कृषि अध्यादेशों के विरोध में किसानों ने भरी हुंकार

भाकियू ने धरना देकर की विधेयकों को वापस लेने की मांग
एटा। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों ने मोर्चा खोल दिया है। भारतीय किसान यूनियन (भानु) के बैनर तले किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ सोमवार को कलेक्ट्रेट स्थित धरना प्रदर्शन स्थल पर नारेबाजी की। वहीं धरना देते हुए राष्ट्रपति से इन विधेयकों को वापस कराने की मांग की है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि विधेयकों को वापस नहीं लिया गया, तो दिल्ली के रामलीला मैदान में किसानों का विशाल प्रदर्शन होगा।
इस दौरान भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठा. भानुप्रताप सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार किसान विरोधी विधेयक लाकर किसानों के अस्तित्व को समाप्त करना चाहती है ताकि उद्योगपतियों को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मंडियों को समाप्त करना चाह रही है ताकि प्राइवेट आढ़तियों को लाभ पहुंचाया जा सके। यदि मंडी बंद हो जाती है तो प्राइवेट आढ़ती औने-पौने दामों में किसानों की फसलों को खरीदेंगे। इससे किसानों को प्राइवेट आढ़तियों के अलावा अन्य कोई विकल्प अपनी फसलें बेचने को नहीं बचेगा।
इसीक्रम में किसानों ने मांगों को लेकर प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपा, जोकि राष्ट्रपति के नाम भेजा गया है। इसमें किसानों की मांग की है कि किसान विरोधी तीनों अध्यादेशों को रद्द कराया जाए। वहीं कहा गया कि किसान आयोग का गठन कर उसमें किसानों को सामिल किया जाए, नेताओं को नही। किसानों को आत्महत्या करने से बचाने के लिए किसान कर्ज माफ किया जाए। 60 वर्ष से ऊपर के किसानों को 10000 रुपए पेंशन दी जाए।
वहीं डीजल, पेट्रोल, रसोई, गैस, विद्युत और रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की मूल्य वृद्धि पर रोक लगाई जाए। लाॅकडाउन से पूर्व हुई ओलावृष्टि से बर्वाद हुईं फसलों का बुआवजा दिलाया जाए। किसान सम्मान निधि में हुए घोटाले की सीबीआई जांच कराई जाए। इस दौरान किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो दिल्ली के रामलीला मैदान में लाखों किसान आंदोलन करने को विवश होंगे। मांग करने वालों में राष्ट्रीय महासचिव संतोष यादव प्रधान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेन्द्र सिंह के अलावा बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।
लखनऊ से राघवेंद्र सिंह की रिपोर्ट !

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