बरेली जनपद में अब तक 1308 पशुओं में वर्गीकृत वीर्य द्वारा कृत्रिम गर्भाधान कराया गया

बरेली : जनपद में पशुपालन विभाग द्वारा क्रियान्वित की जा रही महत्वपूर्ण योजनाओं में वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान योजना है। यह योजना बरेली में गत वर्ष 2019-20 में शुरू की गई थी। इस योजना के अन्तर्गत केवल मादा संतति की उत्पत्ति होती है जिसमें पशुपालकों की आय में वृद्धि के साथ निराश्रित गौवंश की समस्या का समाधान भी होता है। इस योजना के अन्तर्गत अब तक 1308 पशुओं में वर्गीकृत वीर्य द्वारा कृत्रिम गर्भाधान कराया जा चुका है।

पशुपालन विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं टीकाकरण, चिकित्सा, कृत्रिम गर्भाधान, बधियाकरण के साथ गुणवत्तायुक्त दूध की उपलब्धता सुनिश्चित कराने तथा पशुपालन के आर्थिक विकास हेतु अन्य योजनाओं का भी संचालन किया रहा है। निराश्रित गौवंश संरक्षण माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश की प्राथमिकता के आधार पर जनपद बरेली में निराश्रित गौवंशीय पशुओं की समस्या के समाधान हेतु समस्त ग्रामीण व शहरी स्थानीय निकायों व ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका व नगर निगम में स्थाई/अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों की स्थापना की गयी है।

ग्राम रफियाबाद, फतेहगंज प0 में एक वृहद गौ संरक्षण केन्द्र को स्थापित किया जा चुका है तथा क्रियाशील है। तहसील नबावगंज के ग्राम अधकटा नजराना में जनपद के दूसरे वृहद गौ सरंरक्षण केन्द्र का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है तथा तहसील फरीदपुर के ग्राम चठिया फैजू में भूमि चिन्हित कर तीसरे वृहद गौ संरक्षण केन्द्र के निर्माण की प्रक्रिया आरम्भ हो गई है तथा लगभग 43 प्रतिशत निर्माण कार्य हो चुका है। संरक्षण केन्द्रों में संरक्षित गौवंश को निःशुल्क चिकित्सा, टीकाकरण, बधियाकरण, ईयर टैगिंग, आदि सेवाए पशुपालन विभाग द्वारा प्रदान की जा रही है।

कृत्रिम गर्भाधान योजना के अधिक उत्पादन क्षमता वाली संतति की उत्पत्ति। प्राकृतिक गर्भाधान में रहने वाली रोगों के प्रसार की संभावना से बचाय। प्राकृतिक गर्भाधान से कम खर्चे में पशुधन को गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध कराना। कृत्रिम गर्भाधान हेतु कुल पशुधन संख्या गौवंशीय एवं महिषवंशीय 4,27,768 है। वर्ष 2020-21 हेतु कृत्रिम गर्भाधान का लक्ष्य 3,09,085 है। लक्ष्य के सापेक्ष्य प्रगति 3,06,250 (99 प्रतिशत) रही है।

राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम माननीय प्रधानमंत्री जी भारत सरकार द्वारा सितम्बर 2019 में जनपद मथुरा में इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया था। प्रमुख उद्देश्य कृत्रिम गर्भाधान से होने वाले लाभों का विस्तार करना तथा चयनित ग्रामों में पशुपालक के द्वार यह सुविधा निःशुल्क पहुंचाना है। इस कार्यक्रम का प्रथम चरण माह अक्टूबर 2019 से मई 2020 तक संचालित किया गया तथा 2000 के लक्ष्य के सापेक्ष्य लगभग 1600 प्रजनन योग्य पशुओं को निःशुल्क कृत्रिम गर्भाधान से आच्छादित किया गया। इस योजना का द्वितीय चरण माह अगस्त 2020 से आरम्भ हुआ तथा 26,667 के लक्ष्य के सापेक्ष्य अब तक 39,040 की प्रगति हुई है।

पशुओं से मनुष्य में होने वाले रोगों का सीरो सर्विलेन्स ग्लैण्डर्स तथा बर्ड-फ्लू एवियन इनफ्लूऐन्जा ऐसे रोग है जिनकी पशुओं/पक्षियों से मानव आबादी में फैलने की सम्भावना रहती है। इस दिशा में पशुपालन विभाग द्वारा नियमित रूप से अश्व प्रजाति के पशुओं के सीरम सैम्पल संकलित कर जांच हेतु राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार हरियाणा भेजे जाते है तथा पांजीटिव पाये जाने पर अश्वों को दर्द रहित मृत्यु तथा पशुस्वामी को मुआवजा रू 25000 प्रति अश्व दिया जाता है।

इसी प्रकार बर्ड-फ्लू से बचाव हेतु मुर्गीयों के नेजल व क्लोएकल सैम्पल नियमित रूप से परीक्षण हेतु आईवीआरआई बरेली भेजे जाते है। गत 03 वर्षो में अश्व प्रजाति के पशुओं के 987 सीरम सैम्पल तथा मुर्गियों के 857 सैम्पल जांच हेतु भेजे गए है।

पशु आरोग्य शिविर/मेले इस योजना के अन्तर्गत पण्डित दीनदयाल उपाध्याय पशु आरोग्य मेंलों तथा बहुउद्देशीय पशु शिविरों का आयोजन किया जाता है। इन शिविरों का उद्देश्य एक ही स्थान पर निःशुल्क पशु चिकित्सा, बधियाकरण, लघुशल्य किया जाना कृत्रिम गर्भाधान दवा वितरण आदि सुविधायें प्रदान की जाती है।

इस योजना में अब तक जनपद बरेली के अनेकानेक पशुपालकों को लाभाविन्त किया जा चुका है। गत तीन वषों में 51,416 पशुओं को लाभाविन्त किया गया है।

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