कान्हा उपवन बना गायों की कब्रगाह, 15 करोड़ की लागत से तैयार हुआ था मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गो संरक्षण के लिए बेहद गंभीर माने जाते हैं पर उनके गायों को बचाने के फरमान का असर जिम्मेदारों पर नहीं दिख रहा है।
लापरवाही के कारण एक पखवाड़े के भीतर सीबीगंज क्षेत्र स्थित कान्हा पशु आश्रय में हर रोज दो गायों की मौत होने का सिलसिला जारी है। यानि महज 15 दिनों में ही 30 गायें मर चुकी हैं।
मंगलवार को एक ही दिन में चार गायों के मरने की घटना पर महापौर डॉ. उमेश गौतम ने आश्रय गृह का निरीक्षण किया है। इस दौरान वहां की खामियां उजागर हो गईं। महापौर डॉ. उमेश गौतम मंगलवार को अचानक कान्हा पशु आश्रय पहुंचे। जब उन्होंने चार गायों को मरा हुआ पाया तो अफसरों और संचालक से इसकी वजह पूछी तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इस पर फटकार लगाते हुए हिदायत दी। महापौर ने खुद देखा कि कान्हा पशु आश्रय में गायों की सही तरीके से देखभाल न होने के कारण आए दिन गायों की मौत हो रही है।
निरीक्षण की सूचना से कान्हा पशु आश्रय में हड़कंप मच गया। क्योंकि भूसे से लेकर सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं मिली। इस पर उन्होंने नाराजगी जताई। पशु आश्रय में 15 दिन में करीब 30 गायों की मौत हो चुकी है यह खुलासा कान्हा उपवन के रिकॉर्ड से हुआ। मेयर ने पशु आश्रय के संचालकों को गायों की सही तरीके से देखभाल करने के निर्देश दिए हैं।
भूख, प्यास और इलाज के अभाव में तो नहीं मर रहीं गायें कान्हा पशु आश्रय में गायों के लगातार दम तोड़ने की घटना पर अफसर गंभीर नहीं हैं। क्योंकि पशु आश्रय गृह में हो रही सिलसिलेवार मौत को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया है। अगर कोई भी अधिकारी या संचालक अपनी जिम्मेदारी निभाते तो कइयों गायों की जान बचाई जा सकती थी।
मेयर के निरीक्षण में जो खामिया उजागर हुई हैं, उससे एक बात साफ है कि व्यवस्था में झोल है। हर तरफ गंदगी और पशु चारे का अभाव है। यहां तक की इलाज के नाम पर कोई दवा तक नहीं है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि गायों के मौत के पिछे अव्यस्था बड़ी वजह है। ऐसे में देखना ये है की अब सीएम योगी लापरवाही बरतने वाले अधिकारियो पर क्या कार्यवाही करते है।