बोधगया बम ब्लास्ट : इंडियन मुजाहिदीन के 5 आतंकियों को उम्रकैद की सजा
पटना :बोधगया बम ब्लास्ट मामले में सभी आरोपी आतंकियों को आज पटना एनआइए की विशेष अदालत ने आजीवन कारावास का फैसला सुनाया है। सभी दोषी आतंकियों की सजा के सभी बिंदुओं पर सुनवाई करते हुए एनआइए की विशेष अदालत ने आज सबको सजा सुनाई है। उम्रकैद के साथ ही आरोपियों को 40-40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
शुक्रवार की सुबह आठ बजे के बाद ब्लास्ट के सभी आरोपियों को पटना के बेउर जेल से एनआइए कोर्ट लाया गया। मामला संवेदनशील होने के कारण जेल से कोर्ट तक की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। डॉग स्क्वॉड और बम स्क्वॉड की टीम कोर्ट की सुरक्षा की जांच कर रही थी।
बता दें कि बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में पांच आइएम आतंकियों को गुरुवार को ही सजा सुनाई जानी थी लेकिन अधिवक्ता द्वारा बहस के लिए समय मांगने के कारण एनआइ कोर्ट ने सजा टाल दी थी। बहस पूरी हो जाने के बाद शुक्रवार को सभी आरोपियों की सजा का एेलान किया गया।
चार साल 10 महीने और 12 दिन बाद आया था फैसला
बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में चार साल 10 माह 12 दिन के बाद शुक्रवार, 25 मई को एनआईए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। 7 जुलाई 2013 को बोधगया में हुए नौ धमाकों में पांच आरोपियों के खिलाफ एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार ने फैसला सुनाया। इस धमाके में एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु और म्यांमार के तीर्थ यात्री घायल हो गए थे। पटना सिविल कोर्ट में 2013 में गठित एनआईए कोर्ट का यह पहला फैसला है।
बोधगया ब्लास्ट में एनआईए ने 90 गवाहों को पेश किया। विशेष न्यायाधीश ने 11 मई 2018 को दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अपना निर्णय 25 मई तक सुरक्षित रख लिया था। सीरियल ब्लास्ट का सरगना हैदर अली उर्फब्लैक ब्यूटी था। आरोपितों मे इम्तियाज अंसारी, उमर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, मुजिबुल्लाह अंसारी हैं। कुछ रांची के रहने वाले हैं और कुछ छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले हैं। ये सभी पटना के बेउर जेल में बंद है।
एनआईए ने मामले की जांच करने के बाद सभी आरोपों पर 3 जून 2014 को चार्जशीट किया था। 7 जुलाई 2013 सुबह 5:30 से 6:00 के बीच महाबोधि मंदिर में एक के बाद एक धमाके हुए थे आतंकियों ने महाबोधि वृक्ष के नीचे भी दो बम लगाए थे। सिलेंडर बम रखा गया था। जिसमे टाइमर लगा हुआ था। एनआईए ने जांच मे यह भी माना है कि रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई का बदला लेने के लिए गया मे ब्लास्ट किया गया था। ब्लास्ट के लिए हैदर ने रायपुर में रहने वाले सिमी के सदस्य उमर सिद्दीकी से संपर्क किया था। हैदर रायपुर गया था। राजा तालाब स्थित एक मकान में जिहाद के नाम पर प्रवचन दिया गया।
हैदर को बम विस्फोट का सामान भी वही दिया गया। हैदर ने ब्लास्ट के पहले बोधगया का पांच बार दौरा किया। वहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था और उसके साथ ही आतंकी संगठन सिमी के सदस्य थे। हैदर ने बौद्ध भिक्षु बनकर मंदिर में प्रवेश किया।
गांधी मैदान में भी किया था ब्लास्ट
आरोपितों को आतंकवादी गतिविधियों के प्रोत्साहन के लिए धन की व्यवस्था करने का भी दोषी पाया है। इसमें कम से कम 7 वर्षों की सश्रम कारावास और अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है। एक आरोपी नाबालिग था। उसकी सुनवाई जेजे बोर्ड गायघाट में हुई थी। पिछले नवंबर में बोर्ड ने उसे दोषी पाते हुए तीन वर्ष की सजा सुनाई थी। 27 अक्टूबर 2013 को गांधी मैदान की हुंकार रैली ब्लास्ट में भी पांचों आतंकियों पर आरोप है। सुनवाई 4 जून से होगी।
इन पांचों को मिली सजा
– हैदर- रांची के डोरंडा का निवासी है। 2014 से बेउर जेल में बंद है। घटना का मास्टरमाइंड। बौद्ध भिक्षु बनकर दिया था विस्फोट को अंजाम।
– मुजीबुल्लाह- रांची के चकला गांव का निवासी। 2014 से बेउर जेल में बंद।
– इम्तियाज- रांची के ध्रुवा का निवासी। 2013 से जेल में बंद है। हैदर की मदद की थी।
– उमर- छत्तीसगढ़ के रायपुर का रहने वाला। 2013 से जेल में बंद है। इसी के घर पर साजिश रची गई थी।
– अजहर- रायपुर का निवासी। 2013 से जेल में बंद। साजिश रचने में था शामिल।
राजेश कुमार के साथ सोनू मिश्रा की रिपोर्ट ,पटना (बिहार)