वित्‍त मंत्री ने सामाजिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व विचार-विमर्श किया

केन्‍द्रीय वित्‍त और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्‍ली में सामाजिक क्षेत्र के समूहों के साझेदारों के साथ बजट पूर्व विचार-विमर्श किया।

बातचीत की शुरूआत में श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सामाजिक बुनियादी ढांचा क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और अन्‍य सेवाओं में सार्वजनिक निवेश लोगों के जीवन की गुणवत्‍ता का एक प्रमुख निर्धारक है। उन्‍होंने कहा कि वर्तमान सरकार शैक्षणिक स्‍तर में सुधार, युवाओं को कौशल प्रदान करने, नौकरियों के अवसर बढ़ाने, बीमारी का बोझ कम करने, महिलाओं को अधिकार सम्‍पन्‍न बनाने और समग्र विकास के लिए मानव विकास में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस बैठक में जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया उनमें स्‍वास्‍थ्‍य (प्राइमरी स्‍वास्‍थ्‍य और तृतीय सेवाओं, आयुष और आयुर्वेद), शिक्षा (स्‍कूली और यूनिवर्सिटी शिक्षा, निजी और सार्वजनिक शिक्षा), सामाजिक संरक्षण (वृद्धावस्‍था, महिला और बच्‍चे, दलित और अन्‍य पिछड़ा वर्ग तथा युवा), पेंशन और मानव विकास आदि शामिल हैं।

वित्‍त मंत्री के साथ इस बैठक में वित्‍त सचिव श्री सुभाष सी. गर्ग, व्‍यय सचिव श्री गिरीश चन्‍द्र मुरमु, राजस्‍व सचिव श्री अजय भूषण पांडेय, सचिव, डीएफएस श्री राजीव कुमार, महिला और बाल विकास मंत्रालय में सचिव श्री रविन्‍दर पवार, स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान विभाग में सचिव श्री बलराम भार्गव, स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण विभाग में सचिव श्रीमती प्रीति सूदन, श्रम और रोजगार मंत्रालय में सचिव श्री हीरालाल समरिया, सीबीडीटी के अध्‍यक्ष श्री प्रमोद चन्‍द्र मोदी, सीबीआईसी के अध्‍यक्ष श्री पी.के. दास, सीईए डॉक्‍टर के.वी. सुब्रह्मण्‍यम और वित्‍त मंत्रालय के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी शामिल हुए।

बैठक में सामाजिक क्षेत्र के साझेदारों ने अनेक सुझाव दिए, जिनमें शिक्षा और सफाई खासतौर से ग्रामीण महिलाओं के लिए स्‍वच्‍छता सहित शहरों का लेखा परीक्षण, ताकि महिलाओं की सुरक्षा मजबूत करने के लिए सुरक्षा खामियों की पहचान की जा सके, शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के पोषण के लिए अधिक बजटीय आवंटन, सभी जिलों में महिलाओं के लिए एक केन्‍द्र को पूरी तरह संचालन योग्‍य बनाना, स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के ढांचे का विस्‍तार, मुफ्त दवाओं और नैदानिक सुविधाओं का प्रावधान, चिकित्‍सा उपकरणों पर करों को युक्ति संगत बनाना, द्व‍ितीय और तृतीय स्‍तर की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के क्षेत्र में सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा, इलेक्‍ट्रॉनिक और परिवहन संपर्क के साथ क्‍लस्‍टर आधारित दृष्टिकोण पर मॉडल स्‍कूलों का सृजन, मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति योजना के लिए आवंटन बढ़ाना, पुरस्‍कार शुरू करके अध्‍यापकों के योगदान को पहचानना और प्रोत्‍साहन, बाल श्रम को संरक्षण प्रदान करने के लिए निवेश, फल और सब्जियां खाने को बढ़ावा देना, मीठे और नमकीन उत्‍पादों पर अधिक कराधान, स्‍वच्‍छता आदतों में निवेश, ग्रामीण मल विष्‍ठा संबंधी कीचड़ प्रबंधन नीति बनाना, युवा आबादी के बीच सामाजिक उद्यमिता को बढ़ावा, बेकार पानी का पुर्नचक्रण और वर्षा के पानी से सिंचाई के लिए वित्‍तीय प्रोत्‍साहन, खुले में शौच मुक्‍त पंचायतों की तर्ज पर कुपोषण मुक्‍त पंचायतें घोषित करना, विशेष स्‍कूलों और पुनर्वास केन्‍द्रों के लिए बजटीय आवंटन में वृद्धि करना शामिल है।

सामाजिक क्षेत्र के साझेदारों में राष्‍ट्रीय महिला आयोग की अध्‍यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा, बजट और शासन जवाबदेही केन्‍द्र के कार्यक्रम निदेशक श्री असदुल्‍ला, भारतीय वाणिज्‍य और उद्योग महासंघ,फिक्‍की के अध्‍यक्ष श्री अरविन्‍द लाल, फिक्‍की के संस्‍थापक अध्‍यक्ष श्री प्रभात जैन, भारत में यूनीसेफ की प्रतिनिधि श्रीमती यास्मिन अली, इंडियन स्‍कूल आफ बिजनेस के वित्‍त निदेशक श्री वैद्य नाथ के.,सेंटर फॉर पोलिसी रिसर्च की अध्‍यक्ष श्रीमती यामनी अय्यर, दलित मानवाधिकारों पर राष्‍ट्रीय अभियान की महासचिव श्रीमती बीना पल्‍लीकल, नेशनल फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक श्रीमती यशोधरा दास गुप्‍ता, हेल्‍प एज इंडिया के मुख्‍य संचालन अधिकारी श्री रोहित प्रसाद, भारतीय स्‍वयं सेवी स्‍वास्‍थ्‍य एसोसिएशन के वरिष्‍ठ सलाहकार श्री अमित शोवन रे, जनाग्रह सेंटर फॉर सिटीजनशिप एंड डेमोक्रेसी के सीईओ श्री श्रीकांत विश्‍वनाथन तथा राष्‍ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्‍यक्ष श्रीमती प्रियंका कानूनगो शामिल थीं।

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