देश इतिहास के सबसे बड़े जल संकट से जूझ रहा है, कई शहरों में 2020 तक खत्म हो जाएगा भूजल !
भारत इस समय इतिहास के अपने सबसे चिंताजनक जल संकट से जूझ रहा है। देश के लगभग 60 करोड़ लोगों को पीने के साफ पानी की किल्लत है। ये समस्या अगले दो सालों में और भयावह होने जा रही है। अगले दो साल में देश की राजधानी दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद समेत 24 शहरों में भूजल (जमीन के नीचे मौजूद पानी) भंडार सूख जाएंगे। नीति आयोग ने ये भयावह आंकड़े अपनी ताजा रिपोर्ट में जारी किए हैं। रिपोर्ट बताती है कि इस जल संकट से लगभग 10 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे।
जल संकट की गंभीरता को देखते हुए नीति आयोग की रिपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि देश के तकरीबन 60 करोड़ लोग पानी की भयंकर कमी से जूझ रहे हैं और साफ पानी न मिलने से हर साल 2 लाख लोगों की मौत हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक आगे यह समस्या और विकराल रूप लेने वाली है और पानी की वर्तमान आपूर्ति के मुकाबले 2030 तक आबादी को दोगुनी पानी की आपूर्ति की जरूरत होगी। जिसके चलते करोड़ों लोगों को पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ेगा और इससे जीडीपी में 6 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है।
जल प्रबंधन रिपोर्ट में गुजरात को पहला स्थान मिला है, जिसके बाद मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र का स्थान है। जबकि उत्तर पूर्वी राज्यों में त्रिपुरा टॉप पर रहा है, वहीं पिछले दो वर्षों में राजस्थान ने जल प्रबंधन में अच्छी प्रगति की है।
गडकरी के मुताबिक यह सूचकांक उन राज्यों पर दबाव बनाने में मदद करेगा, जिन्होंने अपनी जल प्रबंधन तकनीकों को बेहतर बनाने के लिए अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, क्योंकि यह सीधे राज्यों में कृषि की समृद्धि से जुड़ा हुआ है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि देश में पानी की स्थिति अच्छी नहीं है। पिछले 70 साल में इस पर ध्यान नहीं दिया गया। हर साल इतनी बारिश होती है, बाढ़ आती है लेकिन हमने कभी सोचा ही नहीं कि कभी पानी की समस्या भी हो सकती है। अब स्थिति ऐसी हो गई है कि इस विषय को गंभीरता से लेना होगा। यदि हम अपने शहरों को केपटाउन नहीं बनाना चाहते तो अभी से जल प्रबंधन शुरू करना होगा।
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