दूसरों के घर रोशन करने वालों के घरों में अंधेरा कहि इलेक्ट्रॉनिक तो कही हाथ की मसीन से काम करने को मजबूर कुम्हार वही ख़ुद के घरों में नहीं कर पाते रोशन

 चाइनीज झालरों और दियो ने चीना कारोबार गोसाईगंज लखनऊ कभी मिट्टी के दीयों से रोशन होने वाले त्योहार दीपावली में आज के आधुनिक युग में चाइनीज
 झालर ने कुम्हारों के मिट्टी के बर्तनों व दीपों के कारोबार को चौपट कर दिया है दीपावली करीब हैं इसलिए तेजी से दीपक बनाने का काम जारी है चाक पर हाथ फेर कर मिट्टी के बर्तन गढ़ने वाले कुम्हार इस समय काफी व्यस्त हैं खुद के हाथ का हुनर पेट भरने के लिए इस पुश्तैनी कारोबार को चाक  के माध्यम से चलाया जा रहा है
बहुत से दीपक बनकर तैयार हैं साथ ही नए नए दिए बनाए भी जा रहे हैं कभी त्योहारों से लेकर शादी विवाह में मिट्टी के दीपक एवं  बर्तन बनाकर रोशनी फ़ैलाने वाले कुम्हार मेहनत में तो कोई कसर नहीं  छोड़ रहे हैं किंतु  इनकी मेहनत का परिणाम इतना  है कि बस पेट भर जाता है  जो कमाते हैं वही खाते हैं जमा पूंजी नहीं बना पाते हैं खास बात यह है कि रोजगार से जुड़े लोग भले ही खुद की जिंदगी भले ही  इस कारोबार के सहारे काट रहे हो पर अब अपने बच्चों को इससे दूर कर रहे हैं अभी जितने लोग चाक चला रहे हैं वह सभी बुजुर्ग हैं नई पीढ़ी इस से दूर हो रही है क्योंकि इस कारोबार में रहकर उनकी जिंदगी में कोई खास बदलाव नहीं आया पहले भी झोपड़ी थी और आज भी झोपड़ी ही है कुम्हार इस धंधे से अपनी आने वाली पीढ़ी को दूर कर रहे हैं ताज्जुब तो यह है कि जिस कारोबार से वह सब को रोशन कर रहे हैं उसी कारोबार ने उन्हें अंधेरे में छोड़ दिया कुम्हारों का पुश्तैनी और परंपरागत कारोबार घाटे में है क्योंकि इनके मिट्टी के दीयों की जगह चाइनीस दीयों  वा झालरों ने ले ली कुम्हार ने बताया कि  सरकार के प्लास्टिक पर प्रतिबंध और चाइनीस सामान के बहिष्कार  को बदलाव के रूप में  देख रहे है सिंगल यूज प्लास्टिक बन्द होने से रोजगार बढ़ने की उम्मीद  कभी सादी विवाह में कुल्हड़ और मिट्टी के अन्य बर्तनों की डिमांड रहती थी  लेकिन बदलते दौर के साथ  प्लास्टिक के बर्तनों ने सब छीन लिया मनिगवा निवासी कुम्हार ने बताया कि सरकार द्वारा हम लोगों को कोई सुविधाएं नही दी जा रही है यदि सुविधाएं सरकार देती भी है तो हम लोगों तक नही पहुंच पाती  मिट्टी मिलने में भी काफी दिक्कत होती है पहले जिन तालाबों से मिट्टी लाई जाती थी आज के समय में उन तालाबों के पट्टे हो चुके हैं साल में एक बार अवसर आता है जोकि दीपावली का उसी में हम लोग दो चार हजार कमा लेते हैं बाकी खर्च मजदूरी  करके निकालना होता है कुम्हार मोहम्मद इब्राल मुन्ना इसरार व नवसाध कबीर पुर निवासी ने बताया कि हम लोगों को सरकार की और से कोई सुविधाएं नही मिल रही है जो  सुविधाएं मिलती है वह सिर्फ बड़े लोगों को मिलती है हम गरीब लोगों को पूछने वाला कोई नही है आज भी हम सब हाथ की मसीन से काम कर रहे है अगर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मिल जाये तो हम लोगों को कम मेहनत करनी होगी लेकिन सरकार हम सब लोगों के बारे में नही सोच रही है हम सब चुनाव के समय इसका जवाब जरूर देंगे
लखनऊ से ब्यूरो चीफ राघवेंद्र सिंह(राजू शर्मा) की रिपोर्ट !

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