अल्पसंख्यक विभाग के ज़िला अध्यक्ष की मौजूदगी में मनाई गई मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद की पुण्यतिथि
प्रकाशनार्थ आज 22 फरवरी मरहूम मौलाना अबुल कलाम आज़ाद साहब की पुण्यतिथि को शिक्षक सम्मान समारोह के रूप में मनाया गया ज़िला कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन जुनैद हुसैन की अध्यक्षता में सीबीगंज स्थित z. A खान अल्पसंख्यक इंटर कॉलेज में 25 से अधिक शिक्षकों का सम्मान कर उन्हें फूल माला पहनाकर प्रमाण पत्र वितरित किए गए
इस मौके पर अल्पसंख्यक विभाग के ज़िला चेयरमैन जुनैद हुसैन ने मरहूम मौलाना अबुल कलाम आजाद जी के जीवन पर रोशनी डाली एवं यह भी बताया मौलाना अबुल कलाम आजाद जी देश के प्रथम शिक्षा मंत्री रहे हैं स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं पत्रकार भी रहे हैं एवं लेखक भी रहे उन्होंने अपने कलम एवं विचारों से अल्पसंख्यक समाज के बीच रहकर अल्पसंख्यक समाज को मजबूत करने का काम किया है हमारे देश के पहले उपराष्ट्रपति एवं पहले शिक्षामंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद साहब रहे है 11 नवंबर 1888 को मक्का, सऊदी अरब में जन्मे मौलाना आजाद ने भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी। अंग्रेजों से भारत की आजादी के बाद भारत की शिक्षा नीति को मजबूत करने के लिए अथक प्रयास किए। देश के लिए अतुलनीय योगदान के लिए मौलाना अबुल कलाम आजाद को ‘भारत रत्न’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। मौलाना आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और 1947 से 1958 तक स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री भी रहे हैं। राष्ट्रीय-निर्माण और संस्थान-निर्माण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शिक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न अभियान और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि लोग शिक्षा के प्रति जागरूक हो सकें और आकर्षित हो सके। 11 वर्षों के अपने कार्यकाल के दौरान, आज़ाद ने पूर्वी शिक्षा और साहित्य में अनुसंधान को बढ़ावा दिया और ललित कलाओं को विकसित करने के लिए तीन अकादमियों की स्थापना की। उन्होंने बड़े पैमाने पर हिंदी में तकनीकी शब्दों के संकलन पर भी काम करना शुरू किया। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपने कार्यकाल के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बोर्ड / आयोगों की स्थापना की, जिनमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, खड़गपुर उच्च शिक्षा संस्थान, विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग, माध्यमिक शिक्षा आयोग शामिल हैं। उन्होंने देश में शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी और ललित कला अकादमी की भी स्थापना की। आज़ाद ने महिलाओं के लिए शिक्षा और 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की वकालत की। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और सुधारक थे और शिक्षा के माध्यम से एक राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध थे। दिल्ली विश्वविद्यालय के आधुनिक समय के आईआईटी और संकाय को उनके दिमाग की उपज माना जाता है। स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् के रूप में उनके योगदान के लिए उन्हें 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था । इस अबसर पर सर्वश्री प्रदेश सचिव व जनपद बरेली के प्रभारी जाबिर ज़ैदी उपस्थित रहे,ज़की खान, सत्य प्रकाश,पप्पू खान,ज़फर रज़ा खान,ताहिर खान,आमीन खान,अजमत खान,साजिद खान,सकलैन खान,ज़ीशान रज़ा खान,हसन रज़ा,ज़ाहिद रज़ा,राज कुमार शर्मा,इस्लाम खान,रिज़वान खान,परिवेश कुमारी समेत अनेको कार्यकर्ता मौजूद रहे
मीरगंज(बरेली) से राजेश शर्मा की रिपोर्ट !