संयुक्त राष्ट्र व क्वाड समूह के जरिये चीन को घेरने की भारत ने राह की तैयार !
विश्व समुदाय द्वारा चीन की घेराबंदी से जहाँ चीन अब कुछ परेशानी में है पर उसकी चालबाजी अभी भी कम नही हो पा रही है। पाकिस्तान को आगे कर एक ओर जहां वह अफगानिस्तान में आतंकवाद को अघोषित संरक्षण की दिशा में काम कर अपने हित साध रहा है। कोविड 19 की महामारी के बाद अब आतंकवाद को भी उसका प्रश्रय मिलना कहा जा रहा है। वहीं चीन विश्व को भी संकट की राह पर ले जाने का कुप्रयास में लगा है। अब संयुक्त राष्ट्र व क्वाड समूह के जरिये चीन को घेरने की भारत ने राह तैयार की है । बीते दिनों संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व संगठन पर कई सवाल उठाते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ को अब अपनी प्रासंगिकता कायम रखने के लिए अपनी प्रभावशीलता सुधारनी और विश्वसनीयता बढ़ानी होगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के क्रियाकलाप पर कई सवाल भी उठाये। साथ ही यह भी कहा कि अब समय है इन प्रश्नों की समीक्षा कर इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र संघ अपने कार्यप्रणाली में सुधार भी करे। प्रधानमंत्री मोदी का बिना नाम लिए इशारा इस वैश्विक संस्था पर चीन की कठपुतली होने के आरोप की और ही था।
यही नही अमरीका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया देशों के समूह ‘क्वाड’ के पहले शिखर सम्मेलन में भी हिन्द – प्रशांत एरिया में कानून के राज पर जोर दिया गया। इसमें भी समुन्दर में दबदबा बनाने की कोशिश में लगा चीन क्वाड नेताओ के निशाने पर ही रहा। वाशिंगटन में हुए क्वाड देशों के समूह की बैठक में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, भारत के नरेंद्र मोदी, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कोट मोरिसन ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि ” हम राष्ट्रीय संप्रभुताओ, लोकतांत्रिक मूल्यों, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान, मुक्त समुंद्री परिवहन – उड़ानों और कानून के राज के लिए एकजुट हैं।” चीन की और से क्वाड समूह के विफल होने की भविष्यवाणी पर उपरोक्त नेताओ ने चीन की लगातार दखलंदाजी वाले एरिया में अंतररष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नियम लगुकरने और हिन्द – प्रशांत और दूसरे एरिया में सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई। व्यान में चीन से जुड़े मुद्दों का भी जिक्र है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका की चर्चा भी क्वाड की बैठक में हुई। अफगानिस्तान को लेकर कूटनीतिक, आर्थिक और मानवाधिकार पर सहयोग का निर्णय लिया। क्वाड नेताओ ने कहा कि “अफगानिस्तान की धरती का प्रयोग किसी भी दूसरे देश लर हमला करने, आतंकी समूह को प्रश्रय देने या आतंकियों को वित्तीय मदद पहुंचाने के लिए नहीं किया जाये”। इसमें साथ ही क्वाड नेताओ ने सेमीकंडक्टर चिप की आपूर्ति सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता भी जताई। स्मरण रहे क्वाड सम्मेलन से पूर्व चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भड़काऊ बयान जारी कर भारत पर लद्दाख में चीन की सीमा पर अवैध अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था। जिसे भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने चीनी समकक्ष के व्यान को खारिज कर कहा था कि इस घटना को ड्रैगन की सीमा पर एकतरफा बदलाव की कोशिश ही जिम्मेदार है। चालबाज चीन गलवां में हुई झड़प के बाद भी भारत की लद्दाख सीमा पर विवाद सुलझाने की जगह अब भी उलझन ही पैदा कर मुद्दे से भटक रहा है। यह बात चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्त्री ने भी दोनों देशों के संबंधों पर चौथे उच्च स्तरीय टू रैक – 2वार्ता को सम्बोधित करते हुए कही। आगे कहा कि लद्दाख सीमा पर चल रही वर्तमान गतिविधियों को दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से मौजूद सीमा निर्धारण समस्या के साथ जोड़कर मामले में उलझन पैदा नहीं की जानी चाहिए। भारत भी अब अपनी सैन्य छमता में मेक इन इंडिया को बढ़ाने की दिशा में कार्य शुरू किया है। केंद्र सरकार ने रक्षा संबंधी एरिया में एयरबस के साथ 20 हजार करोड़ के बड़े सौदे पर मुहर लगा दी है। वायुसेना की ताकत बढ़ाने में लिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लैस 56 सी- 295 सैन्य परिवहन विमान खरीदे जाएंगे। इसमें एयरबस स्पेन से 16 विमान भारत भेजेगा और शेष 40 का निर्माण देश मे टाटा एडवांसड सिस्टम लिमिटेड के साथ साझेदारी में बनाये जाएंगे। यही नही रक्षा मंत्रालय ने 7523 करोड़ की लागत वाले 118 एमबीटी एमके – 1 ए अर्जुन टैंक खरीद के सौदे को भी मंजूरी दी। इससे भी भारत की सेना की जंगी ताकत बढ़ेगी।।
बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !