Chandrayaan-3 : विक्रम लैंडर की तीन देशों ने ली Photo खुद देखिए किस की बेहतर

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दक्षिण कोरिया के मून मिशन दनूरी ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट की तस्वीर ली. अब तक तीन देशों के अलग-अलग ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की फोटो क्लिक की है. तीनों के कैमरे की क्वालिटी में अंतर है. आप खुद इन तस्वीरों को देखिए और तय कीजिए कि किसकी इमेज ज्यादा बेहतर है.

बाएं से… पहले दनूरी की तस्वीर, फिर नासा की और अंत में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से ली गई फोटो. बाएं से… पहले दनूरी की तस्वीर, फिर नासा की और अंत में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से ली गई फोटो.

Chandrayaan-3 का विक्रम लैंडर इस समय चांद की सर्दी वाली रात में सो रहा है. लेकिन उसकी तस्वीरें सामने आ रही हैं. इस बार उसकी फोटो क्लिक की है दक्षिण कोरिया के मून ऑर्बिटर दनूरी (Danuri) ने. इसमें शिव शक्ति प्वाइंट (Shiva Shakti Point) भी दिख रहा है, यानी वो जगह जहां पर विक्रम लैंडर उतरा है.

कोरिया एयरोस्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बताया कि यह तस्वीर 27 अगस्त को ली गई थी. ताकि हम भी चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होने वाली सफल लैंडिंग की खुशी मना सकें. यह दुनिया में पहली बार हुआ है जब चांद के दक्षिणी ध्रुव इलाके में कोई यान सही सलामत उतरा है. जबकि रूस का लूना-25 क्रैश कर गया था.

शिव शक्ति प्वाइंट चांद के दक्षिणी ध्रुव से करीब 600 किलोमीटर दूर है. दनूरी ने जो फोटो ली है वह 250 सेंटीमीटर प्रति पिक्सेल रेजोल्यूशन की है. इस जगह पर मौजूद चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर दुनिया भर के लिए आकर्षण का केंद्र है. इसलिए अमेरिका के नासा के लूनर रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर (LRO) ने भी इसकी फोटो खींची थी.

कोरिया, अमेरिका और भारत तीनों ने ली तस्वीर

LRO की तस्वीर 50 सेंटीमीटर प्रति पिक्सेल रेजोल्यूशन की है. जबकि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की तस्वीर 32 सेंटीमीटर प्रति पिक्सेल रेजोल्यूशन की है. तीनों ही स्पेसक्राफ्ट यानी अंतरिक्ष यान अलग-अलग समय में लॉन्च किए गए थे. यानी तीनों में अपने समय की तकनीक और कैमरे लगे हैं. जिसका फायदा इसरो को तो मिल ही रहा है, पूरी दुनिया को मिल रहा है. इन तस्वीरों की स्टडी से कई बातें पता चलती हैं.

ये तस्वीरें बताती हैं कि चंद्रयान-3 को लेकर दुनिया में किस तरह का क्रेज है. 5 सितंबर 2023 को चांद के उस हिस्से में रात हो गई थी, जहां विक्रम लैंडर था. अंधेरे में चंद्रयान-3 का लैंडर कैसा दिखता है. यह पता करने के लिए उसके ऊपर से चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को गुजारा गया. ऑर्बिटर में लगे खास कैमरे ने रात के अंधेरे में चंद्रयान-3 के लैंडर की तस्वीर ली.

रात में भी ली गई है चंद्रयान के विक्रम लैंडर की फोटो

6 सितंबर 2023 को ली गई तस्वीर में चांद की सतह नीले, हरे और गहरे काले रंग की दिख रही है. इसी के बीच में एक पीले गोले में दिख रहा है, पीली रोशनी के साथ दिख रहा है हमारा विक्रम लैंडर. यहां तीन तस्वीरें हैं. बाएं तरफ पहली वर्टिकल फोटो में बड़े इलाके में पीले चौकोर डिब्बे में वह इलाका दिखाया गया है, जहां पर लैंडर उतरा था.

दाहिने ऊपर जो फोटो है, वह 6 सितंबर की फोटो है, जिसमें गोल पीले घेरे में चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर पीले रंग की रोशनी में दिख रहा है. नीचे 2 जून 2023 की फोटो है, जब लैंडर वहां उतरा नहीं था. असल में यह तस्वीर चंद्रयान-3 के ऑर्बिटर में लगे ड्युल-फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर राडार (DFSAR) ने ली है.

अंधेरे में तस्वीर लेने वाला खास यंत्र है DFSAR

DFSAR एक खास यंत्र है, जो रात के अंधेरे में हाई रेजोल्यूशन पोलैरीमेट्रिक मोड में तस्वीर लेता है. यानी अंधेरे में धातुओं से निकलने वाली हीट और रोशनी को यह पकड़ लेता है. चाहे वह प्राकृतिक तौर पर मौजूद धातु हो या इंसानों द्वारा धातुओं से निर्मित कोई वस्तु.

पहले भी चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने ली थी तस्वीर

Chandrayaan-2 के ऑर्बिटर ने 25 अगस्त 2023 को भी चंद्रयान-3 की तस्वीर ली थी. यह दो तस्वीरों का कॉम्बीनेशन थी. जिसमें बाईं तरफ वाली फोटो में जगह खाली है. दाहिनी फोटो में लैंडर चांद की सतह पर दिख रहा है. इस तस्वीर में लैंडर को जूम करके इनसेट में दिखाया गया था. चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर हाई रेजोल्यूशन कैमरा (OHRC) लगा है.

दोनों ही तस्वीरें लैंडिंग वाले दिन ली गई थीं. बाएं तरफ की पहली तस्वीर 23 अगस्त की दोपहर दो बजकर 28 मिनट पर ली गई थी, जिसमें चांद की सतह पर कोई लैंडर नहीं दिख रहा है. दूसरी तस्वीर 23 अगस्त की रात दस बजकर 17 मिनट पर ली गई थी. जिसमें विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरा हुआ दिख रहा है

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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