बिहार बोर्ड का यह टॉपर रियल है या भाड़े का, फिर से बोर्ड की भूमिका संदेह के घेरे में
दो दो बार फर्जी टॉपर पैदा करनेवाले बिहार बोर्ड ने इसबार फर्जी टॉपर स्कैंडल से बचने का अजीबो-गरीब तरीका अपनाया है. उसने एक ऐसी छात्रा को अपना साइंस टॉपर बना दिया है, जो उसकी छात्रा है ही नहीं. दिल्ली में रहकर आकाश इंस्टिट्यूट से पढ़ाई करने वाली छात्रा को बिहार बोर्ड केवल इस आधार पर अपनी छात्र बता देगा क्योंकि उसने केवल परीक्षा पास करने और डीग्री लेने के लिए उसके बोर्ड से फॉर्म भर दिया? तब तो अब कभी भी बिहार बोर्ड में टॉपर स्कैंडल नहीं होने की गारंटी है. देश भर में ऐसे बहुत छात्र हैं, जो कोचिंग करते हैं, स्कूल नहीं जाते. उनको बोर्ड अपने यहाँ से फॉर्म भरवाने की ईजाजत देकर उन्हें टॉपर घोषित कर हमेशा के लिए टॉपर स्कैंडल से बच सकता है.
बिहार बोर्ड के 12 वीं का नतीजा आज सामने आ गया. शिक्षा मंत्री के साथ साथ बोर्ड के अधिकारियों ने दावा किया था कि इस बार पहले की तरह टॉपर घोटाला सामने नहीं आएगा. वैसा ही हुआ, इस बार नीट की परीक्षा में प्रथम स्थान पाने वाली कल्पना कुमारी बिहार बोर्ड के 12 वीं कक्षा की साइंस टॉपर बनी हैं. शिक्षा मंत्री और बोर्ड के अधिकारी आश्वस्त हैं कि इस बार के टॉपर वाकई टॉपर ही हैं. उनकी योग्यता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता. खबर ये भी है कि कल्पना के जरिये बोर्ड देश भर में बदनाम हुई अपनी छवि को सुधारने की योजना बना रहा है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल –जिस कल्पना को अपनी छात्रा बताकर बोर्ड अपनी पीठ थपथपा रहा है, क्या उसे यह हक़ है. बिलकुल नहीं है .
कल्पना ने बिहार सरकार के सरकारी स्कूल और कालेज में पढ़कर यह सफलता नहीं पाई है. वह पिछले एक साल से दिल्ली में रहकर आकाश इंस्टिट्यूट से कोचिंग कर रही थी. यानी वह शिवहर जिले के जिस वाई केजेएम् कॉलेज से उसने बोर्ड का फॉर्म भरा, उस कॉलेज में उन्होंने कभी पढ़ाई किया ही नहीं. क्या सरकारी नियम ये नहीं कहता है कि बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने के लिए तय अटेंडेंस स्कूल में देना जरुरी है? दूसरा सवाल जब एडमिशन लेकर कल्पना दिल्ली में कोचिंग में नीट की तैयारी कर रही थीं, फिर उन्हें उस कॉलेज से नियमित छात्र के रूप में बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने की ईजाजत कैसे मिल गई, जहाँ उन्होंने कभी क्लास नहीं किया? अगर ऐसा हो भी गया तो कल्पना के अव्वल आने का श्रेय आकाश इंस्टिट्यूट को मिलनी चाहिए या बिहार सरकार के सरकारी स्कूल को?
बिहार सरकार तो स्कूल छोड़कर कोचिंग जाने से छात्रों को रोकने के लिए बाकायदा ये फरमान भी जारी कर चुकी है कि स्कूल टाइमिंग में कोई कोचिंग नहीं चलेगा. परीक्षा में शामिल होने के लिए स्कूल में आना जरुरी है. फिर कैसे दिल्ली में कोचिंग के जरिये तैयारी करने वाली कल्पना को बिहार के एक कॉलेज ने नियमित छात्र के रूप में फॉर्म भरने की इजाजत दे दी? सरकार इस तरह से झोलझाल करके कैसे बिहार और बिहार बोर्ड को बदनामी से बचा सकती है. अगर वाकई रियल टॉपर पैदा करना है तो सबसे पहले सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई को दुरुस्त करना पड़ेगा .