बसपा सुप्रीमों का भाजपा के साथ जाने का ऐलान,दुश्मनी में बदली सपा-बसपा की दोस्ती* ‼️
लखनऊ। यूपी में राजनीति का समीकरण आज एक बार फिर से बदले हुए दिख रहे हैं। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने वाली बहुजन समाज पार्टी ने यूपी में जल्द होने वाले एमएलसी चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को किसी भी कीमत पर हराने का ऐलान किया है।
मायावती ने आज सुबह एएनआई से बातचीत में कहा कि यदि इसके लिए बसपा को भाजपा का भी साथ देना पड़ा तो वो देंगी।बहुजन समाजवादी की मुखिया मायावती ने गुरुवार को बड़ा बयान दिया है।मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए सपा से हाथ मिलाया था। लेकिन उनके परिवारिक अंतरकलह के कारण बसपा के साथ गठबंधन कर भी वो ज्यादा लाभ नहीं उठा पाए। मायावती ने साफ कहा है कि यूपी में आने वाले एमएलसी चुनावों में हम सपा प्रत्याशियों को बुरी तरह हराएंगे। इसके लिए हम अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे। इसके लिए अगर हमें भाजपा या किसी अन्य पार्टी के प्रत्याशी को अपना वोट देना पड़े तो हम वो भी करेंगे।
मायावती ने कहा कि चुनाव के बाद हमसे संपर्क बंद कर दिया और इसीलिए हमने अपने रास्ता बदल लिया है। मैं इस बात का भी खुलासा करना चाहती हूं कि जब हमने यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए सपा के साथ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया तो हमने इसके लिए बहुत मेहनत की, लेकिन जब से यह गठबंधन हुआ था तब से सपा प्रमुख की मंशा दिखने लगी थी। वो एसपी मिश्रा से लगातार यह कहते रहे कि चूंकि बसपा-सपा ने हाथ मिला लिया है, इसलिए अब मायावती को जून 1995 वाला मुकदमा वापस ले लेना चाहिए। जब हमने लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद हमारे प्रति समाजवादी पार्टी के बदले व्यवहार को देखा तो महसूस किया कि हमने उनके खिलाफ 2 जून 1995 के मुकदमे को वापस लेकर एक बड़ी गलती की है और हमें उनसे हाथ नहीं मिलाना चाहिए था। हमें थोड़ी गहराई से विचार करना चाहिए था‼️
मायावती ने कहा कि चुनाव के बाद हमसे संपर्क बंद कर दिया और इसीलिए हमने अपने रास्ता बदल लिया है। मैं इस बात का भी खुलासा करना चाहती हूं कि जब हमने यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए सपा के साथ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया तो हमने इसके लिए बहुत मेहनत की, लेकिन जब से यह गठबंधन हुआ था तब से सपा प्रमुख की मंशा दिखने लगी थी। वो एसपी मिश्रा से लगातार यह कहते रहे कि चूंकि बसपा-सपा ने हाथ मिला लिया है, इसलिए अब मायावती को जून 1995 वाला मुकदमा वापस ले लेना चाहिए। जब हमने लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद हमारे प्रति समाजवादी पार्टी के बदले व्यवहार को देखा तो महसूस किया कि हमने उनके खिलाफ 2 जून 1995 के मुकदमे को वापस लेकर एक बड़ी गलती की है और हमें उनसे हाथ नहीं मिलाना चाहिए था। हमें थोड़ी गहराई से विचार करना चाहिए था‼️
लखनऊ से ब्यूरो चीफ राघवेंद्र सिंह – (राजू शर्मा) की रिपोर्ट !