बैंक के साथ धोखाधड़ी के मामले में एक निजी व्यक्ति को 3.13 करोड़ रू. जुर्माने सहित आजीवन कारावास एवं तीन अन्य को 03 से 10 वर्ष की कठोर कारावास
सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, मुम्बई ने आन्ध्रा बैंक को भारी हानि पहुँचाने पर श्री राजेन्द्र मारूतराव पाटिल (निजी व्यक्ति) को 3.13 करोड़ रू. के जुर्माने सहित आजीवन कारावास;
आन्ध्रा बैंक, घोड़बन्दर रोड शाखा, थाणे के तत्कालीन शाखा प्रबन्धक श्री बन्दलमुड़ी महिपाल को 3.40 लाख रू. के जुर्माने सहित 10 वर्ष की कठोर कारावास; श्री निजामुद्दीन इसमाइल सुर्वे उर्फ माजिद नाईक (निजी व्यक्ति) को 18,000 रू. के जुर्माने सहित 03 वर्ष की कठोर कारावास; श्रीमति रेशमा कुन्ते उर्फ श्रीमति रेशमा राजेन्द्र पाटिल (निजी व्यक्ति) को 12,000 रू. के जुर्माने सहित 03 वर्ष की कठोर कारावास तथा श्री प्रेम नाथ आत्माराम निकुम्भे (निजी व्यक्ति) को 12,000 रू. के जुर्माने सहित 03 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई।
सीबीआई ने आन्ध्रा बैंक, अन्धेरी, मुम्बई के महाप्रबन्धक से प्राप्त शिकायत के आधार पर श्री राजेन्द्र मारूतराव पाटिल (निजी व्यक्ति); आन्ध्रा बैंक, घोड़बन्दर रोड शाखा, थाणे (महाराष्ट्र) के तत्कालीन शाखा प्रबन्धक श्री बन्दलमुड़ी महिपाल तथा अन्यों के विरूद्ध दिनांक 30.01.2010 को मामला दर्ज किया। ऐसा आरोप था कि आरोपी व्यक्तियों ने 15 स्कोडा लारा कारों को खरीदने के लिए 203.35 लाख रू. का सावधि ऋण प्राप्त किया। हालॉंकि, केवल एक कार खरीदी गई और शेष राशि, उधारकर्ताओं के द्वारा बेईमानी से अन्य उद्देश्यों के लिए खर्च की गई।155.50 लाख रू. के सावधि जमा मूल्य के एवज में 139.95 लाख रू. का सुरक्षित ओवर ड्राफ्ट की एक अन्य सुविधा भी आवेदको के द्वारा प्राप्त की गई, इस राशि का निपटान भी नही किया गया तथा इस प्रकार आन्ध्रा बैंक को कुल लगभग 2.30 करोड़ की हानि पहुँचाई।
जॉंच की समाप्ति पर, विशेष न्यायाधीश की अदालत मुम्बई में आरोपियों के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120-बी के साथ पठित भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 465, 467, 468, 471 एवं 511तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) के साथ पठित धारा 13 (1)(डी) एवं उनके प्रमुख अपराधों के तहत आरोप पत्र दायर हुआ।
विचारण अदालत ने आरोपितों को कसूरवार पाया व उन्हें दोषी ठहराया।