जल्दी बने बच्चों की वैक्सीन
देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। हमारे स्वास्थ्य विशेषज्ञ देश में तीसरी लहर के आने की चेतावनी दे रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ यह भी आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि तीसरी लहर का कोरोना वेरिएंट दूसरी लहर से भी अधिक घातक होगा। उनके अनुसार तीसरी लहर का वैरिएन्ट बच्चों को बहुत तेजी से अपनी गिरफ्त में लेगा। इसलिए वे सरकार को सलाह दे रहे हैं कि तीसरी लहर से कारगर ढंग से निपटने के लिए अभी से मजबूत स्वास्थ्य संचार विकसित किया जाए जिससे मौतों के आंकड़ों को कम से कम किया जा सके।
बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं उन्हें कोरोना की आपदा से सुरक्षित रखना जरूरी है। बाल स्वभाव को देखते हुए उनसे कोरोना प्रोटोकॉल के पूरी तरह से पालन करने की उम्मीद करना भी बेमानी है। ऐसे में वैक्सीन ही उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित रख सकती है। इसलिए हमारे देश में बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन शीघ्र से शीघ्र बनना जरूरी है। अमेरिका में बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन बन गई है और 12 से 15 वर्ष तक के बच्चों में इसका वैक्सीनेशन भी शुरू हो चुका है। कनाडा में भी बच्चों का वैक्सीनेशन प्रारम्भ हो गया है।
हमारे देश में बच्चों की वैक्सीन बनाने का काम शुरू हो चुका है। को-वैक्सीन बनाने वाली फार्मा कम्पनी बायोटेक बच्चों की वैक्सीन बनाने के काम में लगी हुई है। मगर कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए इस काम में तेजी लाने की आवश्यकता है। देश की एक-दो और फार्मा कम्पनियों को भी बच्चों की वैक्सीन बनाने के काम में लगाया जा सकता है। देश में विश्व के श्रेष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ, वैज्ञानिक एवं विश्व स्तरीय फार्मा कम्पनियां है। वे सब मिलकर बच्चों की वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाए यह समय की आवश्यकता है।
देश में एक माह से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों एवं किशोरों की कुल संख्या देश की आबादी का लगभग 30 प्रतिशत है। एक अधिकारिक आंकलन के अनुसार देश में बच्चों एवं किशोरों की कुल संख्या 36 करोड़ के आस-पास है। इतनी विशाल संख्या को वैक्सीन उपलब्ध कराने और उनका वैक्सीनेशन करने में समय लगेगा। इसलिए जितनी जल्दी सम्भव हो बच्चों एवं किशोरों के लिए पर्याप्त संख्या में वैक्सीन का उत्पादन सुनिश्चित करना चाहिए जिससे समय रहते बच्चों का वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो सके।
सुरेश बाबू मिश्रा
सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, बरेली
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बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !