ब्रह्मपुत्र नदी पर डैम की घोषणा कर चीन उकसा रहा है भारत को ,क्वार्ड देशों के समूह से भी चीन चिंतित, निर्भय सक्सेना !
चीन अभी भी अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत जहाँ हॉन्गकॉन्ग, ताइवान, तिब्बत में जुल्म कर रहा है । अब तो चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर अपने इलाके में डैम बनाने की घोषणा कर फिर भारत से उलझने की गंदी चाल चली है। स्मरण रहे ब्रह्मपुत्र नदी को चीन में यारलग जैंगबई नदी के नाम से भी जाना जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी एल ए सी के करीब तिब्बत के इलाकों में बहती है। भारत के अरुणाचल प्रदेश में इस नदी को सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से भी बोला जाता है। चीन हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के नाम पर ब्रह्मपुत्र नदी पर जो डेम बनाएगा उससे ब्रह्मपुत्र नदी पर पूरी तरह चीन का ही नियंत्रण हो जाएगा। चीन की योजना के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े डेम में से यह एक होगा।
ब्रह्मपुत्र नदी के पानी पर चीन के नियंत्रण से बांग्लादेश भी प्रभावित हो जाएगा। यह ब्रह्मपुत्रनदी बांग्लादेश में भी बहती है। डेम बनने पर भविष्य में चीन कभी भी भारत या पड़ोसी देशों में बाढ़ या पानी की कमी जैसी समस्या पैदा कर सकता है। ब्रह्मपुत्र नदी के पानी पर चीन का नियंत्रण होने से भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर होगा। चीनी दादागीरी पर नकेल कसने के लिए अब दुनिया के चार शक्तिशाली देशों के ‘क्वाड’ समूह के तहत शुक्रवार को हुए पहले शिखर सम्मेलन में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओ ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया। इसके साथ ही कोविड 19 महामारी से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए कोविड-19 के वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर भारत की पहल को भी सराहा । क्वाड समूह की वर्चुअल बैठक में चीन को कड़ा और स्पष्ट संदेश देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने क्वाड देशों के नेताओं से कहा कि एक मुक्त और खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र उनके देशों के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अमेरिका स्थिरता की स्थिति हासिल करने के लिए क्षेत्र में अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ मिलकर काम करने को भी प्रतिबद्ध है। वर्चुअल बैठक में राष्ट्रपति जो बाइडन ने क्वाड नेताओं के अपने पहले डिजिटल सम्मेलन के दौरान कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिए ‘क्वाड’ महत्वपूर्ण मंच बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि सहयोग बढ़ाने में ‘क्वाड’ एक नया तंत्र बनकर उभरा है। इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में बसुदेव कुटुम्बकम के भारत की अवधारणा पर जोर दिया। श्री मोदी जी ने जलवायु परिवर्तन, कोरोना की भारतीय वैक्सीन अन्य देशों को देने की भी बात कही।सम्मेलन के दौरान जो बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, आपको देख कर बहुत अच्छा लगा। बैठक में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आगे कहा कि हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति के लिए अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा। जो बाइडेन ने आगे कहा कि सभी सदस्यों को जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देना होगा। इसके साथ-साथ कोरोना टीकाकरण में कोई बाधा ना आए, इसका भी ध्यान रखना होगा
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने अपना संबोधन नमस्ते से शुरू किया। स्कॉट बोले कि रणनीतिक विश्वास की साझेदारी की जरूरत है। जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने भी अपने विचार साझा किए।
स्मरण रहे 2017 में बना कवार्डी लेटरल सिक्योरिटी डॉयलाग ‘क्वाड’ भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका देशों का एक समूह है। इससे अब चीन के दादागिरी पर अंकुश रखा जा सकेगा। जिसे चीन भी समझ रहा है। भारत के पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिको की वापसी ही भारत चीन के बीच शांति बहाली के एक मात्र रास्ता है। जबकि एल ए सी पर दक्षिणी लद्दाख में 70 हजार फुट ऊँचाई पर भारतीय सीमा की रेजांगला, रेजिंगला, मुखोपरी की चोकीओ के सामने चीन ने अभी भी पूरी तरह से अपने टैंक हटाने में आनाकानी में ही लगा हैं। पूरे विश्व को कोरोना की महामारी देने वाल चीन अब भारत को ही नही अपने अन्य पड़ोसी देशों ताइवान, तिब्बत, हॉन्गकॉन्ग को भी परेशान कर रहा है। 1997 में चीन के नियंत्रण में आया हॉन्गकॉन्ग में चीन आजादी की मांग करने वालो पर जुल्म कर रहा है। काफी लोगो को पकड़ कर जेल में भी डाला है। इस बार भी चीन ने अपना रक्षा बजट निरंतर छटवें बर्ष बढ़ा लिया है। जिसमे 6.8% की बढ़त दर्ज की है। अमरीका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक जान रेट क्लिफ ने भी कहा था कि चीन देश एवम दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। चीन ने वार्ता में भारत से बनी सहमति के बाद भी अपने सैनिकों को आज तक पूरी तरह पीछे नही हटाया है। साथ ही अब एल ए सी पर दक्षिणी लद्दाख में 70 हजार फुट ऊँचाई पर भारतीय सीमा की रेजांगला, रेजिंगला, मुखोपरी की चोकीओ के सामने चीन ने विगत माह टैंक भी तैनात किए थे। जिन्हें दबाब में कुछ पीछे जरूर किया है। भारत ऊंचाई पर भी चीन को जवाब देने को मजबूत है। भारत सरकार चीन की हर चाल पर नजर रख कर हर मोरचे पर सेना को मजबूत कर रही है। निर्भय सक्सेना, पत्रकार बरेली मोबाइल 9411005249 7060205249
बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !