मत डरो छात्र और छात्राओं 5 बातों की विषता है, परीक्षा में सफलता की कुंजी

इस आर्टिकल में हम आपको सफल होने के फुल प्रूफ प्लान और कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दे रहे हैं, जिनको अगर फालो किया तो सफ़लता मिलनी तय हैं.
1. सही किताबें और स्टडी मटीरियल का चयन
अगर हमे अपने घर से किसी स्थान पर समय से पहुँचना हो तो ये बहुत जरूरी होता है की हमे रास्ते की पूरी जानकारी हों, हम किस वाहन का इस्तेमाल करने पर समय से पहुँच सकते हैं, और हमे कितना समय पहले घर से निकलना चाहिये जिससे कोई अनहोनी होने पर भी समय से गंतव्य तक पहुंचे. यही बात प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र पर भी लागू होती हैं, उन्हें तैयारी शुरू करने से पहले अपनी किताबों का चयन सोच समझ कर करना चाहिये.
अगर आप UPSEEE की परीक्षा दो महीने बाद देने वाले हैं तो कैमिस्ट्री के Morrison Boyd जैसी किताबो से पढ़ना अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने से कम नहीं होगा, क्यूंकि इस किताब में कॉन्सेप्ट्स बहुत डेप्थ में दिये होते जिसे पढ़ने और समझने में एक साधारण छात्र को समय लग सकता है. इतने कम समय में इस तरह के एग्जाम के लिए जब दो महीने बचे हो तो NCERT पढ़ना सबसे फ़ायदेमंद हैं.
कुल मिलाकर किताबों का चुनाव से पहले परीक्षा का लेवल, अपना लेवल और एग्जाम होने में कितना टाइम बचा है, इत्यादि बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिये.
2. टाइम टेबल बनाकर पढ़े या ऱोज का टारगेट सेट करे

उसैन बोल्ट का नाम जरूर सुना होगा, उसैन को दुनिया का सबसे तेज़ धावक माना जाता हैं, ओलम्पिक्स में बहुत स्वर्ण पदक उनके नाम रहे हैं. उसैन ने सबसे तेज़ धावक बनने के लिये सालों मैदान में कड़ी मेहनत की और कई तरह के सुखो का त्याग किया जिसकी वजह से उन्होंने ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीता. ये सारी बाते प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र पर भी लागू होती हैं . प्रैक्टिस करने का मैदान यहाँ पर उनकी किताबें और उनमे दिये गये सवाल हैं . जिस तरह से एक धावक को दौड़ की हर बारीकी समझ कर रोज अभ्यास करना जरूरी होता हैं, उसी तरह छात्रों को अपनी किताबों में दिये गये कॉन्सेप्ट्स समझ कर सवालों का अभ्यास करना भी बहुत जरूरी होता हैं . पर उससे भी ज्यादा जरूरी है निरंतर अभ्यास करना और वो सिर्फ टाइम टेबल बनाकर पढ़ने पर ही संभव हो सकेगा . टाइम टेबल बनाना या ऱोज का टारगेट अपनी क्षमता और होने वाली परीक्षा के अनुसार होना चाहिये.
3. अपने नोट्स खुद बनाए
आजकल किताबों का बाज़ार तरह – तरह के शोर्ट नोट्स, कुंजी इत्यादि के समुन्दर में डूबा पड़ा हैं . इनमे से सिर्फ कुछ क़िताबे ही काम की होती हैं और ज्यादतर किताबें दूसरी किताबों का कंपाइलेशन होती हैं . इसलिए बाज़ार में मिलने वाले शोर्ट नोट्स पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिये . आपको चैप्टर पढ़ने के दौरान ही शोर्ट नोट्स बनाना चाहिये जिसे आसानी से कम समय में दोहराया जा सके. अक्सर ज्यादातर छात्र बहुत बड़े – बड़े नोट्स बनाते हैं, कुछ तो एक चैप्टर के हर पॉइंट को नोट्स में कवर करने के लिये पूरी कॉपी भर देते है, इस तरह के नोट्स से ज्यादा मदद नहीं मिलती है . नोट्स हमेशा 2 से 5 A4 साइज़ पेपर में कवर हो जाने चाहिये. नोट्स बनाते समय कम से कम शब्दों का इस्तेमाल करके ज्यादा से ज्यादा इन्फार्मेशन देना चाहिये . जहाँ जरूरत हों वहा स्पेशल सिंबल और की-वर्ड्स का इस्तेमाल करना चाहिये.
4. अपना आत्मविश्वास बढाएं
आपके अन्दर आत्मविश्वास तभी आयेगा जब आप रोज सवालों से जूझेंगे, केवल निरंतर अभ्यास के बाद ही आप परीक्षा वाले दिन (Last Day) के लिये पूरी तरह तैयार होंगे. इस बात को गांठ बाँध लें की अगर आप पेन पेपर से सवालों का अभ्यास नहीं कर रहे तो आप परीक्षा वाले दिन अपनी क्षमता अनुसार परिणाम नहीं पा सकते. अगर परीक्षा होने में दो महीनें का समय बचा हैं तो ये बहुत जरूरी हैं की रोज विषय के रिवीजन के साथ फुल-लेंथ टेस्ट (Model Test) पेपर सॉल्व करें. जब आप बहुत सारे प्रैक्टिस पेपर साल्व करेंगे तब आपको परीक्षा में सफल होने का कॉन्फिडेंस अन्दर से महसूस होगा.
5. सेहत का रखे ख्याल
आपने प्रतियोगी परीक्षा की साल भर तैयारी की पर परीक्षा वाले दिन आपकी तबियत ख़राब हो गई तो आप अपना शत प्रतिशत नहीं दे पायंगे. इसलिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के दौरान योग, व्यायाम और संतुलित अहार लेने को कहा जाता है. पढ़ाई करते समय बीच-बीच में ब्रेक जरूर लेना चाहिये जिससे आप स्ट्रेस – फ्री रहकर पढाई कर सके. देर रात तक जागकर पढ़ने से बचना चाहिये इससे याददाश्त कमजोर होती है. व्यायाम करने से दिमाग चुस्त और दुरुस्त रहता है और चीजो को याद रखने की क्षमता बढती है। ज्यादा नहीं तो सिर्फ 15 से 20 मिनट टाइम खुद के स्वस्थ के लिए जरूर देना चाहिये.
नोट: क्लास में जब टीचर समझा रहे हों तो पुरे ध्यान से कांसेप्ट को समझने कि कोशिश करें नही तो इस एक घंटे या 45 मिनट कि क्लास में जो आप समय बर्बाद करेंगे, समय इसका बदला कब और किस तरह लेगा, इसका आपको पता भी नही चलेगा और अगर पता चल भी गया तो केवल पछताना हाथ लगेगा.
सारांश
कुल मिलाकर सफ़लता का कोई शॉर्टकट नहीं होता. कामयाबी पाने के लिये कठिन परिश्रम के साथ स्मार्ट तरीका भी जरूरी है, पर उससे भी ज्यादा जरूरी है एक सही किताबों का चयन, एक परफेक्ट टाइम टेबल बनाकर, निरंतर अभ्यास और खुद पे विश्वास . अगर आप इमानदारी से ऊपर दिये गये टिप्स फ़ॉलो करेंगे तो सफ़लता आपके कदम जरूर चूमेंगी.