CIBIL का खुलासा, देश में एक लाख 11 हजार करोड़ का कर्ज अभी भी बकाया
पहले विजय माल्या और अब नीरव मोदी, रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी देश के ऐसे कर्जदार हैं , जिन्होंने कर्ज तो देश के बैंको से लिया , लेकिन उन्हें कभी चुकाया ही नही । अगर आप सोच रहे हैं कि यही दो -चार लोग हैं जो बैंको को चूना लगा कर के विदेश भाग गए है , तो आप गलतफहमी में हैं। देश में कुल 9,339 कर्जदार ऐसे हैं जिन्होंने एक लाख 11 हजार करोड़ का कर्ज जानबूझकर नहीं चुकाया है।
पीएनबी स्कैम और विक्रम कोठारी के घोटाले के खुलने के बाद से हरकत में आई देश की सभी वित संबंधी एजेंसियां अब ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही हैं । लेकिन क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया लिमिटेड (CIBIL) एजेंसी ने एक बेहद चौकाने वाला खुलासा किया है । जिसके मुताबिक भारतीय बैंकों ने लोन के रूप अब तक 1,11,738 करोड़ रुपये दिए हैं जिन्हें जानबूझकर अबतक नहीं चुकाया गया है ।
आपको बता दे कि क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया लिमिटेड डेटा के मुताबिक इनमें राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों के कुल 93,357 करोड़ रुपये जानबूझकर नहीं चुकाए जा रहे हैं । लोन की यह रकम जिन 9,339 कर्जदारों ने ली वे इसे चुकाने में सक्षम हैं, लेकिन ऐसा नहीं कर रहे। ऐसे लोगों को विलफुट डिफॉल्टर कहा जाता है। क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीआईबीआईएल) से मिले डेटा के मुताबिक कर्ज के इस आंकड़े में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 93,357 करोड़ रुपये है. साल 2013 में यह रकम 25,410 करोड़ रुपये थी. यानी बीते पांच सालों में इसमें 340 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
गौरतलब है कि पिछले साल विजय माल्या के मामले की सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से कहा था कि वह उन कर्जदाताओं के नामों की लिस्ट सार्वजनिक करे, जिन्होंने सरकारी बैंकों से 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज ले रखा है।लेकिन आरबीआई ने अभी तक सभी कर्जदारों के नामों की लिस्ट जारी नहीं की है। 11,400 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद सुर्खियों में आए पंजाब नेशनल बैंक के भी 12,574 करोड़ रुपये विलफुट डिफॉल्टरों पर बकाया हैं। इनमें विनसम डायमंड (899 करोड़ रुपये), नेफ्ड (224 करोड़ रुपये) और एपल इंडस्ट्रीज (248 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
वहीं, देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में ऐसे कर्जदारों की संख्या सबसे ज्यादा है। खबर के मुताबिक एसबीआई के ऐसे 1,665 कर्जदारों पर 27,716 करोड़ रुपये का कर्ज है। सीआईबीआईएल के डेटा के मुताबिक इसके सबसे बड़े विलफुल डिफॉल्टरों में किंगफिशर एयरलाइन (1286 करोड़ रु), कैलिक्स केमिकल्स (327 करोड़), जेबी डायमंड (208 करोड़), स्पैन्को (347 करोड़), जेनिथ बिरला (139 करोड़), श्रीम कॉर्पोरेशन (283 करोड़), जूम डेवलपर्स (378 करोड़), फर्स्ट लीजिंग (403 करोड़) और जेट इंजीनियरिंग (406 करोड़) शामिल हैं।
एसबीआई के अलावा आईडीबीआई बैंक के खाते में 83 विलफुल डिफॉल्टर हैं. इन्होंने कुल 3,659 करोड़ रुपये के लोन ले रखे हैं. इनमें रीड एंड टेलर (206 करोड़ रु), एस कुमार नेशनवाइड (834 करोड़) और डेक्कन क्रॉनिकल (269 करोड़) सबसे बड़े डिफॉल्टर हैं. वहीं, बैंक ऑफ इंडिया के 314 विलफुल डिफॉल्टरों ने 6,104 करोड़ रुपये का कर्ज ले रखा है. इनमें रीड एंड टेलर (236 करोड़ रु), फॉरेवर प्रेशयस डायमंड (158 करोड़) और मोहन जेम्स (158 करोड़) बड़े डिफॉल्टरों में शामिल हैं. उधर, बैंक ऑफ बड़ौदा के 432 करोड़ रुपये किंगफिशर एयरलाइन और 362 करोड़ रुपये एबीसी कॉट्स्पिन द्वारा नहीं चुकाए जा रहे।
आरबीआई ने सीआईबीआईएल जैसे अन्य क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो को ऐसे कर्जदारों की पहचान बताने की अनुमति दी है जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुका रहे या जिनके खिलाफ बैंकों ने मुकदमे दायर कर रखे हैं. अखबार के मुताबिक बैंकों ने 16,844 एनपीए खाताधारों के खिलाफ मुकदमे किए हुए है. इन सब पर कुल 2,59,991 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ है. ऐसे सबसे ज्यादा कर्जदार एसबीआई के हैं. उसके 3,684 कर्जदारों पर 74,649 करोड़ रुपये चढ़े हुए हैं।