” कोरोना अब घर को जा “- इंद्र देव त्रिवेदी

हाहाकार मचाया काफी, कोरोना अब घर को जा.
खूब चलाई गम की आंधी, कोरोना अब घर को जा.
थोकभाव में मौत बांटकर, तू
मुस्काता परदे में.
आज लुटाकर गम के बादल, क्या
पायेगा बदले में.
कसमें खाते निपटा देंगे, तुझको हम
सब सस्ते में.
काफी मनमानी कर डाली, कोरोना
अब घर को जा.
हाहाकार मचाया……..
नौ- नौ आंसू रोई जनता, लाज तुझे क्यों ना आई.
कोरोना तेरे कारण ही, गम की बदली है छाई.
तुझे मिटाकर बस मानेंगे, सबने यही कसम खाई.
देखी तेरी भद्दी झांकी, कोरोना अब घर को जा.

हाहाकार मचाया………..
कुछ भी नहीं बिगाड़ा हमने, फिर
क्यों विकट रूप धारा.
चढ़ा- चढ़ा ही दिखता तेरा, गरम –
गरम सा ये पारा.
तुझे पिलायेंगे हम निश्चित, इस सागर
का जल खारा.
बुझने वाली तेरी बाती, कोरोना अब
घर को जा.
हाहाकार मचाया………
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214, बिहारी पुर खत्रियान, बरेली ( उत्तर प्रदेश ) – 243003

 

 

बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

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