ICICI बैंक की CEO चंदा कोचर पर लगा फैमिली फ्रॉड का आरोप, RBI ने लगाया 58.9 करोड़ रुपये का जुर्माना

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पीएनबी, आईडीबीआई, और ओरियेंटल बैंक के घोटालों के बाद अब बैंकिग सेक्टर के एक ओर बड़े बैंक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है । प्राईवेट बैकिंग सेक्टर के जाने-माने ICICI बैंक और इसकी सीईओ चंदा कोचर वीडियोकॉन को दिए गए 3250 करोड़ रुपए के लोन मामले में सवालों के घेरे में आ गए हैं । बैंक की CEO चंदा कोचर पर वीडियोकॉन ग्रुप को लोन देने में कथित तौर पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद का आरोप लगा है.

दरअसल, दिसंबर 2008 में वीडियोकॉन समूह के मालिक वेणुगोपाल धूत ने बैंक की CEO और MD चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और उनके दो संबंधियों के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई थी. जिसमें दोनों के बीच 3250 करोड़ की स्वीट डील हुई. आरोप है कि 3250 करोड़ का लोन दिलाने में चंदा कोचर ने मदद की. लेकिन, इस लोन का 86 प्रतिशत यानी लगभग 2810 करोड़ रुपए 2017 में बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया.

सिर्फ 9 लाख में बेची कंपनी
65 करोड़ की कंपनी 9 लाख में बेची फिर इस कंपनी को 64 करोड़ का लोन दिया गया। लोन देने वाली कंपनी वेणुगोपाल धूत की थी। बाद में इस कंपनी का मालिकाना हक महज 9 लाख रुपये में उस ट्रस्ट को सौंप दिया गया, जिसकी कमान चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के हाथों में थी। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली यह है कि दीपक कोचर को इस कंपनी का ट्रांसफर वेणुगोपाल द्वारा आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपए का लोन मिलने के छह महीने के बाद किया गया.

 

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एनपीए का ‘खेल’
जानकारी के मुताबिक, ज्वाइंट वेंचर के ट्रांसफर से 6 महीने पहले वीडियोकोन ग्रुप ने आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपए का लोन लिया था, लेकिन 2017 में जब कि वीडियोकॉन पर 86 प्रतिशत लोन अमाउंट यानी कि 2810 करोड़ रुपए बाकी था बैंक ने इस अमाउंट को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) घोषित कर दिया. दरअसल, एनपीए घोषित करने के बाद ही भ्रष्टाचार का मामला सामने आया. क्योंकि, कंपनी चंदा कोचर के पति के दीपक कोचर ट्रांसफर हो चुकी थी. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मामले में जांच एजेंसी धूत-कोचर-आईसीआईसीआई के बीच लेन-देन की जांच कर रही है.

डूबती कंपनियों को कैसे मिला लोन
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कुछ समय पहले ही टॉप डिफॉल्टर कंपनियों की लिस्ट जारी की थी. इस लिस्ट में वीडियोकॉन का नाम था. दरअसल, वीडियोकॉन भी भारी कर्ज के तले दबी थी. जिसकी वजह से उसने बैंकों का पैसा नहीं चुकाया. वीडियोकॉन की दो कंपनियां को इसमें शामिल किया गया हैं, इनमें वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज और टेलिकॉम शामिल थीं. कंपनी पर 40000 करोड़ रुपए का कर्ज है और आरबीआई की दिवालियापन की प्रक्रिया से गुजरने वाली कंपनियों की सूची में वीडियोकॉन का नाम है.

पहले से कर्ज में डूबी थी वीडियोकॉन
वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का साल 2016 में कुल कर्ज 45 हजार करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंचा था. कंपनी जनवरी से दिसंबर का फाइनेंशियल ईयर मानती है. साल 2016 मे कंपनी को 1368 करोड़ का घाटा हुआ था. साल के दौरान ऊंचे कर्ज की वजह से कंपनी की फाइनेंस कॉस्ट 2426 करोड़ रुपए के स्तर पर थी.

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पहले NPA में क्यों नहीं डाला अकाउंट?

जब कोई देनदार अपने बैंक को EMI देने में नाकाम रहता है, तब उसका लोन अकाउंट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) कहलाता है. नियमों के मुताबिक, जब किसी लोन की ईएमआई, प्रिंसिपल या इंटरेस्ट ड्यू डेट के 90 दिन के भीतर नहीं आती है तो उसे एनपीए में डाल दिया जाता है. इसे ऐसे भी लिया जा सकता है कि जब किसी लोन से बैंक को रिटर्न मिलना बंद हो जाता है तब वह उसके लिए एनपीए या बैड लोन हो जाता है. लेकिन, वीडियोकॉन का कर्ज 2017 में एनपीए घोषित किया गया. सूत्रों के मुताबिक, बैंक को वीडियोकॉन लोन से मिलने वाला रिटर्न 2015 से बंद हो चुका था. बैंक ने फिर लोन रिकवरी के लिए कोई कदम नहीं उठाया. इस मामले की जानकारी एक शेयरहोल्डर ने पीएमओ को चिट्ठी लिखकर दी थी.

बैंक ने वीडियोकॉन लोन मामले में जारी किया बयान
आईसीआईसीआई बैंक ने बयान जारी करते हुए कहा, “बोर्ड को बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर पर पूर्ण विश्वास है। ICICI बैंक के बोर्ड का कहना है कि लोने देने की प्रक्रिया में कई डिपार्टमेंट शामिल होते है. इसमें सभी डिपार्टमेंट क्रेडिट रेटिंग से लेकर कई पैमानों पर कंपनियों को परखते है. बैंक का पूरा प्रोसेस पूरी तरह से स्ट्रक्चर्ड है. इसके अलावा बड़े कर्ज बोर्ड की क्रेडिट कमेटी मंजूर करती है. इसमें बैंक के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स भी होते है. तो सवाल यह उठता है कि कर्ज में डूबी कंपनी को इतना बड़ा लोन कैसे और क्यों दिया गया. तथ्यों को देखने के बाद ही बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव समेत भ्रष्टाचार की जो अफवाहें चल रही हैं, उनमें कोई वास्तविकता नहीं है। सोशल मीडिया पर जो भी खबरें चलाई जा रही हैं, उनका उद्देश्य केवल बैंक और उसके प्रमुख की छवि खराब करना है।”

RBI ने लगाया 58.9 करोड़ रुपये का जुर्माना

आरबीआई ने यह जानकारी अपने एक बयान जारी करते हुए कहा , हेल्ड टू मैच्योरिटी (एचटीएम) गाइडलाइन्स का पालन न करने के कारण रिजर्व बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक लिमिडेट पर 58.9 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना केंद्रीय बैंक ने एचटीएम पोर्टफोलियो से प्रतिभूतियों की प्रतियक्ष बिक्री से जुड़े दिशानिर्देशों के उल्लंघन के चलते लगाया गया है।

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