भारतीय रेलवे नया इतिहास रचने को तैयार, अब सौर ऊर्जा से चलेंगी ट्रेनें, इस राज्य में सोलर संयंत्र बनकर तैयार
भारतीय रेलवे नया इतिहास रचने को तैयार, अब सौर ऊर्जा से चलेंगी ट्रेनें, इस राज्य में सोलर संयंत्र बनकर तैयार
नई दिल्ली सौर ऊर्जा से कई रेलवे स्टेशनों की बिजली की जरुरत सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद रेलवे जल्द ही इसका इस्तेमाल ट्रेन चलाने के लिए करेगा। मध्य प्रदेश के बीना में रेलवे ने अपनी खाली पड़ी जमीन पर 1.7 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का काम पूरा कर लिया है। इसे 25 केवी के ओवरहेड लाइन से जोड़कर इससे ट्रेन चलाने की योजना है। पहली बार देश में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से ट्रेनें चलाई जाएंगी।रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) और भारतीय रेलवे द्वारा संयुक्त रूप से लगाये गये इस संयंत्र के परीक्षण का काम शुरू हो गया है और 15 दिन में बिजली उत्पादन शुरु हो जायेगा। रेलवे ने वर्ष 2030 तक शुद्ध रूप से कार्बन निरपेक्ष इकाई बनने का लक्ष्य रखा है।
इस प्रयास में एक तरफ उसे कार्बन उत्सर्जन कम करना है तो दूसरी तरफ पेड़ लगाकर कार्बन सिंक तैयार करना है। उसने ऊर्जा के स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा के अधिक से अधिक इस्तेमाल का लक्ष्य रखा है। रेलवे की खाली पड़ी जमीनों, प्लेटफार्माें पर बने शेड और इमारतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर वह ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होने का भी प्रयास कर रहा है।
.विभिन्न स्टेशनों और रेलवे की इमारतों की छतों पर अब तक करीब सौ मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा चुकी है। रायबरेली स्थित मॉर्डन कोच फैक्ट्री में तीन मेगावाट क्षमता का सौर संयंत्र चालू हो चुका है। बीना स्थित संयंत्र में डीसी धारा को एक फेज वाली एसी धारा में बदलने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद इससे सीधे ओवरहेड लाइन को आपूर्ति की जा सकेगी। इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 25 लाख यूनिट होगी जिससे रेलवे को 1.37 करोड़ रुपये की बचत होगी।रेलवे छत्तीसगढ़ के भिलाई में उसकी खाली जमीन में 50 मेगावाट का एक और सौर ऊर्जा संयंत्र लगा रहा है जिसे केंद्र के ‘ट्रांसमिशन यूटिलिटी’ से जोड़ा जायेगा। यहां मार्च 2021 तक उत्पादन शुरु होने की उम्मीद है। हरियाणा के दीवाना में दो मेगावाट के सौर ऊर्जा संंयंत्र में उत्पादन इस साल 31 अगस्त तक शुरु होने की उम्मीद है। इससे राज्य के ‘ट्रांसमिशन यूटिलिटी’ से जोड़ा जायेगा।
इस प्रयास में एक तरफ उसे कार्बन उत्सर्जन कम करना है तो दूसरी तरफ पेड़ लगाकर कार्बन सिंक तैयार करना है। उसने ऊर्जा के स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा के अधिक से अधिक इस्तेमाल का लक्ष्य रखा है। रेलवे की खाली पड़ी जमीनों, प्लेटफार्माें पर बने शेड और इमारतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर वह ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होने का भी प्रयास कर रहा है।
.विभिन्न स्टेशनों और रेलवे की इमारतों की छतों पर अब तक करीब सौ मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा चुकी है। रायबरेली स्थित मॉर्डन कोच फैक्ट्री में तीन मेगावाट क्षमता का सौर संयंत्र चालू हो चुका है। बीना स्थित संयंत्र में डीसी धारा को एक फेज वाली एसी धारा में बदलने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद इससे सीधे ओवरहेड लाइन को आपूर्ति की जा सकेगी। इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 25 लाख यूनिट होगी जिससे रेलवे को 1.37 करोड़ रुपये की बचत होगी।रेलवे छत्तीसगढ़ के भिलाई में उसकी खाली जमीन में 50 मेगावाट का एक और सौर ऊर्जा संयंत्र लगा रहा है जिसे केंद्र के ‘ट्रांसमिशन यूटिलिटी’ से जोड़ा जायेगा। यहां मार्च 2021 तक उत्पादन शुरु होने की उम्मीद है। हरियाणा के दीवाना में दो मेगावाट के सौर ऊर्जा संंयंत्र में उत्पादन इस साल 31 अगस्त तक शुरु होने की उम्मीद है। इससे राज्य के ‘ट्रांसमिशन यूटिलिटी’ से जोड़ा जायेगा।
राघवेन्द्र सिंह आल राईट न्यूज़ लखनऊ