भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, 150 किसानों ने संस्थान के विभिन्न विभागों का शैक्षिक भ्रमण किया
बरेली, 4 जून।
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र में पशुपालन विभाग, नैनीताल द्वारा आत्मा परियोजना के सौजन्य से 150 किसानों ने संस्थान के विभिन्न विभागों का शैक्षिक भ्रमण किया तथा संस्थान द्वारा विकसित टीकों तथा नैदानिक के साथ-साथ पशुपालन से संबंधित विभिन्न विषयों पर ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त की।
पशु प्रजनन एवं व्याधियाँ पर जानकरी देते हुए पशु पुनरुत्पादन विभाग के वेज्ञानिक डॉ. बृजेश ने कहा की पशुओं को सही समय पर गाभिन करना चाहिए, ब्याने के तुरंत बाद कोलेस्ट्रम पिलाना चाहिए। पशुओं को 2 बार कीड़े की दवा अवश्य देनी चाहिए एवं बराबर मिनरल मिक्चर देना चाहिए। उन्होंने कहा की किसानों को जलवायु के अनुसार पशुपालन एवं कृषि करनी चाहिए। उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों के लिए एकीक्रत कृषि प्रणाली को ज्यादा टिकाऊ एवं फायदेमंद बताया
इस अवसर पर संस्थान की कृषि प्रोधयोगिकी सूचना केंद्र प्रभारी डॉ. रूपसी तिवारी ने संस्थान की तकनीक, मोबाइल एप्प तथा पशुधन क्षेत्र में कैसे उद्यमिता स्थापित करें, के बारे में उपस्थित किसानों को महत्वपूर्ण जानकारी दी।
किसानों को संस्थान के विभिन्न विभागों/अनुभागों का भ्रमण कराते हुए पशु पोषण से संबंधित जानकारी देते हुए डॉ. सुनील जाधव ने दुधारू पशुओं के संतुलित आहार एवं खनिज लवणों का दुधारू पशुओं के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि संतुलित पोषण पशुओं की प्रजनन समस्या को समाधान करने में सहायक हो सकते हैं।
औषधि विभाग के डॉ. के. महेन्द्र ने पशुओं की विभिन्न बीमारी के बारे में जानकारी दी तथा मुख्य बीमारी गलघोटू, खुरपका-मुंहपका, थनैला तथा किलनी से बचाव पर महत्वपूर्ण जानकारी दी एवं पशु रोगों के घरेलू उपचार, के बारे में भी बताया।
किसानों को संस्थान के डेयरी फार्म, कृषि विज्ञान केंद्र, संग्रहालय, कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र का भ्रमण कराया। पशुपालन विभाग नैनीताल उत्तराखंड की पशु चिकित्सक डॉ. दीपाली लालवानी, श्री ए.एस. अहिरवाल संस्थान के तकनीकी अधिकारी श्री वीर सिंह, श्री रवि कुमार आदि उपस्थित रहे।
( गोपाल चन्द्र अग्रवाल , प्रधान संपादक )