नालंदा के राजगीर में ऐतिहासिक मलमास मेला 16 से होगी शुरूआत, होंगे चार शाही स्नान
राजगीर में 16 मई से शुरू होने वाले ऐतिहासिक धार्मिक मलमास मेला में इस बार चार शाही स्नान होंगे। शाही स्नान के दौरान ब्रह्मकुंड में स्नान करना काफी पावन माना जाता है। यह विशेष फलदायक होता है। शाही स्नान में देशभर के साधु-संत शामिल होते हैं और ब्रह्मकुंड में डुबकी लगाते हैं। तपोवन तीर्थ स्थली पंडा कमेटी के अध्यक्ष सह अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के सदस्य अवधेश उपाध्याय ने बताया कि इस बार पहला शाही स्नान 25 मई (शुक्रवार) को एकादशी स्नान, दूसरा 29 मई (मंगलवार)को पूर्णिमा, तीसरा 10 जून(रविवार) को एकादशी स्नान और चौथा 13 जून (बुधवार)को अमावस्या स्नान होगा।
मलमाल के दौरान राजगीर में वास करतें देवी-देवता:-उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि मलमास मेला के दौरान हिन्दू धर्म के सभी 33 कोटि (प्रकार) देवी-देवता का राजगीर में ही वास होता है। इस कारण देश के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पर फलहार में रहकर स्नान करने आते हैं। कई लोग तो पूरे माह यहीं रहकर रोज कुंड स्नान कर मलमास का लाभ उठाते हैं।
गो-दान व पिण्ड दान : श्री उपाध्याय ने बताया कि यहां पर तीर्थयात्री गो-दान व पिण्ड दान करने के लिए भी आते हैं। इस दौरान वे संतों का दर्शन भी करते हैं। उन्होंने बताया कि शाही स्नान का इस कारण से भी विशेष महत्व है कि इस दिन देश के कोने-कोने से आये हुए साधु व संतों का जत्था कुंडों में स्नान करते हैं। इस दौरान साधु-संतों का दर्शन करना भी बड़ा फलदायक होता है। हिन्दू धर्म के अनुसार संतों का दर्शन भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे भी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि जो लोग एक माह तक स्नान नहीं कर सकते उन लोगों के लिए शाही स्नान के दौरान स्नान करना उतना ही महत्वपूर्ण है जो पूरे माह स्नान करते हैं।
विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों का जमावड़ा :– शाही स्नान के दिन शहर के विभिन्न अखाड़ों से साधुओं की टोली अपने-अपने चेलों व समर्थकों के साथ गाते-बजाते और पारंपरिक कलाओं को दर्शाते हुए आते हैं और वे विभिन्न कुंडों में स्नान करते हैं। शाही स्नान के दौरान साधु -संत सबसे पहले पहला स्नान गुरुनानक कुंड में ही करते हैं। इसके बाद वे सप्तधारा व ब्रह्मकुंड में स्नान कर बाहर निकल जाते हैं। शाही स्नान के दौरान शहर के विभिन्न रास्तों पर भी विशेष सुरक्षा होती है। प्रमुख शाही स्नान-पंडा कमेटी के अध्यक्ष अवधेश उपाध्याय ने बताया कि इस बार चार प्रमुख शाही स्नान हैं।
इसमें तीसरा शाही स्नान रविवार को पड़ रहा है और वह एकादशी भी है। इस कारण उस दिन सबसे अधिक भीड़ होने की संभावना है। हालांकि अन्य सभी शाही स्नान भी काफी महत्वपूर्ण हैं।
शाही स्नान: 25 मई (शुक्रवार) -एकादशी स्नान29 मई (मंगलवार)- पूर्णिमा स्नान10 जून(रविवार) – एकादशी स्नान 13 जून (बुधवार)- अमावस्या स्नान
—– सोनू मिश्रा , नालंदा (बिहार)