जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की गुरुग्राम जोनल यूनिट ने माल की वास्तविक आपूर्ति किये बगैर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) चालानों को धोखाधड़ी से जारी करने के मामले में दो व्यवसायियों को गिरफ्तार किया
इस मामले में 450 करोड़ रुपये की मनगढ़ंत आपूर्ति के कर योग्यस मूल्यल पर लगभग 79.21 करोड़ रुपये की कर चोरी का अनुमान
जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने दो व्यवसायियों यथा विकास गोयल, निदेशक, मेसर्स मीका इंडस्ट्रीज लिमिटेड, दिल्ली एवं भिवाड़ी और मेसर्स सैटेलाइट केबल्स प्राइवेट लिमिटेड और राजू सिंह, प्रोपराइटर, मेसर्स गैलेक्सी मेटल प्रोडक्ट्स को माल की वास्तविक आपूर्ति किये बगैर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) चालानों को धोखाधड़ी से जारी करने के मामले में 14 सितम्बर, 2018 को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में 450 करोड़ रुपये की मनगढ़ंत आपूर्ति के कर योग्य मूल्य पर लगभग 79.21 करोड़ रुपये की कर चोरी का अनुमान लगाया गया है। इतने बड़े पैमाने पर कर चोरी और अपराध की गंभीरता धारा 132 (1) की उप धारा (5) के प्रावधानों के अंतर्गत सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के तहत संज्ञेय और गैर जमानती है। इसे ध्यान में रखते हुए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69 (1) के तहत दोनों व्यवसायियों को गिरफ्तार कर लिया गया और माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमआईसी), गुरुग्राम के समक्ष पेश किया गया।
कई जगहों पर तलाशियां ली गईं, जिस दौरान विभिन्न संदिग्ध दस्तावेज एवं साक्ष्य प्राप्त हुये। जांच के दौरान पता चला कि मेसर्स मीका इंडस्ट्रीज लिमिटेड की कमान संभालने वाले इन कारोबारियों ने मेसर्स गैलेक्सी मेटल प्रोडक्ट्स, दिल्ली और मेसर्स श्रीराम इंडस्ट्रीज, दिल्ली के नाम से दो कंपनियां गठित की थी। ये कंपनियां माल की कुछ भी ढुलाई अथवा इस तरह के लेन-देन के लिए भुगतान किये बगैर ही एक-दूसरे को कुछ इस तरह से फर्जी बिल/चालान जारी करने में शामिल थीं, जिससे ये फर्जी बिल जहां से जारी किये जाते थे, वहीं वे घूम फिर कर वापस आ जाते थे। अत: इस तरह गलत ढंग से ‘फर्जी आईटीसी’ से लाभ उठाया गया। पुष्टि किये जा चुके दस्तावेजी साक्ष्यों के सत्यापन और विभिन्न लोगों के बयान पर गौर करने से यह बात साबित हो गई कि चालान तो जारी किये गये थे, लेकिन उसके एवज में कुछ भी माल की ढुलाई नहीं की गई थी। इन कंपनियों के दोनों ही निदेशकों और दोनों ही प्रोपराइटों ने यह बात मान ली है कि संबंधित लेन-देन के लिए समस्त भुगतान किसी तीसरे पक्ष के समायोजन के जरिये किया गया और यह काम वर्ष के आखिर में किया गया था। इस मामले में चालान-वार कुछ भी वास्तविक भुगतान नहीं किया गया था।
इस दिशा में जांच अभी जारी है तथा कर चोरी वाली राशि के अभी और बढ़ने का अंदेशा है। अधिकारीगण कई और फर्जी कंपनियों के अस्तित्व में होने की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं। मेसर्स मीका इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अन्य निदेशक विजय गुप्ता और मेसर्स श्रीराम इंडस्ट्रीज, दिल्ली के प्रोपराइटर विनोद कुमार अग्रवाल फरार हैं। इन दोनों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं।