‘भारत एक है’ का संदेश देती है ‘पेनाल्टी’

‘भारत एक है’ का संदेश देती है ‘पेनाल्टी’

मुंबई: पिछले काफी समय से रियल जिंदगी पर आधारित फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कमाल दिखा रही हैं। साल 2015 के बाद आई कई ऐसी फिल्में हैं जो रियल लाइफ इवेंट या किसी व्यक्ति पर आधारित रहीं और उन फिल्मों में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया। फिल्म पेनाल्टी भी इसी कैटेगिरी में आती है जो नस्लीय भेदभाव के शिकार पूर्वोत्तर भारत के फुटबॉल खिलाड़ी की कहानी है। यह फिल्म भारत एक है का गहरा संदेश देती है।

भारत जैसे विविध देश में भी सभी संस्कृतियों और क्षेत्रों के बारे में जागरूकता की कमी और अज्ञानता नस्लीय भेदभाव में तब्दील हो जाती है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इस प्रकार नस्लीय भेदभाव एक प्रमुख मुद्दा है जिसे पूर्वोत्तर भारत के लोग झेलते हैं जो देश के अन्य हिस्सों में रहते हैं। यहां तक कि खेल और खिलाड़ी भी नस्लीय भेदभाव के शिकार हो जाते हैं। पूर्वोत्तर भारत भारतीय खेल का अहम हिसा है। राष्ट्र के लिए कई पुरस्कार लाने के बावजूद नस्लीय भेदभाव उन्हें नहीं छोड़ता है।


सिनेमा, खेल, विविधता और नस्लीय भेदभाव को मिलाकर राष्ट्र के लिए एक नया धागा बुनने के परिप्रेक्ष्य में नवोदित निर्देशक शुभम सिंह अपने लेखकों अखिलेश चैधरी, आदर्श खेतरपाल और ताशा भांबरा के साथ अपनी तरह की एक अलग फिल्म लेकर आ रहे हैं फिल्म पेनाल्टी जो एक पूर्वोत्तर भारतीय की कहानी है जो नायक के रूप में है। पेनाल्टी एक युवा, प्रतिभाशाली उत्तर-पूर्व भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी, लुकराम के चारों ओर घूमती है। 21 वर्षीय फुटबॉलर को अपने सपनों को हासिल करने के लिए फिल्म में हर तरह के नकारात्मक बिन्दुओं और नस्लीय भेदभाव से जूझना पड़ता है।
यह फिल्म भारत में आंतरिक रूप से प्रचलित नस्लीय भेदभाव को बताती है और जैसे-जैसे यह क्लाइमेक्स की ओर बढ़ती है, यह उन घटनाओं के विभिन्न अप्रत्याशित मोड़ से गुजरती है जो अंततः भारत एक है का संदेश देती हैं। इस फिल्म का आधिकारिक ट्रेलर निर्माता नीलेश सखिया, रितु श्रीवास्तव और आदित्य श्रीवास्तव द्वारा जारी किया गया है। यह फिल्म रुद्राक्ष फिल्म्स के बैनर तले बनी है जिसमें के के मेनन, मनजोत सिंह, शशांक अरोड़ा, लुकराम समिल, बिजौ थंगजाम, आकाश दाभाडे, सृष्टि जैन, अनुप्रिया परमार और अन्य कलाकारों ने एक्ट किया है। फिल्म 19 जुलाई को रिलीज हो रही है।

-अनिल बेदाग-

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