होली पर पांचाल शिरोमणि से डा. अनिल और लाल बहादुर हुए सम्मानित,कवियों ने होली गीतों से समां बांधा
बरेली। साहित्यिक संस्था शब्दांगन के तत्वावधान में केंद्रीय कार्यालय बिहारी पुर खत्रियान बरेली पर पांचाल शिरोमणि सम्मान से राष्ट्रपति पुरस्कार से से पुरस्कृत लाल बहादुर गंगवार और राज्य संदर्भ समूह के सदस्य डा. अनिल चौबे को सम्मानित किया गया. दोनों को सुनहरी माला, उत्तरीय, स्मृति चिन्ह् और पगड़ी पहनाकर डा. सुरेश रस्तोगी, इंद्र देव त्रिवेदी और रामकुमार अफरोज ने हार्दिक अभिनंदन किया।
ज्ञातव्य है कि विगत तीस वर्षों से पांचाल शिरोमणि सम्मान से साहित्कारों और शिक्षाविदों को सम्मानित किया जाता रहा है।
होली के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम का प्रारंभ कवि शिवशंकर यजुर्वेदी की वाणी वंदना से हुआ. कवियों की रोचक कविताओं ने भी समां बांधा. अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए रामकुमार अफरोज ने कहा
” होली तो आई यहाँ, ना आये मनमीत.
डालूं किसपर रंग मैं, संग नहीं हैं मीत.
अपनी रचना पढ़ते हुए कवि शिवशंकर यजुर्वेदी ने समां बांधा-
” बैरिन मलयानिल चली,
होली पर मृदु पीर.
अंग – अंग घायल करें,
काम कुसुम के तीर.”
अध्यक्षता कर रहे डा. सुरेश रस्तोगी का गीत भी खूब पसंद किया गया-
” घर बाहर होली के टोले
मौसम मस्त बहारों का है.”
संचालन कर रहे शब्दांगन के महामंत्री इंद्र देव त्रिवेदी की ग़ज़ल पर खूब तालियां बजीं –
” निखरा- निखरा शबाब होली पर.
लगता लिख दूं किताब होली पर.
कैसे पहचानूं कौन है अंदर,
मुंह पर डाला नकाब होली पर. ”
अन्य प्रमुख कवियों में राम प्रकाश सिंह ओज, सतीश शर्मा, डा. रवि प्रकाश शर्मा, प्रवीण कुमार शर्मा, लाल बहादुर गंगवार और डा. अनिल चौबे की रचनाओं ने भी होली पर समां बांध दिया।
कार्यक्रम का संचालन महामंत्री इंद्र देव त्रिवेदी ने किया और सभी का आभार डा. रवि प्रकाश शर्मा ने किया।
बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !