राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड के वार्षिक दिवस का उद्घाटन व्याख्यान दिया
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री सुधांशु ज्योति मुख्योपाध्याय ने आज यहां नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय सभागार में ‘विधि एवं सुशासन में उभरने वाले रुझान’ विषय पर व्याख्यान दिया। इस अवसर पर एलसीएलएटी के न्यायिक एवं तकनीकी सदस्य, एनसीएलटी के अध्यक्ष, नियामक निकायों के अध्यक्ष एवं सदस्य, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, सेवा प्रदात्ताओं के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उद्योग जगत की हस्तियां, अधिवक्ता इत्यादि उपस्थित थे।
न्यायमूर्ति श्री सुधांशु ज्योति मुख्योपाध्याय ने आर्थिक स्वतंत्रता पर आधारित विश्व की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में कानून और शासन की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी कंपनी को तीन चरणों में स्वतंत्रता की आवश्यकता होती है, यानी व्यापार शुरू करने की स्वतंत्रता, व्यापार जारी रखने की स्वतंत्रता और व्यापार रद्द करने की स्वतंत्रता।
न्यायमूर्ति श्री सुधांशु ज्योति मुख्योपाध्याय ने प्रतिस्पर्धा और समर्पण के उच्च मानक स्थापित करने के लिए आईबीबीआई की सराहना की। उन्होंने आईबीबीआई को और अधिक शक्तियां प्रदान करने की वकालत करते हुए सुझाव दिया कि ऋणदाता समिति और उसके सदस्यों के आचरण को नियमित करने के लिए कानून बनाए जाएं। पने स्थापना दिवस (1 अक्टूबर, 2016) के उपलक्ष्य में भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने वार्षिक दिवस व्याख्यान माला की शुरूआत की थी। इसमें विधि और अर्थव्यवस्था तथा दिवाला और शोधन अक्षमता के क्षेत्र में शानदार योगदान करने वाली हस्तियों को व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया जाता है।