भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कर्नाटक के चार नगरों में शहरी सेवाओं को बेहतर करने के लिए 75 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए
भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कर्नाटक के चार तटीय शहरों कुंडापुरा, मंगलोर, पुत्तुर एवं उडूपी में चौबीसों घंटे जलापूर्ति मुहैया कराने और मंगलोर शहर में स्वच्छता से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को बेहतर करने के लिए आज नई दिल्ली में 75 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।
कर्नाटक एकीकृत शहरी जल प्रबंधन निवेश कार्यक्रम से संबंधित दूसरी किस्त वाले ऋण समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में अपर सचिव (फंड बैंक एवं एडीबी) श्री समीर कुमार खरे और एशियाई विकास बैंक की ओर से एडीबी के भारत निवासी मिशन के डिप्टी कंट्री डायरेक्टर श्री सब्यसाची मित्रा ने हस्ताक्षर किए।
एडीबी के बोर्ड द्वारा वर्ष 2014 में मंजूर किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य कर्नाटक की चुनिंदा नदी घाटियों में शहरी जल संसाधन के प्रबंधन को बेहतर करना है। शहरी जलापूर्ति एवं स्वच्छता से जुड़े बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण एवं विस्तारीकरण के जरिए यह कार्य पूरा किया जाएगा। इसका एक उद्देश्य संबंधित संस्थानों को सुदृढ़ बनाना भी है, ताकि जल उपयोग से जुड़ी दक्षता एवं जल संसाधन से संबंधित नियोजन, निगरानी और सेवा डिलीवरी व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके। 75 मिलियन डॉलर के पहली किस्त वाले ऋण से इस राज्य के तीन अन्य शहरों अथवा कस्बों यथा बयादगी, देवनगेरे और हरिहर में शहरी जलापूर्ति एवं स्वच्छता सेवाओं से जुड़ी व्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद मिल रही है।
निवेश कार्यक्रम से कर्नाटक के चार तटीय शहरों में रहने वाले लोगों को पाइपलाइन के जरिए निरंतर जलापूर्ति करने और जल के दक्ष एवं सतत उपयोग को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है। श्री खरे ने कहा कि इसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित स्मार्ट जल प्रबंधन प्रणाली अपनाई जाएगी और जल संरक्षण एवं मांग प्रबंधन से जुड़े समुदाय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
श्री मित्रा ने कहा कि लगभग 10 लाख लोगों को पाइपलाइन के जरिए निरंतर जलापूर्ति करने के साथ-साथ बेहतर स्वच्छता सेवाएं मुहैया कराने के अलावा यह कार्यक्रम शहरी स्थानीय निकायों को दक्ष एवं उत्तरदायी शहरी जल सेवाप्रदाता बनने में भी मददगार साबित हो रहा है।
एशियाई विकास बैंक द्वारा इस राज्य में एक अन्य शहरी परियोजना में प्रायोगिक आधार पर शुरू की गई‘प्रदर्शन आधारित निर्माण एवं परिचालन अनुबंध (पीबीसीओसी)’ विधि के प्रावधान से सार्वजनिक क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र के ऑपरेटर के बीच अपेक्षित जोखिम आवंटन के जरिए सतत रूप से जल सेवा प्रदान करने में मदद मिलेगी।
इस परियोजना से जुड़ी धनराशि का उपयोग जल शोधन उत्पादन क्षमता में लगभग 16 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) की वृद्धि करने, लगभग 90 किलोमीटर लंबी नई जल पारेषण लाइनों एवं फीडर मेन लाइनों को बिछाने, 29 ओवरहेड टैंकों एवं जमीनी स्तर के चार वितरण जलाशयों का निर्माण करने और जल प्रवाह तथा जल दबाव के केन्द्रीय पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए शहर स्तरीय पर्यवेक्षी नियंत्रण व डेटा अधिग्रहण प्रणाली स्थापित करने में किया जाएगा। अन्य कार्यों में 1,300 किलोमीटर लंबा वितरण नेटवर्क और नए मीटरों के साथ लगभग 1,40,000 घरेलू कनेक्शनों का प्रावधान शामिल हैं। मंगलोर में नए सिरे से सीवरेज प्रणाली की बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए लगभग 11 किलोमीटर लंबी पंपिंग मेन लाइनें स्थापित की जाएंगी।