परिजन महिलाओं को ‘आत्मनिर्भर’ में सहयोग कर बाजार के मिलावटी खाद्य पदार्थो से बचें!
बाजार में मिलावट के विरुद्ध हुई छापामारी का परिणाम सामने कम ही आता है ? — निर्भय सक्सेना — मिलावट को रोकने के लिए अगर हम सब अपने परिवार की महिलाओं को सभी परिजन ‘आत्मनिर्भर’ बनाने में कुछ सहयोग करें तो वह भी घर पर ही आलू के चिप्स, पापड़, कचरी, गुझिया, देसी रंग के साथ ही मसालों को बनाकर बाजार के मिलावट वाले खाने पीने के समान से अपने परिवार को बचा सकती हैं। होली का त्योहार पास आते ही बाजारों में मिलावटी रंग बिरंगी कचरी, पापड़, मिलावटी मावा, खाद्य पदार्थो के साथ ही केमिकल बाले रंग के साथ ही मिलावटी गुलाल की भी भरमार हो गई है। अगर आप और हम भी थोड़ा जागरूक होकर ऐसे सामान का बहिष्कार करना शुरू कर दें तो बाजार में मांग कम होने पर आगामी सालो में मिलावटी समान भी बाजार से उसी प्रकार कम हो जाएगा जैसे बाजार से आजकल चीन की पिचकारियां अब कम ही नजर आती हैं। त्योहार पर आजकल भी मिलावट पर छापामारी हो रही है पर परिणाम कब आएगा पता नहीं। जिस कारण अच्छा खाद्य सामान बेचने बाले भी परेशान या डरे डरे रहते हैं। बाजार में आजकल आलू की भरमार है। आप भी बाजार से आलू लाकर पुराने संयुक्त परिवार को याद कर अपने आजकल के एकल परिवार में भी कुछ समय निकाल कर आलू के चिप्स, कचरी, पापड़, गुझिया आदि बना सकती हैं। अपनी घरेलू मांग के हिसाब से बच्चों के साथ यह उत्पाद बना कर आप भी उन्हें घरेलू उत्पादों को बनाने की दिशा में शिक्षित ही नहीं मिलावट सामान से बचने में भी जागरूक करने का संदेश दे सकती है। घर मे आप भी खड़े मसालों को मिक्सर ग्राइंडर में पीस कर शुद्ध मसालों से एक और जहाँ आने परिवार के स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकती हैं। साथ ही मसालों के कथित ब्रांडेड उत्पाद से बचकर अपनी काफी धनराशि भी बचा सकती हैं। अब होली त्यौहार में कुछ दिन ही शेष हैं। कोरोना काल मे यह यह होली का पर्व है। जिस में हम सभी को सावधानी रखने की बहुत आवश्यकता भी है। होली पर
बाजार में मावा (खोया) की मांग
बढ़ने से मिलावटी माल भी बाजार में आ गया है। बाजार में मावा की मांग बढ़ने के साथ अब उसकी गुणवत्ता भी घट गई है। बाजार में रवादार खोया/मावा के अलावा पाउडर वाला, शकरकंदी मिला या सप्रेटा मावा तक बेचा जा रहा है। हर मावा की कीमत में 50 से 80 रुपये का अंतर है। बाजार में मिलावटी मावा की भरमार है। जिसमे आप सभी को बाजार से खोया/मावा खरीदने में सावधानी रखना जरूरी है।
कुतुबखाना के खोया मंडी में
खोया- मावा की कई दुकानें हैं। जहां ग्रामीण एरिया से पल्लों में खोया आता है। यहां खुले में पल्लों में रखकर मावा बिकता है। दुकानदारों के अनुसार से सबसे अच्छा मावा 400 रुपये किलो तक है। क्योंकि 1 किलो अच्छे दूध में केवल 270 275 ग्राम तक ही खोया ही बनता है। इससे ही आप अनुमान लगा सकते है कि ईंधन मेहनत बाजार तक लाने का किराया जोड़कर खोया की क्या लागत होती है। इसलिए कम दाम में आपको केवल मिलावट का मावा ही 200 से 250 रुपये किलो बेचा जाता है जबकि अच्छा मावा 350 से 400 रुपये किलो ही ग्राहकों को मिल
पाता है। होली पर क्योंकि मांग एवम आपूर्ति का भारी अंतर होता है। कुतुबखाना के दुकानदारों का कहना है कि बदायूं, आंवला, फरीदपुर की और से वाले दूधिया या अन्य लोग ही अपने घर से मावा तैयार करके बरेली की खोया मंडी में लाते हैं। बरेली की खोया मंडी से कई कुंतल खोया रोज पर्वतीय एरिया को भी सप्लाई होता है। आजकल रोज ही एफ एफ एस आई बाजार में छापेमारी कर मिलावटी खाध पदार्थ सीज कर रही है। गत दिनों ही परसाखेड़ा में रंगीन कचरी पापड़ भी पकड़े गया थे। बरेली में तो कुछ मिलावटखोर भामाशाह बनकर कुछ नेताओं का भी कथित संरक्षण पा रहे हैं। इसलिए उन पर की गई छापामारी का भी परिणाम सामने कम ही आ पाता है?। निर्भय सक्सेना, पत्रकार बरेली। 9411005249 7060205249
बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !