वाणिज्य मंत्री श्री सुरेश प्रभु सिंगापुर में आयोजित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी सम्मेलन में भारतीय दल का नेतृत्व कर रहे हैं
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी एक मुक्त व्यापार समझौता है जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं, निवेश, आर्थिक और तकनीकी सहयोग और बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। आरसीईपी के 6 सदस्य देश इन क्षेत्रों में तय लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को गति देने के लिए सिंगापुर में बैठक कर रहे हैं। मुख्य वार्ताकारों ने पिछले महीने न्यूजीलैंड के आकलैंड में 24वें दौर की वार्ता की थी।भारत ने आसियान देशों तथा जापान और दक्षिण कोरिया के साथ पहले से ही मुक्त व्यापार समझौता कर रखा है और अब आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड के साथ भी इस तरह के समझौते करने के लिए बातचीत कर रहा है।भारत की ओर से सेवाओं के व्यापार को उदार बनाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है, क्योंकि देश की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी करीब 55 प्रतिशत है। भारत सदस्य देशों के साथ संतुलित व्यापार समझौता चाहता है जिसकी वैश्विक जीडीपी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी होने की संभावना है। दुनिया की 42 प्रतिशत से ज्यादा की आबादी इस समझौते के दायरे में आ जाएगी।आरसीईपी के सदस्य देशों में ब्रुनेई, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, लाओस और वियतनाम जैसे दस आसियान देशों के अलावा उनके 6 मुक्त व्यापार समझौता भागीदार-भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।बातचीत को आगे जारी रखने के लिए मंत्रिस्तरीय बैठक के बाद 14 नवंबर को सिंगापुर में आरसीईपी नेताओँ की दूसरी दौर की वार्ता होगी।