बैंक ऑफ इण्डिया को भारी हानि पहुँचाने पर 06 आरोपियों को आजीवन कारावास एवं एक आरोपी को 03 वर्ष की कारावास
बैंक ऑफ इण्डिया को भारी हानि पहुँचाने पर 06 आरोपियों को आजीवन कारावास एवं एक आरोपी को 03 वर्ष की कारावास
विशेष न्यायाधीश, मुम्बई ने बैंक के साथ धोखाधड़ी के मामले में सर्व श्री मनोहरलाल आहुजा को 50 लाख रू. के जुर्माने सहित आजीवन कारावास; अमित मनोहर लाल आहुजा को 50 लाख रू. के जुर्माने सहित आजीवन कारावास; महेश बोहरा को 03 लाख रू. के जुर्माने सहित आजीवन कारावास; सन्देश रामचन्द्र नागे को 60,000 रू. के जुर्माने सहित आजीवन कारावास; शान्तिलाल चौहान को 50,000 रू. के जुर्माने सहित आजीवन कारावास; तत्कालीन सहायक महाप्रबन्धक भगवान जी दयाराम जोशी को 01 लाख रू. के जुर्माने सहित आजीवन कारावास एवं एक अधिवक्ता युनुस एच. मैनन को 3000 रू. के साथ 03 वर्ष की कारावास की सजा सुनाई।
सीबीआई ने बैंक ऑफ इण्डिया, माण्डवी शाखा, मुम्बई से प्राप्त शिकायत के आधार पर सर्व श्री मनोहर लाल आहुजा, अमित मनोहर लाल आहुजा, महेश बोहरा, सन्देश नागे, शान्तिलाल चौहान,बी.डी. जोशी, जी.के. शर्मा तथा युनुस एच. मेनन के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120-बी के साथ पठित धारा 420, 468 एवं 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) के साथ पठित धारा 13 (1)(डी) तथा उनके प्रमुख अपराधों के तहत दिनांक 24.04.2004 को मामला दर्ज किया। ऐसा आरोप था कि उधारकर्ता श्री मनोहर लाल एच. आहुजा एवं उनके पुत्र श्री अमित एम. आहुजा, मैसर्स स्विफ्ट सर्विस लाइनिंग्स, सेवरी (पश्चिम), मुम्बई के साझीदार एवं बैंक ऑफ इण्डिया, माण्डवी शाखा, मुम्बई के कुछ अज्ञात कर्मियों ने वर्ष 2000 के दौरान जाली दस्तावेजों के प्रयोग द्वारा बैंक के साथ धोखाधड़ी करने के लिए आपराधिक षड़यंत्र में शामिल हुए। उक्त षड़यंत्र के अनुसरण में, मैसर्स स्विफ्ट सर्विस लाइनिंग्स ने कपटपूर्ण तरीके से 250 लाख रू. की क्रेडिट सुविधा की मंजूरी प्राप्त कर ली, जो कि 243.14 लाख रू. की सम्पत्ति मूल्य का साम्यिक बन्धक (Equitable Mortgage) द्वारा समानान्तर रूप से संरक्षित थी। बाद में, दिनांक 31.02.2004 को खाता गैर-निष्पादित सम्पत्ति (एन.पी.ए.) हो गया तथा बैंक को 291 लाख रू. की हानि हुई। उक्त सम्पत्ति के एवज में पेश किए गए दस्तावेज जाली पाए गए।
जॉंच के पश्चात, सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, वृहन्तर मुम्बई की अदालत में आरोपी व्यक्तियों के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120-बी के साथ पठित धारा 419, 420, 467,468 एवं 471 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) के साथ पठित धारा 13 (1)(डी) और उनके प्रमुख अपराधों के तहत दिनांक 30.11.2005 को आरोप पत्र दायर किया। दिनांक 12.08.2010 को आरोपी व्यक्तियों के विरूद्ध आरोप पत्र तय किए गए। विचारण के दौरान, एक आरोपी श्री जी.के. शर्मा की दिनांक 09.08.2008 को मृत्यु हो गई, इसलिए, उनके विरूद्ध विचारण हटा लिया गया। सैंतीस (37) अभियोजन पक्ष के गवाह का परीक्षण किया गया।
विचारण अदालत ने आरोपियो को कसूरवार पाया व उन्हें दोषी ठहराया।