस्त है।
        मैं आपको बताना चाहता हूँ कि ये तमाम काम चार बरस के अर्से में बोर्ड आॅफ ट्रस्टीज़ के ओहदेदारान व मिम्बरान और मौलाना यासूब अब्बास साहब की सरपरस्ती में अंजाम दिये गये हैं जिन हज़रात की ख़्वाहिश हो वो बज़ाते ख़ुद तशरीफ़ लाकर इसका मुआयना कर सकते हैं।

लखनऊ से ब्यूरो चीफ राघवेंद्र सिंह,(राजू शर्मा) की रिपोर्ट !

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