बॉयलरों के प्रशासन में सुधार के लिए हितधारकों के साथ परामर्श आयोजित किया गया
बॉयलरों के प्रशासन में सुधार के लिए हितधारकों के साथ परामर्श आयोजित किया गया
वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हितधारकों के परामर्श के लिए नई दिल्ली के उद्योग भवन में आज एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में अग्रणी बायलर निर्माताओं, उपयोगकर्ताओं, ढलाईघर, भट्टी, पाइप / ट्यूब निर्माताओं, तीसरे पक्ष के निरीक्षण अधिकारियों, केंद्रीय बॉयलर बोर्ड के सदस्यों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
राज्य सरकारों के सहयोग से उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने बॉयलरों के निर्माण, उन्हें खड़ा करने और उनके उपयोग से संबंधित कई सुधार किए हैं जिनमें निम्नलिखित सुधार शामिल हैं:
· बॉयलरों का स्व-प्रमाणन मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, गोवा, झारखंड, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में लागू किया गया है।
· तीसरे पक्ष के निरीक्षण के लिए नियम और कानून अपने स्थान पर मौजूद हैं। इसके नतीजतन बॉयलर्स अधिनियम के प्रशासन के लिए एक सरलीकृत और अधिक सुलभ, उपयोगकर्ता के अनुकूल ढांचा तैयार हुआ है और बॉयलरों की सुरक्षा से समझौता किए बगैर निर्माताओं / उपयोगकर्ताओं के हितों की रक्षा भी हो पाई है।
· सीबीबी द्वारा देश में काम करने के लिए 12 तीसरे पक्ष के निरीक्षण अधिकारियों को मान्यता दी गई है। बॉयलर के मुख्य निरीक्षक / निदेशक के अलावा इसके जरिए सक्षम व्यक्तियों को लगाया जाएगा जो निर्माण और उपयोग के दौरान बॉयलरों और बॉयलर घटकों का निरीक्षण करें।
· बॉयलरों के समय अनुसार निरीक्षण के लिए बॉयलर्स अधिनियम की धारा-8 के तहत स्वतंत्र सक्षम व्यक्तियों को भी निजी क्षमता में काम करने के लिए अधिकृत किया गया है।
· तीसरे पक्ष के निरीक्षण अधिकारियों और सक्षम व्यक्तियों द्वारा बॉयलरों और बॉयलर घटकों के निरीक्षण को पूरे देश में लागू किया गया है।
· ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा सहित बॉयलरों का सरलीकृत पंजीकरण भी उपलब्ध है।
· बॉयलर अधिनियम / आईबीआर के तहत सभी अनुमोदनों / मंजूरियों के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है।
· बॉयलर अधिनियमों के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए बॉयलर अधिनियम 1923 की धारा 31ए के अंतर्गत राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं और इसे मध्य प्रदेश, गुजरात, असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, झारखंड, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में क्रियान्वित किया गया है।
· निरीक्षणों के बीच समय अवधि बढ़ाने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है जिससे बिजली संयंत्रों और सतत प्रक्रिया संयंत्रों में बॉयलरों को अनिवार्य रूप से बंद करने की आवश्यकता होगी और जिसके परिणामस्वरूप इन संयंत्रों के उत्पादन में वृद्धि होगी।
डीपीआईआईटी द्वारा उठाए गए कदमों की हितधारकों ने सराहना की है। हितधारकों ने बताया कि उपरोक्त सुधारों के साथ निरीक्षण दक्षता में सुधार हुआ है जिसके परिणामस्वरूप परियोजना को पूरा करने के समय में कमी आई है।
इन सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए हितधारकों ने निम्नलिखित सुझाव दिए:
1. बॉयलर पंजीकरण और निरीक्षण के लिए ऑनलाइन प्रणाली को राज्य सरकारों द्वारा मजबूत किया जाना चाहिए।
2. बॉयलर ऑपरेशन इंजीनियर्स (बीओई) की उपलब्धता को केंद्र सरकार के स्तर पर बीओई परीक्षा आयोजित करके सुधारना चाहिए क्योंकि कई राज्य सरकारें नियमित रूप से ये परीक्षा आयोजित नहीं कर रही हैं।
3. केंद्रीय बॉयलर बोर्ड (सीबीबी) द्वारा मान्यता प्राप्त तीसरे पक्ष के निरीक्षण अधिकारियों / स्वतंत्र सक्षम व्यक्तियों और राज्य सरकार के बॉयलर निरीक्षकों द्वारा किए गए निरीक्षणों के बीच विषमताओं को हटाया जाना चाहिए।
4. एक राज्य से दूसरे राज्य में उनके परिचालनों में परिवर्तन होता है तो उस स्थिति में विज्ञापन के बजाय बीओई द्वारा राज्य सरकारों को ऑनलाइन सूचित करने के लिए बीओई नियमों में प्रावधान किया जाए।
5. जाने-माने बॉयलर निर्माताओं / बॉयलर एक्सेसरीज़ निर्माताओं को मान्यता देने के लिए भारतीय बॉयलर विनियम, 1950 (आईबीआर) में प्रावधान किया जाए।