सरकार का किसान नेताओं को तोड़ने का प्रयास !
जब कृषि मंत्री ने कल सुबह ही साफ कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी के निर्देशानुसार या कानून में संशोधनों के अलावा कोई बात नहीं होगी तो उसी समय ये आशंकाएं प्रबल होने लगी कि अब सरकार किसान नेताओं को तोड़ने का प्रयास करेगी और मीडिया की जमकर मदद ली जाएगी।
मध्यप्रदेश के भारतीय किसान मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्काजी का उसके बाद बयान आया कि भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी विपक्षी राजनेताओं के साथ बातचीत कर रहे है व उन पर कांग्रेस से 10 करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया गया है!इतना बयान देते ही गोदी मीडिया ने पूरा मोर्चा संभाल लिया है!
इस किसान आंदोलन की सबसे मजबूत कड़ी गुरनाम सिंह चढूनी है जिन्होंने सोए हुए हरियाणा के किसानों को जगाकर पंजाब की जत्थेबंदियों को बेरिकेड तोड़ते हुए दिल्ली के बॉर्डर तक पहुंचाया व पूरे हरियाणा को टोलफ्री करवा दिया।हरियाणा में किसानों ने सरकारी कार्यक्रमों पर ब्रेक लगाया है तो उसके पीछे बुजुर्ग गुरनाम सिंह की जवानी है।हरियाणा सरकार संकट में है तो उसको बचाने के लिए केंद्र सरकार ने ताकत झोंक दी है।
इस आंदोलन के बीच मीडिया द्वारा हाईलाइट किया जा रहा है कि गुरनाम सिंह के राजनैतिक तालुकात रहे है व चुनाव भी लड़ चुके है।इस हिसाब से तो किसान नेताओं के ही नहीं बल्कि हर किसान का किसी न किसी नेता या पार्टी से ताल्लुकात रहे है।आरोप लगाने वाले कक्काजी आरएसएस के अनुषांगिक संगठन “भारतीय किसान संघ ” के मध्यप्रदेश महामंत्री व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके है।शिवराज सिंह के साथ अनबन के कारण अपना अलग संगठन बना लिया।
साफ है सरकार ने कानून वापिस लेने की वार्ता के दरवाजे बंद कर दिए है तो अब अंतिम विकल्प यही बचा है कि इस आंदोलन को साम,दाम,दंड,भेद मतलब हर तरीका अपनाकर तोड़ा जाएं।इतने बड़े,अनुशासित व संगठित आंदोलन को लाठी के दम पर नहीं कुचला जा सकता इसलिए किसान नेताओं में फूट डालकर आंदोलन को कमजोर करने की रणनीति पर काम चल रहा है।
लाखों की संख्या में सड़कों पर बैठे किसान सब समझ रहे है।किसान नेताओं ने अबतक एकजुटता व मजबूती का नायाब नमूना पेश किया है इसे कमजोर नहीं होने देना चाहिए।जो इस आंदोलन की गाड़ी से कूदने की कोशिश करेगा वो खुद ही अपनी कब्र खोद लेगा।
किसानों को सरकार व मीडिया के जाल में फँसकर राय बनाने या आरोप-प्रत्यारोप से बचना चाहिए।आंदोलन चरम पर है व छोटी सी गलती भारी पड़ सकती है।एनआईए के बाद ईडी,सीबीआई आदि सब मैदान में उतारे जाएंगे!गुरनाम सिंह जी को चाहिए कि जो कमेटी बनी है वो जो भी फैसला करें मगर डटे रहे।आप हरियाणा के किसानों के अगुआ हो और पूरा हरियाणा आपकी तरफ सम्मान व उम्मीदभरी नजरों से देख रहा है।
बरेली से मोहम्मद शीराज़ खान की रिपोर्ट !