पन्द्रहवें वेतन आयोग की आर्थिक सलाहकार परिषद् की पांचवी बैठक आयोजित
नयी दिल्ली में आज पन्द्रहवें वित्त आयोग की सलाहकार परिषद् की पांचवी बैठक आयोजित हुई। वित्त आयोग और सलाहकार परिषद् के सदस्य तथा कुछ विशेष आमंत्रित लोग बैठक में शामिल हुए ।
बैठक में सलाहकार परिषद् के सदस्यों को आयोग का कार्यकाल अक्टूबर 2020 तक बढ़ाए जाने की जानकारी दी गई। आयोग से 2020-21 की रिपोर्ट तथा 2021-22 से 2025-26 की पांच वर्ष की अवधि के लिए दूसरी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया। सलाहकार परिषद् को पहली रिपोर्ट पेश करने के संबंध में जानकारी दी गई और बताया गया कि 2021-26 की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
इसके अलावा बैठक में जिन अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई वह इस प्रकार हैं: –
- आयोग की बढ़ाई गई अवधि के लिए वास्तविक विकास, मुद्रास्फीति आदि से संबंधित संभावित वृहद मान्यताओं पर विस्तार से चर्चा की गई। मुद्रास्फीति में संरचनात्मक बदलाव, जीडीपी अपस्फीति और उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति तथा वास्तविक गतिविधियों के संभावित प्रक्षेपथ के बीच संबंधों पर भी चर्चा की गई।
- केन्द्र और राज्यों के स्तर पर उभर रहे कर राजस्व संग्रह और व्यय के तौर तरीकों तथा अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए कर संग्रह में सुधार का संभव तरीकों पर बात की गई।
- वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) के स्थिरीकरण से संबंधित मुद्दे, जीएसटी परिषद और वित्त आयोग के बीच संबंध तथा राज्यों को किए जाने वाले जीएसटी मुआवजे के भुगतान के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
- संबंधित सरकारों द्वारा अधिनियमित राजकोषीय उत्तरदायित्व विधानों (एफआरएलएस) के अनुपालन और पालन से संबंधित मुद्दों और राजकोषीय पारदर्शिता लाने की आवश्यकता को चर्चाओं में रेखांकित किया गया।
इस अवसर पर बैठक में सलाहकार परिषद् के सदस्य डा.एम गोविंद राव, डा.इंदिरा राजारामन, डा.सुदिप्तो मुंडले, डा. ओंकार गोवास्वामी, डा.अरविंद विरमानी,डा. सुरजीत भल्ला और डा. प्राची मिश्रा मौजूद थे।
बैठक में डा.अजीत मिश्रा, डा. मनोज पांडा, डा.रथिन रॉय, डा.कविता राव तथा डा.पूजा मेहरा को विशेष अतिथि सदस्य के रूप में आमंत्रि किया गया था।