FILMI DUNIYA- महान हास्य कलाकार केश्टो मुखर्जी की 95वीं जन्मजयंती पर विशेष-शोले फ़िल्म के हरिराम नाई

केश्टो मुखर्जी का नाम लेते ही हिचकी लेते हुए कोई शराबी याद आता है। हिन्दी फ़िल्मों में शायद ही उनसे ज़्यादा शराबी का किरदार किसी और ने निभाया होगा।
उनके शराबी के किरदार की शुरुआत किस तरह हुई यह भी एक रोचक क़िस्सा है। शुरू में बंगाली फ़िल्मों में काम करते थे पर बाद में काम की तलाश में बॉम्बे आ गए और हिंदी फ़िल्मों में छोटे छोटे रोल करने लगे। एक दिन प्रसिद्ध निर्देशक असित सेन एक फ़िल्म बना रहे थे ‘माँ और ममता’ उन्होंने केश्टो मुखर्जी से पूछा, “शराबी की एक्टिंग करेगा।” केश्टो ने अपने स्वयं को धमकी देते हुए कहा अगर ज़िंदा रहना है तो हाँ कर दे और उन्होंने असित दा को हाँ कर दी। इसके बाद उन्होंने शराबी की हरकतों को ध्यान से देखना प्रारंभ किया। उन्होंने देखा शराब पीने के बाद शराबी लोग मचलते हैं, खूंखार होकर हंगामा करते हैं, चुपचाप बिस्तर में जा कर सो जाते हैं,ऐसी हरकतें करते हैं जिसे हास्य पैदा है और आम जनता का मनोरंजन होता है ! केश्टो ने अंतिम विकल्प चुना। ‘माँ और ममता’ फ़िल्म में उनका शराबी का अभिनय सबको इतना अच्छा लगा कि उसके बाद हर पटकथा लेखक को निर्देश दे दिए गए कि उनकी पटकथा में एक शराबी का रोल अवश्य रखा जाए जो केश्टो पर फ़िल्माया जायेगा। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इस शराबी की एक्टिंग में सिद्धहस्त इस महान अभिनेता ने अपनी पूरी ज़िंदगी में शराब को कभी चखा भी नहीं था। उन्होंने फ़िल्म जगत में यह सिद्ध कर दिया कि छोटे छोटे किरदार निभा कर भी आप अपने अभिनय के बलबूते पर फ़िल्म को सुपर हिट करवा सकते हो। लगभग 150 फ़िल्मों में उन्होंने अभिनय किया । ज़्यादातर फ़िल्मों में उनका रोल छोटा ही था पर उन्होंने अपने शानदार अभिनय से हर फ़िल्म में अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराई । उदाहरण के लिए चाहे वह फ़िल्म शोले का हरिराम नाई का हो या चुपके चुपके का ड्राइवर जेम्स डिकोस्टा हो । उनकी बोलती आँखें बगैर संवाद के ही बहुत कुछ बोल देती थीं। मेरे विचार में यह उनके अभिनय की सबसे बड़ी ताकत थी। महान फ़िल्म निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी और गुलज़ार ने अपनी लगभग हर फ़िल्म में केश्टो से अभिनय करवाया। उनकी उल्लेखनीय फ़िल्मों में प्रमुखतः तीसरी क़सम (1966), साधू और शैतान, पड़ोसन (1968), परिचय (1972), जंज़ीर (1973), आप की क़सम (1974), शोले (1975) और हमराही शामिल हैं। महमूद की .. बॉम्बे टू गोवा (1971) में उनकी डेटिंग यात्री की भूमिका बहुत शानदार थी। “गोलमाल” (1979) में केश्टो मुखर्जी की संक्षिप्त भूमिका में एक शराबी के रूप में इनकी गिरफ्तारी है। उत्प्ल दत्त से थाने में हुई मुठभेड़ सबसे हास्यस्पद दृश्यों में से एक था। सन 1973 में मोहन चोटी की फ़िल्म “धोती लोटा और चौपाटी” में महमूद के साथ यादगार भूमिका निभाई थी। केश्टो के प्रदर्शनों ने लंबे समय तक चलने वाली छाप छोड़ी है !
बरेली से मोहम्मद शीराज़ ख़ान की रिपोर्ट !

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