Delhi News : शिवसेना में खुद को ‘बड़ा भाई’ साबित करने की जंग छिड़ी, सांसद उठाएंगे राफेल घोटाले का मुद्दा

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना में खुद को ‘बड़ा भाई’ साबित करने की जंग छिड़ी है. सोमवार को महाराष्ट्र में शिवसेना की बैठक हुई, बैठक से साफ संकेत निकल कर आ रहे हैं कि शिवसेना अपनी बात से पीछे हटने को राजी नहीं है. शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि महाराष्ट्र में शिवसेना ही बड़े भाई का रोल अदा करेगी. उन्होंने कहा कि हमें बीजेपी का 50-50 फॉर्मूला मंजूर नहीं है.

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना में खुद को ‘बड़ा भाई’ साबित करने की जंग छिड़ी है. सोमवार को महाराष्ट्र में शिवसेना की बैठक हुई, बैठक से साफ संकेत निकल कर आ रहे हैं कि शिवसेना अपनी बात से पीछे हटने को राजी नहीं है. शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि महाराष्ट्र में शिवसेना ही बड़े भाई का रोल अदा करेगी. उन्होंने कहा कि हमें बीजेपी का 50-50 फॉर्मूला मंजूर नहीं है.

बैठक में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने सांसदों से कहा है कि वह राफेल विमान सौदे का मुद्दा जोर-शोर से उठाते रहे. ठाकरे ने अपने सांसदों से कहा है कि वे राफेल डील को लेकर जेपीसी की मांग को संसद में उठाते रहें.

आपको बता दें कि सोमवार को ही ये बात सामने आई थी कि भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच गठबंधन की बात बनती नजर आ रही है. बीजेपी शिवसेना को 23 सीटें देने के लिए तैयार है, जबकि शिवसेना 24 सीटें लेने पर अड़ी है.

बैठक के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि 50-50 फॉर्मूले की हमें कोई जानकारी नहीं है. हमारे पास इस तरह का कोई प्रपोजल नहीं आया है और ना ही हम ऐसा प्रपोजल स्वीकारेंगे. उन्होंने कहा कि शिवसेना ही महाराष्ट्र में बड़े भाई का रोल निभाएगी.

राउत ने कहा कि हम पूरी तरह से लड़ने के लिए तैयार हैं, हम यहां बड़े भाई हैं और इसी तरह से देश-राज्य की राजनीति करेंगे. उन्होंने बताया कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मांग की है कि जिन लोगों की इनकम 8 लाख रुपये सालाना तक की है, उन्हें टैक्स में छूट मिलनी चाहिए.

गौरतलब है कि 2014 का लोकसभा चुनाव महाराष्ट्र की 48 सीटों पर शिवसेना, बीजेपी और क्षेत्रीय दलों ने मिलकर लड़ा था. तब शिवसेना 20 और बीजेपी 24 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इसमें शिवसेना ने 18 और बीजेपी ने 23 सीटों पर जीत दर्ज की. लेकिन तब से लेकर अब तक दोनों पार्टियों के बीच संबंध बिगड़ते ही गए हैं. शिवसेना पहले ही ऐलान कर चुकी है वह 2019 का चुनाव अकेले लड़ेगी, वहीं अमित शाह की ओर से भी बयान आया था कि अगर सहयोगी साथ नहीं आए तो उन्हें हराने के लिए लड़ा जाएगा.

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