ICA का फरमान – नहीं मानें FDI रूल्स, फ्लिपकार्ट और अमेजॉन पर होगी कार्रवाई

 

 

ICA का आरोप है कि ये ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। ICA का कहना है कि मोबाइल फोन और दूसरे उत्पादों पर इंटरमीडियरीज या पार्टनर कंपनियों के जरिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से डिस्काउंट देकर ये प्लेटफॉर्म नियमों को धता बता रहे हैं। ई-कॉमर्स सेगमेंट में भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी फ्लिपकार्ट बिक सकती है. कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रही फ्लिपकार्ट को खरीदने के लिए दो बड़ी कंपनियों ने ऑफर करने का मन भी बना लिया है, जबकि दूसरी ओर मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली कंपनियों के संगठन इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन (ICA) ने कॉमर्स मिनिस्ट्री से कहा है कि अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर कार्रवाई की जाए।

ICA के प्रतिनिधियों ने इस संबंध में कॉमर्स मिनिस्टर सुरेश प्रभु से हाल में मुलाकात भी की थी। ICA ने कहा कि ये कंपनियां एफडीआई पर प्रेस नोट 3 के तहत आने वाले नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। उसने कहा कि इनवेंटरी बनाकर और इलेक्ट्रॉनिक गुड्स की कीमतों को प्रभावित कर ये कंपनियां ऑफलाइन रिटेलर्स की कमाई को चोट पहुंचा रही हैं और इस तरह करीब 6 करोड़ लोगों के रोजगार को खतरे में डाल रही हैं।

ICA ने पिछले महीने प्रभु को लिखे पत्र में कहा था, ‘इंडस्ट्री और भारत जिस चिंताजनक स्थिति का सामना कर रहे हैं, उसे देखते हुए हम अनुरोध कर रहे हैं कि मोबाइल फोन और अन्य उत्पादों के बिक्री मूल्य को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हुए प्रेस नोट 3 की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए ऐमजॉन इंडिया और फ्लिपकार्ट के खिलाफ तुरंत कड़ी कार्रवाई की जाए।’ ईटी ने इस पत्र की प्रति देखी है।

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ICA में ऐपल, माइक्रोमैक्स, नोकिया, विवो, लावा और लेनोवो/मोटोरोला जैसी हैंडसेट कंपनियां मेंबर हैं। ICA ने प्रेस नोट 3 और अन्य संबंधित कानूनों में ‘जरूरी संशोधन’ करने की मांग भी की है ताकि उल्लंघन करने वालों को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत ‘गंभीर परिणाम’ भुगतना पड़े। ICA ने कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों की इस हरकत को ‘देश के खिलाफ आर्थिक आतंकवाद माना जाए।’

प्रेस नोट 3 के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों में 100 पर्सेंट एफडीआई ऑटोमैटिक रूट से आ सकता है, बशर्ते कंपनियां बिजनस टु बिजनेस सेल्स कर रही हों, न कि बिजनेस टु कन्ज्यूमर ट्रांजैक्शन। वे ऐसे इनवेंटरी बेस्ड मॉडल के तहत कारोबार नहीं कर सकती हैं, जिसमें माल सीधे कन्ज्यूमर्स को बेचा जा रहा हो। ऐसी ई-कॉमर्स कंपनियां केवल मार्केटप्लेस की तरह काम कर सकती हैं ताकि वेंडर्स को बायर्स से कनेक्ट किया जा सके और वे कीमतों को प्रभावित नहीं कर सकती हैं।

अमेजॉन ने इन आरोपों का खंडन किया। उसके प्रवक्ता ने कहा, ‘ऐमजॉन सभी भारतीय कानूनों और नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।’ उन्होंने कहा, ‘अमेजॉनडॉटइन मार्केटप्लेस पर प्रॉडक्ट्स के दाम सेलर्स ही तय करते हैं।’ फ्लिपकार्ट ने इस संबंध में सवालों के जवाब नहीं दिए।

मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली कंपनियों के संगठन इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन (ICA) ने कॉमर्स मिनिस्ट्री से कहा है कि अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर कार्रवाई की जाए। ICA का आरोप है कि ये ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। ICA का कहना है कि मोबाइल फोन और दूसरे उत्पादों पर इंटरमीडियरीज या पार्टनर कंपनियों के जरिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से डिस्काउंट देकर ये प्लेटफॉर्म नियमों को धता बता रहे हैं।

ICA के प्रतिनिधियों ने इस संबंध में कॉमर्स मिनिस्टर सुरेश प्रभु से हाल में मुलाकात भी की थी। ICA ने कहा कि ये कंपनियां एफडीआई पर प्रेस नोट 3 के तहत आने वाले नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। उसने कहा कि इनवेंटरी बनाकर और इलेक्ट्रॉनिक गुड्स की कीमतों को प्रभावित कर ये कंपनियां ऑफलाइन रिटेलर्स की कमाई को चोट पहुंचा रही हैं और इस तरह करीब 6 करोड़ लोगों के रोजगार को खतरे में डाल रही हैं।

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ICA ने पिछले महीने प्रभु को लिखे पत्र में कहा था, ‘इंडस्ट्री और भारत जिस चिंताजनक स्थिति का सामना कर रहे हैं, उसे देखते हुए हम अनुरोध कर रहे हैं कि मोबाइल फोन और अन्य उत्पादों के बिक्री मूल्य को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हुए प्रेस नोट 3 की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए ऐमजॉन इंडिया और फ्लिपकार्ट के खिलाफ तुरंत कड़ी कार्रवाई की जाए।’ ईटी ने इस पत्र की प्रति देखी है।

ICA में ऐपल, माइक्रोमैक्स, नोकिया, विवो, लावा और लेनोवो/मोटोरोला जैसी हैंडसेट कंपनियां मेंबर हैं। ICA ने प्रेस नोट 3 और अन्य संबंधित कानूनों में ‘जरूरी संशोधन’ करने की मांग भी की है ताकि उल्लंघन करने वालों को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत ‘गंभीर परिणाम’ भुगतना पड़े। ICA ने कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों की इस हरकत को ‘देश के खिलाफ आर्थिक आतंकवाद माना जाए।’

प्रेस नोट 3 के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों में 100 पर्सेंट एफडीआई ऑटोमैटिक रूट से आ सकता है, बशर्ते कंपनियां बिजनस टु बिजनेस सेल्स कर रही हों, न कि बिजनेस टु कन्ज्यूमर ट्रांजैक्शन। वे ऐसे इनवेंटरी बेस्ड मॉडल के तहत कारोबार नहीं कर सकती हैं, जिसमें माल सीधे कन्ज्यूमर्स को बेचा जा रहा हो। ऐसी ई-कॉमर्स कंपनियां केवल मार्केटप्लेस की तरह काम कर सकती हैं ताकि वेंडर्स को बायर्स से कनेक्ट किया जा सके और वे कीमतों को प्रभावित नहीं कर सकती हैं।

अमेजॉन ने इन आरोपों का खंडन किया। उसके प्रवक्ता ने कहा, ‘ऐमजॉन सभी भारतीय कानूनों और नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।’ उन्होंने कहा, ‘अमेजॉनडॉटइन मार्केटप्लेस पर प्रॉडक्ट्स के दाम सेलर्स ही तय करते हैं।’ फ्लिपकार्ट ने इस संबंध में सवालों के जवाब नहीं दिए।

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