खेल जगत में भेदभाव
पूरी दुनिया में खेल जगत में प्लेयर्स के साथ पक्षपात होता है और शोषण भी। कुछ खिलाड़ी समझौता कर लेते हैं जबकि बाकी आवाज उठा लेते हैं,
साइना भी उन्ही में से है जो आवाज उठा रही है।
हाल ही में गुवाहाटी में खत्म हुई जूनियर नैशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में डबल्स प्लेयर्स के साथ हुए भेदभाव को भारत की स्टार सिंगल्स प्लेयर साइना नेहवाल ने भी गलत बताया है। अमूमन विवादों से खुद को दूर रखने वालीं साइना पहली बार भारतीय बैडमिंटन संघ (बाई) के इस ‘डबल स्टैंडर्ड’ पर बयान देते हुए कहा कि डबल्स के खिलाड़ी को भी सिंगल्स के माफिक ही सम्मान मिलना चाहिए।
गुवाहटी में हुई अंडर- 19 नैशनल चैंपियनशिप में सिंगल्स चैंपियंस को असम बैडमिंटन संघ ने इनाम में कार सौंपी, जबकि डबल्स के चैंपियंस को केवल 52 हजार रुपये (प्रत्येक प्लेयर 26 हजार रुपये) इनाम में दिया गया। बाई के प्रेजिडेंट हिमंता बिस्वा सरमा असम बैडमिंटन संघ के भी मुखिया हैं।
अगर खिलाड़ियों को कार मिल रही है, तो ठीक है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए यह अच्छा कदम है। लेकिन अगर सिर्फ सिंगल्स प्लेयर्स को यह सम्मान मिल रहा है और डबल्स को नहीं तो फिर यह गलत है। ऐसा पक्षपात नहीं होना चाहिए। डबल्स में चैंपियन बने खिलाड़ियों को भी वही इनाम मिलना चाहिए, जो सिंगल्स में मिला, क्योंकि डबल्स प्लेयर्स ने भी वही टूर्नमेंट जीता है। हो सकता है आयोजकों को लगा हो कि डबल्स चैंपियंस को भी कार गिफ्ट करने पर उनका बजट बड़ा हो जाता, लेकिन कुछ भी हो ऐसा नहीं होना चाहिए।