लोकतांत्रिक आन्दोलन का दमन किया गया तो परिणाम गम्भीर होंगे

बरेली (अशोक गुप्ता )- उप्र ऊर्जा निगमों के अभियन्ताओं एवं जूनियर इंजीनियरों द्वारा भ्रष्टाचार एवं भय का वातावरण के विरोध में चलाये जा रहे शान्तिपूर्ण ध्यानाकर्षण कार्यक्रम का दमन करने हेतु ऊर्जा विभागों के प्रबन्धन द्वारा जारी प्रेस नोट को झूठ का पुलिन्दा बताते हुए आज बरेली जनपद में आहुत सविनय अवज्ञा सत्याग्रह विरोध सभा में संगठन के पदाधिकारियों ई0 गौरव षर्मा,ई0 धर्मेद्र यादव,रवीन्द्र कुमार ने जारी वक्तव्य में चेतावनी दी है कि एस्मा एवं पुलिस बल के जरिये आन्दोलन को दबाये जाने की कोशिश हुई तो उसके गम्भीर परिणाम होंगे।
उ0प्र0 के ऊर्जा निगमों के प्रबन्धन द्वारा ई0आर0पी0 खरीद एवं कोयले का समय से भुगतान न किये जाने के कारण रू0 20 प्रति यूनिट तक बिजली खरीद के मामले में प्रेस में जारी किये गये बयान को पूरी तरह असत्य बताते हुए संगठन के सदस्य ई0 सतीष जयसवाल ने पुनः यह आरोप दोहराया है कि ईआरपी प्रणाली खरीद एवं बिजली क्रय करने में उच्च स्तर पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है जिस पर पर्दा डालने के लिए प्रबन्धन कर्मचारी संगठनों के शान्तिपूर्ण ध्यानाकर्षण आन्दोलन को एस्मा लगाकर अलोकतांत्रिक ढंग से दमन करने की कोशिश कर रहा है।


संगठन के पदाधिकारी मनजीत सिंह ने प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री मा0 श्री योगी आदित्यनाथ जी से अपील की है कि प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेन्स नीति की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले अरबों रूपये के इस घोटाले की सी0बी0आई0 से उच्च स्तरीय जांच करायी जाये एवं घोटाले के दोषी शीर्ष प्रबन्धन पर कठोर कार्यवाही की जाये।
संगठन के सदस्य ई0 विपुल षुक्ला ने ऊर्जा निगमों के प्रबन्धन द्वारा जारी आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि उप्र पाकालि ने दिनांक 29 दिसम्बर 2018 को मे0 एसेन्चर सोल्यूशन प्रालि को 244.49 करोड़ उप्र राविउनिलि0 द्वारा 21 सितम्बर 2019 को मे0 लार्सन एवं एल एण्ड टी इन्फोटेक लि0 को रू0 122 करोड़ दिनांक 01 जनवरी 2021 को मे0 ओडिसी कम्प्यूटर्स को 38ण्49 करोड़ एवं उप्र पाट्राकालि ने दिनांक 04.12..2020 को मे0 एसेन्चर सोल्यूशन प्रा लि को रू0 52.98 करोड़ का आदेश किया गया है। यह कुल धनराशि 457.97 करोड़ रूपये होती है जिस पर 18 प्रतिशत जीएसटी जोड़ने पर कुल खर्च रू0 511.52 करोड़ का होता है। जबकि ऊर्जा निगमों के प्रबन्धन ने मात्र 244 करोड़ रूपये का हवाला दिया है जो कि पूरी तरह असत्य है। उक्त सभी आदेशों की प्रतिलिपि संगठनों के पास है।
संयुक्त सर्घश समिति के सदस्य एवं आज के विरोध सभा के अघ्यक्ष वैभव सिंह ने बताया कि यह लगभग 511.52 करोड़ रू0 ईआरपी लागू करने की प्रारम्भिक आदेश है जबकि ईआरपी की पूरी प्रणाली लागू होने तक खर्च लगभग 700 करोड़ रूपये तक पहुंच जायेगा। जबकि देश के अधिक कर्मचारी एवं सबसे अधिक विद्युत उपभोक्ता वाले प्रदेश महाराष्ट्र में विद्युत वितरण कम्पनी मात्र 25 करोड़ रूपये में ईआरपी प्रणाली के कार्य हेतु आदेश दिया है। उसकी तुलना में उप्र्र में 20 गुना से अधिक की धनराशि खर्च की गयी जो कि सरासर भ्रष्टाचार है।
विगत वर्ष माह सितम्बर.अक्टूबर में विद्युत उत्पादन निगम के ताप बिजली घरों में कोयले संकट का मुख्य कारण कोयले खरीद का समय से भुगतान न कर पाना है जिसके लिए शीर्ष ऊर्जा प्रबन्धन सीधे जिम्मेदार है। उल्लेखनीय है कि उप्र राविउनिलि लगातार मुनाफा देने वाली विद्युत उत्पादन कम्पनी है एवं प्रदेश को सबसे सस्ती बिजली देने वाली कम्पनी है ऐसे में शीर्ष ऊर्जा प्रबन्धन द्वारा उनिलि को कोयले के भुगतान की अदायगी समय न कर मंहगी बिजली रू0 20 प्रति यूनिट एनर्जी एक्सचेंज से खरीदा जाना शीर्ष ऊर्जा प्रबन्धन की विफलता एवं भ्रष्टाचार भी है।
आज दिनंाक 15 मार्च 2022 से शुरू हुए असहयोग सविनय अवज्ञा आन्दोलन में ई0 अषोक चैरसिया, ई0 विकास सिंगहल, ई0 राजेष षर्मा, ई0 पंकज भारती, ई0 विवेक पटेल,ई0 गौरव षुक्ला, ई0 सत्यार्थ गंगवार, ई0 पारस रस्तोगी,ई0 मो0 ताजिम,ई0 अमित गंगवार, ई0 आनन्द बाबू, ई0 रजित कुमार,ई0 के0के0 भार्गव,ई0 रविन्दर कुमार,इ्र0 आकाष अग्रवाल, मनोज सिंह , सुषील कुमार, एवं बरेली जनपद के अन्य अभियन्ताओं एवं जूनियर इंजीनियरों तथा संयुक्त संर्घश समिति के अन्य घटक दलों के सदस्यों ने सहभागिता सुनिश्चित करते हुए जनपद मुख्यालयों एवं परियोजनाओं पर सायं 04 बजे से 05 बजे के बीच 01 घण्टे का विरोध प्रदर्शन कर ऊर्जा निगम शीर्ष प्रबन्धन के उत्पीड़नात्मक एवं तानाशाही रवैये पर आक्रोश व्यक्त किया।

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