CBI : स्पोर्ट्स सिटी मामले में दर्ज किए गए हैं तीन मुकदमे, सीबीआई ने दो बिल्डर ग्रुप के निदेशकों से की पूछताछ,

सीबीआई ने एफआईआर में जनाडु एस्टेट प्रा.लि., लॉजिक्स इन्फ्रा डिवेलपर्स प्रा.लि. और लोटस ग्रीन्स को नामजद किया है। ये तीनों स्पोर्ट्स सिटी में प्लॉट लेने वाले लीड मेंबर थे। जनाडु एस्टेट के साथ बिल्डर निर्मल सिंह, विदुर भारद्वाज, सुरप्रीत सिंह व प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारियों और अन्य को शामिल किया गया है।

स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी है। नोएडा में दो बिल्डर ग्रुप के निदेशकों से पूछताछ भी की। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यह पूछताछ गुरुवार और शुक्रवार को हुई।

इसमें नामजद निदेशकों को करीब डेढ़-डेढ़ घंटे सीबीआई के सवालों का सामना करना पड़ा, जिसमें वे उलझते नजर आए। आगे एफआईआर में नामजद और बचे बिल्डरों से भी पूछताछ होनी है। इसके साथ ही सीबीआई प्राधिकरण में जाकर भी फाइलें खंगालेगी। जांच एजेंसी ने तीन बिल्डर समूहों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

सीबीआई ने एफआईआर में जनाडु एस्टेट प्रा.लि., लॉजिक्स इन्फ्रा डिवेलपर्स प्रा.लि. और लोटस ग्रीन्स को नामजद किया है। ये तीनों स्पोर्ट्स सिटी में प्लॉट लेने वाले लीड मेंबर थे। जनाडु एस्टेट के साथ बिल्डर निर्मल सिंह, विदुर भारद्वाज, सुरप्रीत सिंह व प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारियों और अन्य को शामिल किया गया है।

लोटस ग्रीन्स के खिलाफ एफआईआर में भी बिल्डर व निदेशक निर्मल सिंह, विदुर भारद्वाज, सुरप्रीत सिंह व प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारियों व अन्य नामजद है। तीसरी एफआईआर में लॉजिक्स इन्फ्रा डिवेलपर्स के खिलाफ हुई है। इसमें निदेशक शक्ति नाथ, मीरा नाथ, विक्रम नाथ प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारियों व अन्य नामजद हैं।

84 कंपनियां हैं रडार पर सीबीआई ने एफआईआर में तीन बिल्डर समूह को नामजद किया है, लेकिन जांच के दायरे में 84 बिल्डर व अन्य कंपनियां हैं। इन कंपनियों को इन बिल्डर समूहों की तरफ से स्पोर्ट्स सिटी में प्लॉट में हिस्सेदारी दी गई या सब-डिवीजन कर इनको जमीन दी गई है।

एफआईआर में बड़े प्लॉट के सब-डिवीजन का ब्यौरा शामिल किया गया है। उदाहरण के तौर पर सेक्टर-150 का प्लॉट लेने वाले लॉजिक्स समूह में लीड मेंबर लॉजिक्स सॉफ्ट टेल नाम की कंपनी थी। इसके पास 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी।

बाकी लॉजिक्स बिल्डर, वीसी सॉल्यूसंस, आईटी इन्फ्रा सर्विस, नोएडा साइबर पार्क, लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन नाम की कंपनियों की हिस्सेदारी थी। इनमें शेयर होल्डर भी अलग-अलग थे। बाद में 27 प्लॉट अलग-अलग कंपनी के नाम पर देकर जमीन के टुकड़े किए गए। इसी तरह जिनाडु एस्टेट समूह में 24 कंपनियां और लोटस ग्रीन्स में 29 कंपनियों के नाम एफआईआर में दर्ज हैं।

एफआईआर में नामजद बिल्डर समूह और उनके प्लॉट पर बकाया जिनाडु एस्टेट प्रा.लि. को 78, 79, 101 में जमीन आवंटित की गई थी। इस जमीन पर प्राधिकरण का 1356.88 करोड़ रुपये बकाया है। लॉजिक्स इन्फ्रा डिवेलपर्स को सेक्टर-150 में जमीन आवंटित हुई थी। इस जमीन पर प्राधिकरण का 2669.23 करोड़ रुपये बकाया है। लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन को सेक्टर-150 में जमीन आवंटित हुई थी। इस प्लॉट पर प्राधिकरण का 2969 करोड़ रुपये बकाया है।

वहीं, सीबीआई ने कहा, “केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर अज्ञात लोक सेवकों के साथ विभिन्न कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए हैं और तलाशी ली है। ये मामले 2011 से 2014 के बीच नोएडा स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं के आवंटन, विकास और मंजूरी में अनियमितताओं के आरोपों से संबंधित हैं।

यह अनियमितताएं बाद में 9000 करोड़ रुपये के घोटाले के रूप में सामने आईं। सीबीआई ने दिल्ली और नोएडा में कई स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य आदि बरामद हुए। जांच अभी जारी है।

नोएडा स्पोर्ट सिटी परियोजना का उद्देश्य नोएडा सेक्टर 78, 79 और 150 में आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों के साथ विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं विकसित करना था। कैग की रिपोर्ट जारी होने के बाद अनियमितताएं उजागर हुईं, इसके बावजूद अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाए गए।’

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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