यदि बंधुभाव नहीं रहेगा तो समता और स्वाधीनता सब अस्तित्वहीन होगें

बरेली। “राष्ट्र निर्माण में बाबा साहब भीम राव आंबेडकर की भूमिका” विषयक गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रबंधक साकेत सुधांशु शर्मा ने कहा कि बाबा साहब का मानना था कि सामाजिक समरसता का निर्माण करने से ही सामाजिक समानता हो सकती है। सुरेश शर्मा नगर के एस एस वी स्कूल में साकेत शर्मा ने कहा कि बाबा साहब ने 24 नवम्बर, 1947 को दिल्ली में कहा था, हम सब भारतीय परस्पर सगे भाई हैं। ऐसी भावना अपेक्षित है। इसे ही बंधुभाव कहा जाता है। उसी का अभाव है। जातियां आपसी द्वेष और ईर्ष्या बढ़ाती हैं। अत: इस अवरोध को दूर करना होगा क्योंकि यदि बंधुभाव ही नहीं रहेगा तो समता और स्वाधीनता सब अस्तित्वहीन हो जाएंगे।

विद्यालय अध्यक्ष अंजलि शर्मा ने कहा कि बाबा साहब ने राष्ट्र निर्माण की जो राह दिखाई थी, उसी पर चल आज हमारी सरकार भारत को पुन: विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठापित करने का कार्य कर रही है। बाबा साहब का कहना था, ‘‘मैं चाहता हूं कि लोग सर्वप्रथम भारतीय हों व अंत तक भारतीय रहें, भारतीय के अलावा कुछ भी नहीं।”

गोष्ठी में बहुत से वक्ताओं ने अपने विचार रखे उन्होंने कहा कि एक ओर वर्षों के अपमान तो दूसरी और करुणा, प्रेम, समता और अहिंसा से ओतप्रोत भारतीय संस्कृति के अविभाज्य अंग बौद्ध मत का अंगीकार कर बाबा साहब ने देश के लिए अपने समर्पण का उत्तम उदाहरण दिया। उनकी जयंती पर हमारा युवा पीढ़ी को विशेष संदेश है कि उनके आदर्शों का पालन केवल विशेष अवसर पर ही न करें, अपितु प्रत्येक क्षण उस राष्ट्रभक्त, मानवतावादी, धर्मप्राण और सात्विक वृति के महापुरुष के विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करें।
गोष्ठी में सर्वेश कुमार, पंकज कुमार, मोहन स्वरूप, सौरभ शर्मा, नीता, वैशाली ,पल्लवी, जितेंद्र मिश्रा, बिमल गंगवार आदि उपस्थित रहे ।

 

बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

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