Bihar-Samastipur: नीतीश सरकार की योजनाओं को चंद दिनों की बारिश ने डूबा कर रख दिया,

₹275 की देहारी करने वाले से लेकर लाखों की तनख्वाह उठाने वाले सभी टैक्स देते है मगर योजना के नाम पर अधिकारी की लापरवाही से सब बर्बाद हो जाता है
इसका जीता जागता उदाहरण प्रखंड मुख्यालय के अंदर घुटने पर पानी का जमा होना बांध की मात्र है, आखिर दोषी कौन यह सरकार को तय करना है || समस्तीपुर के ताजपुर प्रखंड में लगातार हो रही बारिश का पानी जमा होने से लोगों को उसी गंदे पानी से जाना आना पड़ता है एक तो कुदरत की मार दूसरी अधिकारी की लापरवाह रवैया ताजपुर प्रखंड कार्यालय पर बारिश का जमा पानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब अपना ही कार्यालय पानी में डूबा हुआ है, सरकार विकास की राशि भेजती है क्या यही विकास है यह एक चिंता का विषय है लगातार मीडिया में भी दिखाया जा रहा है की बारिश के जमा पानी से ताजपुर में किस तरह से लोग परेशान हैं बारिश की जमा पानी को लेकर अगर पहले से बने नाले की जांच अधिकारी स्वयं स्पोर्ट पर जाकर करते तो आज सोचना नहीं पड़ता कि पानी निकासी कहां निकाले इसकी तैयारी का रास्ता निकाला होता तो आज अधिकारी कर्मचारी लोगो को गंदे पानी में नहीं चलना पड़ता लौगो ने बताया कि कार्यालय खुला हुआ है मगर हमको पानी में जाते हुए डर लगता है की किधर सड़क ठीक और किधर टूटी हुई है समझ नहीं आ रहा उसके बावजूद हम लोग अपने काम को लेकर कार्यालय आना पड़ता है वही सरकारी अनाज गोदाम जिसमें गेहूं का चावल का बोरा लादकर ट्रक पिकअप से लादकर प्रखंड कार्यालय की टूटी सड़क से ले जाना पड़ता है डीलरों के पास अगर गाड़ी पलटी मार गई तो लाखों का अनाज खराब हो सकता है उसके बावजूद भी अधिकारी नींद में हैं जिला अधिकारी को तए करना है की नीतीश सरकार के विकास में कितना सहयोग करते हैं क्योंकि प्रखंड विकास पदाधिकारी ने जो विकास किया है वह साफ नजर आता है || नीतीश सरकार की योजनाओं को चंद दिनों की बारिश ने डूबा कर रख दिया, चिंतनीय विषय है, आखिर दोषी कौन? ₹275 की देहारी करने वाले से लेकर लाखों की तनख्वाह उठाने वाले सभी टैक्स देते है मगर योजना के नाम पर अधिकारी की लापरवाही से सब बर्बाद हो जाता है इसका जीता जागता उदाहरण प्रखंड मुख्यालय के अंदर घुटने पर पानी का जमा होना बांध की मात्र है, आखिर दोषी कौन यह सरकार को तय करना है || समस्तीपुर के ताजपुर प्रखंड में लगातार हो रही बारिश का पानी जमा होने से लोगों को उसी गंदे पानी से जाना आना पड़ता है एक तो कुदरत की मार दूसरी अधिकारी की लापरवाह रवैया ताजपुर प्रखंड कार्यालय पर बारिश का जमा पानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब अपना ही कार्यालय पानी में डूबा हुआ है, सरकार विकास की राशि भेजती है क्या यही विकास है यह एक चिंता का विषय है लगातार मीडिया में भी दिखाया जा रहा है की बारिश के जमा पानी से ताजपुर में किस तरह से लोग परेशान हैं बारिश की जमा पानी को लेकर अगर पहले से बने नाले की जांच अधिकारी स्वयं स्पोर्ट पर जाकर करते तो आज सोचना नहीं पड़ता कि पानी निकासी कहां निकाले इसकी तैयारी का रास्ता निकाला होता तो आज अधिकारी कर्मचारी लोगो को गंदे पानी में नहीं चलना पड़ता लौगो ने बताया कि कार्यालय खुला हुआ है मगर हमको पानी में जाते हुए डर लगता है की किधर सड़क ठीक और किधर टूटी हुई है समझ नहीं आ रहा उसके बावजूद हम लोग अपने काम को लेकर कार्यालय आना पड़ता है वही सरकारी अनाज गोदाम जिसमें गेहूं का चावल का बोरा लादकर ट्रक पिकअप से लादकर प्रखंड कार्यालय की टूटी सड़क से ले जाना पड़ता है डीलरों के पास अगर गाड़ी पलटी मार गई तो लाखों का अनाज खराब हो सकता है उसके बावजूद भी अधिकारी नींद में हैं जिला अधिकारी को तए करना है की नीतीश सरकार के विकास में कितना सहयोग करते हैं क्योंकि प्रखंड विकास पदाधिकारी ने जो विकास किया है वह साफ नजर आता है ||

समस्तीपुर से मोहम्मद सिराज की रिपोर्ट !

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