लखनऊ : शहर में फैला गंदगी का अम्बार, जनता बेहाल

शहर में फैला गंदगी का अम्बार, जनता बेहाल
गंदगी में जिंदगी बिताने को मजबूर हैं तमाम शहरवासी
-कोविड-19 के संक्रमण रोकने में जुटे अफसर हैं बेखबर
लखनऊ* : तुम्हारी फाइलों में गांव के मौसम गुलाबी है, तुम्हारे वादे झूठे आंकड़े किताबी है.. मशहूर शायर अदम गोंडवी का यह शेर आज उन तमाम सरकारी व्यवस्थाओं पर सटीक बैठता है। जो अपेक्षाओं का शिकार है। पिछले साल सूबे की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मानसून से पहले शहर को गड्ढामुक्त करने का आदेश दिया था। दो मानसून होने को आए हैं लेकिन शहर के तमाम इलाके आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है। यही हाल मौलवीगंज समेत शहर के तमाम रिहायशी इलाकों का है। जहां के लोग कई सालों से जिंदगी बिताने पर मजबूर हैं। ऐसे मे लोगो के जहन में डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया का खौफ बढ़ने लगा है।
35-40-000 हजार की है आबादी
दरअसल,वार्ड 99, मौलवीगंज लखनऊ जिले के अंतर्गत आने वाला एक मिश्रित आबादी वाला परिक्षेत्र है. जिसमें पार्षद के तौर पर वर्ष 2017 से
मुकेश सिंह (मोन्टी) कार्यरत हैं. जनगणना 2011 के अनुसार इस वार्ड की आबादी लगभग 35-40,000 है तथा यहां की साक्षरता दर 79 फीसदी के लगभग है. जिसमें कई मोहल्ले शामिल है। हालांकि, सालों से वार्ड 99 में जिंदगी बसर कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि क्षेत्र में चारों तरफ गंदगी का अम्बार है। कई बार पार्षद से शिकायत की गई। इसके बावजूद उनकी समस्या का कोई हल नहीं हुआ। ऐसे में कोविड़-19 से ज्यादा लोगों को जल जनित रोग से भय लग रहा हैं।
डेंगू से दो लोगों की हो चुकी है मौत
क्षेत्रवासियों का कहना है कि धार्मिक स्थल से सटे नाले की कभी सफाई नहीं की गई। नाले में सिल्ट जमा होने से गंदा पानी बहकर लोगों के घरों के समाने भर जाता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए लोगों ने नगर निगम में शिकायत भी की। इसके बाद भी उन्हे इस समस्या से निजात नहीं मिल सकी । यहां के रहने वाले शारिक ने बताया कि हर साल गंदगी की वजह से वार्ड में डेंगू व टाइफाइड का खतरा बना रहता है। पिछले साल डेंगू की वजह से 2 लोगों की मौत भी हो चुकी है। वहीं अमन का कहना है कि सफाईकर्मी कूड़ा उठाने आ जाते हैं। लेकिन वह बचा हुआ कूड़ा नालियों में फेंक देते है।
अपेक्षा के शिकार रिहायशी इलाके
शहर के शहादतगंज,नखास,चौक,मौलवीगंज,वजीरगंज,गोलागंज,कैसरबाग,अमीनाबाद लालबाग, जानकीपुर,अलीगंज,खुर्रमनगर, विकासनगर समेत कई रिहायशी इलाके अपेक्षा के शिकार हैं। सड़क किनारे जगह-जगह गंदगी व कूड़े का अम्बार लगा है। जहां कूड़ा उठाना तो दूर की बात, उल्टा ही सफाईकर्मी कूड़ा जला देते है। वहीं शहरवासियों को कोविड़-19 फैलते संक्रमण से राहत देने के लिए प्रशासनिक अमला भी आने वाली दस्तक से बेखबर है।
डायरिया की ज़द में आया बचपन
मौसम के बदलते मिज़ाज और गंदगी की वजह से शहर में डायरिया, मलेरिया व चिकनगुनिया ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए है। इनकी जद में नौनिहाल व बुजुर्ग बढ़ने लगे है।
राघवेन्द्र सिंह आल राईट न्यूज़ लखनऊ

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