जानें, आखिर क्यों दलितों नें बुलाया भारत बंद ?
पिछले कुछ वक्त से सुप्रीम कोर्ट देशहित से जुड़े मामलों में सक्रियता दिखाते हुए कई बड़े अहम फैसले कर रही है जहां एक और तीन तलाक को अवैध घोषित करना हो या सबसे विवादित मामले राममंदिर विवाद की सुनवाई को नियमित करना। इसी फैहरिस्त में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवावरण अधिनियम (SC / ST Act) को लेकर अहम फैसला सुनाया है । लेकिन फैसले के आते ही उस पर विरोध की राजनीति शुरू हो गई है। दलित और आदिवासी संगठनों ने विरोध के रूप में (2 अप्रैल) भारत बंद का ऐलान किया है । जिसमें देश के हिस्सों में इसका असर देखने को भी मिला है ।
क्या है SC / ST Act
SC / ST Act के बढ़ते दुरूपयोग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के तहत होने वाली तुरंत गिऱफ्तारी पर रोक लगाते हुए, इसमें एक हफ्ते में जांच के बाद कार्रवाई करने का आदेश दिया । जिसका दलित संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है ।
संविधान में मुताबिक , अगर कोई व्यक्ति किसी SC / ST व्यक्ति के खिलाफ उसे परेशान करने या अपमानित करने के उद्देश्य से कोई भी जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करता है , तो उसे इसके लिए गिरफ्तार तक किया जा सकता है।
देशभर में शुरू हुआ विरोध
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक दलित संगठन से जुड़े लोगों ने सोमवार सुबह से ही उड़ीसा के संभलपुर (Sambalpur) में रेल पटरियों पर जमा हो गए और ट्रेनों की आवाजाही रोक दी. पंजाब सरकार ने बस और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित रखने का आदेश दिया है. इसके साथ ही पंजाब सरकार ने राज्य में आज होने वाली 10वीं,12वीं की परीक्षा को रद्द कर दिया । इसके अलावा राजस्थान के भरतपुर में महिलाएं लाठियां लेकर सड़कों पर उतरीं और जाम लगा दिया. वहीं, बाड़मेर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प भी देखने को मिली. जिसमें पुलिस समेत करीब 25 लोग घायल हो गए. पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. तो वहीं बिहार के अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, जहानाबाद और आरा में भीम सेना के रेल रोकी और सड़कों पर जाम लगा दिया.
दलित संगठनों की राय
वहीं दलित और आदिवासी संगठनों का कहना है कि यह कानून दलितों के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले जातिसूचक शब्दों और हजारों सालों से चले आ रहे अत्याचार को रोकने में मददगार रहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब दलितों को निशाना बनाना और आसान हो जाएगा.
सरकार दाखिल करेगी पुनर्विचार याचिका
दलित संगठनों और की मांग और एनडीए के दलित नेताओं, की राय को मानते हुए सरकार में हालिया में SC / ST Act हुए बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है ।
सुप्रीम कोर्ट में वकील संतोष कुमार ने SC / ST Act मामले के बारे में बताया , शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के उन आकड़ों पर विचार नहीं किया जो बताती हैं कि 2014 में दलितों के ख़िलाफ़ 47064 अपराध हुए. यानी औसतन हर घंटे दलितों के ख़िलाफ़ पांच से ज़्यादा (5.3) अपराध हुए हैं. अपराधों की गंभीरता को देखें तो इस दौरान हर दिन दो दलितों की हत्या हुई और हर दिन औसतन छह दलित महिलाएं (6.17) बलात्कार की शिकार हुई हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2004 से 2013 तक 6,490 दलितों की हत्याएं हुईं और 14,253 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार हुए हैं ।